Fatalism in Rajasthani, Kumaoni-Garhwali Folk Songs Part -1
Comparison between Rajasthani Folk Songs and Garhwali-Kumaoni Folk Songs-13
राजस्थानी, गढ़वाली-कुमाउंनी लोकगीतों का तुलनात्मक अध्ययन:भाग-13
राजस्थान और उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियाँ हैं किन्तु कठोर कृषि जीवन मनुष्यों भाग्यवादी भी बना देता है । यही कारण है कि राजस्थानी , गढ़वाली -कुमाउंनी लोक गीतों , राजस्थानी , गढ़वाली -कुमाउंनीलोक कथाओं , , राजस्थानी , गढ़वाली -कुमाउंनी लोक मिथों ;
राजस्थानी , गढ़वाली -कुमाउंनी लोक कथनों ; राजस्थानी , गढ़वाली -कुमाउंनी लोकोक्तियों; राजस्थानी , गढ़वाली -कुमाउंनी लोक पहेलियों में भाग्यवाद अटूट आस्था व विश्वास मिलता है।
राजस्थानी , गढ़वाली -कुमाउंनी लोक कथनों ; राजस्थानी , गढ़वाली -कुमाउंनी लोकोक्तियों; राजस्थानी , गढ़वाली -कुमाउंनी लोक पहेलियों में भाग्यवाद अटूट आस्था व विश्वास मिलता है।
राजस्थानी लोकगीतों में भाग्यवाद -1
Fatalism in Rajasthani Folk Songs Part -1
निम्न राजस्थानी लोक गीत में अपने पति से कहती है कि रोटी को मत बांधो क्योंकि पुन: वह कैसे प्राप्त होगी ? रोटी कौन दगा ? पति का भाग्य पर अटल विश्वास है वह कह डालता है कि रोटी राम देंगे ; भाग्य पर भरोषा रखना चाहिए।
ढोला कंवर जी रोटी ने मत बांधो रोटी कुण देला ?
जा जा गेली भाग भरोसे , रोटी राम देला।
कुमाउंनी- गढ़वाली लोकगीतों में भाग्यवाद -भाग 1
Fatalism in Kumaoni-Garhwali Folk Songs Part -1
कुमाउंनी- गढ़वाली लोकगीतों में भाग्यवाद -भाग 1
Fatalism in Kumaoni-Garhwali Folk Songs Part -1
डा जगदीश नौडियाल का कथन है कि उत्तराखंड में भी कृषि आज भी बारिश पर निर्भर करती है। ऐसे में अथक परिश्रम पश्चात सफलता नही मिलती तो व्यक्ति भाग्यवादी बन जाता है।
निम्न रवाँई क्षेत्र का लोक गीत भाग्यवाद रहा हैं -
एक स्याणों रौ भाया न रै करी रौ तेन; करे।
चार ब्यौ पर पुत्र न ह्वे पांच ब्यौ कैरी।
फेर स्यो बोल पड़े हमारो भाग्य ही न रौ।
---अनुवाद -----------
एक मुखिया के भाई नहीं थे उसने स्वयम चार नहीं पांच शादियाँ कीं किन्तु पुत्र प्राप्ति नही हुयी , उन्होंने सोचा भाग्य में ही नहीं है।
Copyright@ Bhishma Kukreti 29/8/2013
सन्दर्भ
डा जगमल सिंह , 1987 ,राजस्थानी लोक गीतों के विविध रूप , विनसर प्रकाशन , दिल्ली
डा जगदीश नौडियाल उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर:रवाँई क्षेत्र का लोक साहित्य का सांस्कृतिक अध्ययन [Comparison between Rajasthani Folk Songs and Garhwali-Kumaoni Folk Songs; Exclusive features of Rajasthani Folk Songs and Garhwali-Kumaoni Folk Songs; Different Style and Mood of Rajasthani Traditional Songs and Garhwali-Kumaoni Folk Songs; Differentiation between Rajasthani Customary Songs and Garhwali-Kumaoni long-established Songs; Assessment of Rajasthani Folk Songs and Garhwali-Kumaoni Folk Songs; Appraisal of Rajasthani Folk Songs and Garhwali-Kumaoni Folk Songs; Review of Rajasthani Folk Songs and Garhwali-Kumaoni Folk Songs; Analytical review of Rajasthani Folk Songs and Garhwali-Kumaoni Folk Songs; Analysis of Rajasthani Folk Songs and Garhwali-Kumaoni Traditional Songs, Fatalism in Rajashthani Folk Songs;Fatalism in Kumaoni Folk Songs; Fatalism in Garhwali Folk Songs, Fatalism in Traditional Songs From Rajasthan; Fatalism in Traditional Himalayan folk Songs; Fatalism in North Indian folk Songs, Fatalism in Asian Traditional Songs ]
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments