(गजल सम्राट मधुसुदन थपलियालै कुछ गजल )
मौत का जागर लग्युं छ आज ब्याळी
जिन्दगी ह्वै ग्यायि डौंर -थाळी।
आग चुल्लौं नांघी कोठार पौंछी
पाणी धैरी की नजीकु छिल्ला बा ळी।
तीस माणी , भूख पाथी, सात जीवन
पुंगड़ी पटुळी सेरा सारी पांच नाळी।
बाघ का जजमान बणगिन घ्वीड़ -काखड़
मनख्या -मनिख चैरिगे सरा हर्याळी।
.
.
धगुला देखिक रौंस नि खै कागजूं मां
दस्तखत त असली छन पण हाथ जाळी।
बौग्दु पाणी हेरी की निरसे ना गैल्या
तेरी गंगा होली त त्वैमा ही आली
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments