सन्दर्भ : डा. विष्णु दत्त कुकरेती की पुस्तक नाथ पन्थ : गढवाल के परिपेक्ष में
इंटरनेट प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती
१६- के वारमती :तामा की आसण :वासण : सींगासण : छत्र पत्र डंडा डौंरु :सेली सींगी : त्रिसूल मुंद्रा : झोली मेषला :उड़ान कछोटी :फावड़ी :सूणती :भणंती :आकासं :घटथापन्ति : या तौ रे बाबा त्रिथा जुग की बारता बोली जै रे स्वामी : औतार कन्च मंच का : तब काली जुग मध्ये के रे स्वामी :गुरु गोरषनाथ :आचार जंगे कालिका देवी "षीर ब्रिष गजा कटार :आसण I
१७- कली जग मध्ये रे स्वामी :कीतनेक ताल पुरषा :कीतनेक ताल अस्त्री : कीतने वरस मणस्वात की औष्या बोली रे स्वामी :कली जुग मध्ये ले रे स्वामी : तीन हात पुरषा : तीन हात अस्त्री : सौ साट ब्रस की मणस्वात के औष्या बोली जै रे स्वामी : कलि जुग मध्ये ले रे स्वामी : दुई हात षटग :एक हात कटार ढाई गज कमाण : कली जुग मध्ये ले रे स्वामी :
१८- एक बेरी बोणों : येक बेरी लौणो :चाणा प्रमाण चौंल राई प्रमाण झीऊ : मणस्वात को डेढ़ सेर को हार : बोली जै रे स्वामी :कली जुग मध्ये ले रे स्वामी : लुवा के घट : लुवा के पाट : लुवा के बारमती : लुवा के आसण : वासण : सींगासण : छत्र पत्र डंडा डौंरु :सेली सींगी : त्रिसूल मुंद्रा : झोली मेषला :उड़ान कछोटी :फावड़ी: सोकंति :पोषंती :भणंती :आकासं :घटथापन्ति : या तौरे बाबा कली जुग की बारता I
१९- बोली जै रे स्वामी : तीन औतार कन्च मंच का : कली जुग मध्ये ले रे स्वामी : श्री नीर निरंजन नाथ जोगी माहा की माटी :काहा कारा जा : और मैपाल थापी ले थुपी ले : क्रे उपरी चढ़ाई ले अंत्र उपरी में घट गड़ीले नाहीं ले : धोई ले : छीपी ले छिपाई ले : दृष्टि भया पात्र : आनन्द वनन्द गुरु गोसाई :जावे मैदनी :कुलदरसने : अत्र मध्ये सीष्टि संसार : मयेवीस्तर : चापि ले :चुपील :बंदी ले :बंधाई ले : मटी : फुरी ले घोटी ले I
२०- उव्या भया : सन्बू निरंजन नाथ जोगी : काहा ते अमृत की तोमी उपरी उदीक : उदीक परी :ब्रीषपती उपरी उमपुरी नील मुरती :नील मुरती उपरी :उंकार :उंकार मध्ये नीरंकार :नीरंकार मध्ये तत :तत मध्ये सत : सत मध्ये ध्यान :ध्यान मध्ये नीरालभ : नीराल्भ मध्ये उपरी कुंड :कुंड मध्ये उदपना ना षंड : षंड मध्ये उदपना पौन : पौन मध्ये उदपना नाद :नाद मध्ये उद्पना वीद्या I
२१-- वीद्या मध्ये उदपना जोती :जोती मध्ये उदपना अंड : अंड फूटे भया नवषंड उत्र दक्षिण पुरब पश्चिम : सत्र पंच वेद रघुवेद : की माया मात्रा :गायत्री कमन वरन :नील वरन जयो षेद की माया मातरा :गायत्री वेळ वरन स्याप्र वेड की माया मातरा :गायत्री :कमन वरन भगवती :अथर्वेद की माया मातरा : गायत्री :कमन वरन : नील वरन सरसुती अनेक परे वीर कामनी :संध्या गायत्री :मच्छीन्द्र नाथ की पीड़ा समाई ले :नीरघट :षीरघट रजघट : वीरजघट : वाई घट :संषव्या I
इंटरनेट प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती
१६- के वारमती :तामा की आसण :वासण : सींगासण : छत्र पत्र डंडा डौंरु :सेली सींगी : त्रिसूल मुंद्रा : झोली मेषला :उड़ान कछोटी :फावड़ी :सूणती :भणंती :आकासं :घटथापन्ति : या तौ रे बाबा त्रिथा जुग की बारता बोली जै रे स्वामी : औतार कन्च मंच का : तब काली जुग मध्ये के रे स्वामी :गुरु गोरषनाथ :आचार जंगे कालिका देवी "षीर ब्रिष गजा कटार :आसण I
१७- कली जग मध्ये रे स्वामी :कीतनेक ताल पुरषा :कीतनेक ताल अस्त्री : कीतने वरस मणस्वात की औष्या बोली रे स्वामी :कली जुग मध्ये ले रे स्वामी : तीन हात पुरषा : तीन हात अस्त्री : सौ साट ब्रस की मणस्वात के औष्या बोली जै रे स्वामी : कलि जुग मध्ये ले रे स्वामी : दुई हात षटग :एक हात कटार ढाई गज कमाण : कली जुग मध्ये ले रे स्वामी :
१८- एक बेरी बोणों : येक बेरी लौणो :चाणा प्रमाण चौंल राई प्रमाण झीऊ : मणस्वात को डेढ़ सेर को हार : बोली जै रे स्वामी :कली जुग मध्ये ले रे स्वामी : लुवा के घट : लुवा के पाट : लुवा के बारमती : लुवा के आसण : वासण : सींगासण : छत्र पत्र डंडा डौंरु :सेली सींगी : त्रिसूल मुंद्रा : झोली मेषला :उड़ान कछोटी :फावड़ी: सोकंति :पोषंती :भणंती :आकासं :घटथापन्ति : या तौरे बाबा कली जुग की बारता I
१९- बोली जै रे स्वामी : तीन औतार कन्च मंच का : कली जुग मध्ये ले रे स्वामी : श्री नीर निरंजन नाथ जोगी माहा की माटी :काहा कारा जा : और मैपाल थापी ले थुपी ले : क्रे उपरी चढ़ाई ले अंत्र उपरी में घट गड़ीले नाहीं ले : धोई ले : छीपी ले छिपाई ले : दृष्टि भया पात्र : आनन्द वनन्द गुरु गोसाई :जावे मैदनी :कुलदरसने : अत्र मध्ये सीष्टि संसार : मयेवीस्तर : चापि ले :चुपील :बंदी ले :बंधाई ले : मटी : फुरी ले घोटी ले I
२०- उव्या भया : सन्बू निरंजन नाथ जोगी : काहा ते अमृत की तोमी उपरी उदीक : उदीक परी :ब्रीषपती उपरी उमपुरी नील मुरती :नील मुरती उपरी :उंकार :उंकार मध्ये नीरंकार :नीरंकार मध्ये तत :तत मध्ये सत : सत मध्ये ध्यान :ध्यान मध्ये नीरालभ : नीराल्भ मध्ये उपरी कुंड :कुंड मध्ये उदपना ना षंड : षंड मध्ये उदपना पौन : पौन मध्ये उदपना नाद :नाद मध्ये उद्पना वीद्या I
२१-- वीद्या मध्ये उदपना जोती :जोती मध्ये उदपना अंड : अंड फूटे भया नवषंड उत्र दक्षिण पुरब पश्चिम : सत्र पंच वेद रघुवेद : की माया मात्रा :गायत्री कमन वरन :नील वरन जयो षेद की माया मातरा :गायत्री वेळ वरन स्याप्र वेड की माया मातरा :गायत्री :कमन वरन भगवती :अथर्वेद की माया मातरा : गायत्री :कमन वरन : नील वरन सरसुती अनेक परे वीर कामनी :संध्या गायत्री :मच्छीन्द्र नाथ की पीड़ा समाई ले :नीरघट :षीरघट रजघट : वीरजघट : वाई घट :संषव्या I
........ . बाकी आगे है
मूल पाण्डुलिपि : पंडित मणि राम गोदाल कोठी वाले
( पांडुलिपि 24 सेमी ० लम्बी और 23 . 5 सेमी ० चौड़ी है जो कि बाघ की खाल की जिल्द पर सुरक्षित है . कुल 88 पृष्ठ I कूर्माष्टक - प्रथम 34 पृष्ठ I 35 से 70 पृष्ठों में घटथापना मन्त्र हैं, अन्य फुटकर मन्त्र व कलुवा की रखवाळी हैं I 75 वें पृष्ठ में लिखा है -
(यह पुस्तक लिखतंग पंडित टीकाराम गोदाल पाटली ग्रामे संवत १९९१ (१९३४ ई ) के बैशाख २३ गते शनिवारी -यह पुस्तक पंडित मणिराम गोदाल कोठीवाले की है . यह पुस्तक कुर्माष्ट्क , घटथापना सम्पूर्ण न्म शुम्भु )
( पांडुलिपि 24 सेमी ० लम्बी और 23 . 5 सेमी ० चौड़ी है जो कि बाघ की खाल की जिल्द पर सुरक्षित है . कुल 88 पृष्ठ I कूर्माष्टक - प्रथम 34 पृष्ठ I 35 से 70 पृष्ठों में घटथापना मन्त्र हैं, अन्य फुटकर मन्त्र व कलुवा की रखवाळी हैं I 75 वें पृष्ठ में लिखा है -
(यह पुस्तक लिखतंग पंडित टीकाराम गोदाल पाटली ग्रामे संवत १९९१ (१९३४ ई ) के बैशाख २३ गते शनिवारी -यह पुस्तक पंडित मणिराम गोदाल कोठीवाले की है . यह पुस्तक कुर्माष्ट्क , घटथापना सम्पूर्ण न्म शुम्भु )
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments