सन्दर्भ : डा. विष्णु दत्त कुकरेती की पुस्तक नाथ पन्थ : गढवाल के परिपेक्ष में
इंटरनेट प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती
२७- नौवें पूजा नौ नात सीधो की भई :दसै पूजा दस औतार की भई :अग्यारै पूजा अग्यार रूद्र की भई :बारै पूजा बार कला सूरज की भई :तेरों पूजा तेर रतनु की की भई : चौदो पूजा चौद बिद्यान की भई : हाकी पूजा चामुंडा देवी की भई : पन्द्रो पूजा पंद्र तिथियों की भई : सोलों पूजा सोल कला चंद्रमा की भई : सत्रों पूजा सतनाथ की भई : अट्ठारों पूजा अट्ठारा वार वणसापती की भई : उनीसे पूजा सीधों की भई : बीसों पूजा घटपाट की भई : येकीसौ पूजा माता पीता गुरु देवता की भई : भरी भरी डंपे कँपे सम्पती पाताल :सोसंको साका वीवरजते :प्रथमे सती जग मध्ये बली पात्र : अरगला वली हीरदया सूधो वली पात्र : आगलो बली पात्र :
२८- पूरब की दीजै : सारदा माई की पूजा रंची जै : जो बली दीजै सो बली लीजै :वली सम्याचक्र उधौ भणीजे : पूज्यौ जौगणी सज्यानंद रीढ़ सीध :फुरो समया कंध : श्री गुरु गोरषवाला गुरु चरण पादुकाये न्मो न्मस्तु :दूजी बली पात्र अरगला वली पात्र : हीदया सुधौ वली पात्र : आगलो बली पात्र उत्र कौ दीजै : का वारु काम रक्ष्या माई की पूजा रन्ची दीजै : जौ बली दीजै सो बली लीजै : दैत्र दानो को संघारो कीजे :दाता दानपति कौ राज दीजै : जैसो वली दीजै :सम्याचक्र उधौवणीजे :पूजा जौगणी सज्यांनन्द :रीधी सीधी फुरो सम्य कंद : श्री गोरष वाला : श्री चरणपादु I
२९-कायेन्मोन्मस्तुते : तीजो बली पात्र अर्गला वली पात्र : आगलो बली पात्र हीदया सुधोवली पच्छिम को दीजै :संकरी माई की पूजा रची जे : जो वली दीजै सो वली लीजे I दैत्र दानो का संगारो कीजे : दाता दानपति कौ राज दीजै : पारजा जैसो वली दीजे :सम्याचक्र उधौवणीजे :पूजा जौगणी सज्यांनन्द :रीधी सीधी फुरो सम्य कंद : श्री गोरष वाला : श्री चरणपादुकए न्मौन्मस्तुते I चौथो बली पात्र अर्गला बली पात्र : आगलो वली पात्र हीदया सुधौ वली पात्र दषीणा को दीजे : हिंगोला माई की पूजा I
इंटरनेट प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती
२७- नौवें पूजा नौ नात सीधो की भई :दसै पूजा दस औतार की भई :अग्यारै पूजा अग्यार रूद्र की भई :बारै पूजा बार कला सूरज की भई :तेरों पूजा तेर रतनु की की भई : चौदो पूजा चौद बिद्यान की भई : हाकी पूजा चामुंडा देवी की भई : पन्द्रो पूजा पंद्र तिथियों की भई : सोलों पूजा सोल कला चंद्रमा की भई : सत्रों पूजा सतनाथ की भई : अट्ठारों पूजा अट्ठारा वार वणसापती की भई : उनीसे पूजा सीधों की भई : बीसों पूजा घटपाट की भई : येकीसौ पूजा माता पीता गुरु देवता की भई : भरी भरी डंपे कँपे सम्पती पाताल :सोसंको साका वीवरजते :प्रथमे सती जग मध्ये बली पात्र : अरगला वली हीरदया सूधो वली पात्र : आगलो बली पात्र :
२८- पूरब की दीजै : सारदा माई की पूजा रंची जै : जो बली दीजै सो बली लीजै :वली सम्याचक्र उधौ भणीजे : पूज्यौ जौगणी सज्यानंद रीढ़ सीध :फुरो समया कंध : श्री गुरु गोरषवाला गुरु चरण पादुकाये न्मो न्मस्तु :दूजी बली पात्र अरगला वली पात्र : हीदया सुधौ वली पात्र : आगलो बली पात्र उत्र कौ दीजै : का वारु काम रक्ष्या माई की पूजा रन्ची दीजै : जौ बली दीजै सो बली लीजै : दैत्र दानो को संघारो कीजे :दाता दानपति कौ राज दीजै : जैसो वली दीजै :सम्याचक्र उधौवणीजे :पूजा जौगणी सज्यांनन्द :रीधी सीधी फुरो सम्य कंद : श्री गोरष वाला : श्री चरणपादु I
२९-कायेन्मोन्मस्तुते : तीजो बली पात्र अर्गला वली पात्र : आगलो बली पात्र हीदया सुधोवली पच्छिम को दीजै :संकरी माई की पूजा रची जे : जो वली दीजै सो वली लीजे I दैत्र दानो का संगारो कीजे : दाता दानपति कौ राज दीजै : पारजा जैसो वली दीजे :सम्याचक्र उधौवणीजे :पूजा जौगणी सज्यांनन्द :रीधी सीधी फुरो सम्य कंद : श्री गोरष वाला : श्री चरणपादुकए न्मौन्मस्तुते I चौथो बली पात्र अर्गला बली पात्र : आगलो वली पात्र हीदया सुधौ वली पात्र दषीणा को दीजे : हिंगोला माई की पूजा I
........ . बाकी आगे है
मूल पाण्डुलिपि : पंडित मणि राम गोदाल कोठी वाले से प्राप्त
( पांडुलिपि 24 सेमी ० लम्बी और 23 . 5 सेमी ० चौड़ी है जो कि बाघ की खाल की जिल्द पर सुरक्षित है . कुल 88 पृष्ठ I कूर्माष्टक - प्रथम 34 पृष्ठ I 35 से 70 पृष्ठों में घटथापना मन्त्र हैं, अन्य फुटकर मन्त्र व कलुवा की रखवाळी हैं I 75 वें पृष्ठ में लिखा है -
(यह पुस्तक लिखतंग पंडित टीकाराम गोदाल पाटली ग्रामे संवत १९९१ (१९३४ ई ) के बैशाख २३ गते शनिवारी -यह पुस्तक पंडित मणिराम गोदाल कोठीवाले की है . यह पुस्तक कुर्माष्ट्क , घटथापना सम्पूर्ण न्म शुम्भु )
( पांडुलिपि 24 सेमी ० लम्बी और 23 . 5 सेमी ० चौड़ी है जो कि बाघ की खाल की जिल्द पर सुरक्षित है . कुल 88 पृष्ठ I कूर्माष्टक - प्रथम 34 पृष्ठ I 35 से 70 पृष्ठों में घटथापना मन्त्र हैं, अन्य फुटकर मन्त्र व कलुवा की रखवाळी हैं I 75 वें पृष्ठ में लिखा है -
(यह पुस्तक लिखतंग पंडित टीकाराम गोदाल पाटली ग्रामे संवत १९९१ (१९३४ ई ) के बैशाख २३ गते शनिवारी -यह पुस्तक पंडित मणिराम गोदाल कोठीवाले की है . यह पुस्तक कुर्माष्ट्क , घटथापना सम्पूर्ण न्म शुम्भु )
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