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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, August 28, 2013

म्यार गाँवा पोरु सालौ लेखा -जोखा

चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती  
मि - ये परधान काका ! पोरु साल कन रायि ?
परधान काका -पोरु साल बि भौत बढ़िया राइ , जथगा मनमानी करण छे सि कार !
मि -अच्छा ? जन कि ?
परधान काका -जन कि मनरेगा देवी की कृपा से म्यार एक हैंक कूड़ ड्याराडूणम लगि ग्यायि ।
मि -पण अचकाल बंसल सरीखा नेता फंसणा  छन । तो तुम फंसण से बचि गेवां ? 
परधान काका -नै मीन जु मेरा विरोध मा मैदान मा ऐन उंकी डंडलि सजै दे !
मि -हौर ?
परधान काका -हौर क्या ! अफु सरा साल  हंसणु रौं अर दुसर तैं खून का आंसू पिलाणु रौं ।  
मि -अरे वाह ! गौं कु कथगा विकास ह्वे होलु ?
परधान काका -नाप त मीन नी च पण जख घ्वीड़ - काखड़ बि नि जांदन उख पुळ बणैन !   
मि -त फिर गूणि -बांदरूं कुण पाखाना बि बणै होला ? 
परधान काका -नै नै ! सार्वजनिक शौचालय का नाम पर मीन अफुकुण शानदार ट्वाइलेट बणाइ !
मि -पण क्वी जब फ़ाइल ऊइल मांगल अर द्याखल तो ?
परधान काका -जब कोयला मंत्रालय से दस बारा सालुं फाइल गैब ह्वै सकदन तो एक ग्राम प्रधान को कार्यालय से सार्वजनिक शौचालय की एक फ़ाइल गायब नि ह्वै सकदी ?
मि -अछा काका ! अचकाल पर्यावरण -पर्यावरण को बड़ो हो हल्ला हूणु च ? 
परधान काका -हमर गां मा बि चालीस पचास एकड़म डाळ लगीं छन ।  
मि -पण मि तैं त खरड़ जंगळ का अलावा कुछ नि दिखेणु च ?
परधान काका -सरकारी काम च त सरकारी अधिकार्युं तैं ही सार्वजनिक जंगळम  पेड़ दिख्याला । त्वै तैं किलै दिख्याला ?
मि -औ त ये मामला मा बि फ़ाइल गैब होलि क्या ?
परधान काका -न्है ! न्है ! सूखा मा पेड़ सुकि सकदन या बाढ़ मा पेड़ बौगि बि सकदन !
मि -गौं की आर्थिक दशा का  क्या हाल छन ?
परधान काका -भई खरीदी क पैमाना से त आर्थिक स्थिति बि ठीकि च । पैल जख मैना मा शराबौ सौ बोतल बिकदी छे अब पांच सौ बोतल बिकदन !
मि -अरे वाह प्रोग्रेस च ! अच्छा ! खेल विकास को क्या च ?
परधान काका -खेल मा बि युवाओं की रूचि बढ़णि च।
मि -जन कि ?
परधान काका -जन कि जुआ अर सट्टा बजारी मा युवावों रूचि उत्साहवर्धक च
मि -गां मा सामाजिक विन्यास को क्या हाल च ?
परधान काका -पोरु साल चार  नौनि गुरख्यों दगड़  या पुरबी परदेस वाळु दगड़ भागिन त चार गैर गढ़वाली ब्वारि  गां मा बि ऐन । सामजिक अर जातीय समीकरण बराबर बैलेंस मा च ।
मि -सौहार्द अर सहकारिता क्या हाल छन ?
परधान काका - अब गौं मा लोग झगड़ा या गाळी गलौज पसंद नि करदन । सीधा पटवरिम  या लैन्सडाउन  मुकदमा करणों जांदन । सैत च बीसेक मुकदमा त लोग आपस मा लड़ना ही होला । लैन्सडाउन बस सर्विस से एक फैदा ह्वाइ कि अब गाँ मा हल्ला -मारा -मारि नि होंद बलकणम लोग बाग़ शान्ति से मुकदमा लड़णा रौंदन ।
मि -बड़ी कामयाबी च हैं ?
परधान काका -हाँ ।
मि -काका ! तुम तैं शरम नि आन्दि ?
परधान काका -हाँ आन्दि च ना 
मि -क्यांक शरम आन्दि ?
परधान काका - कि  ए.राजा , कलमाड़ी , बंसल, अजित पंवार जथगा रुपया कमै सकदन मि उथगा रूप्या नि कमै सकणु छौं !   




Copyright@ Bhishma Kukreti 29/8/2013 



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