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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Monday, August 12, 2013

सम्पूर्ण घटथापना मन्त्र

 सन्दर्भ : डा. विष्णु दत्त कुकरेती की  पुस्तक नाथ पन्थ : गढवाल के परिपेक्ष  में

      इंटरनेट  प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती
   १-  अतः घड थापना लेषीणते  . श्री गनेसाएंम : श्री जल बन्धनी : जल बंदनी जुग पंच पयाल : स्मपति  जुग रंची रे स्वामी   : जुग बार, : मन्स्यादेवी अर्दंगे : रुड माला पैरंती  जुग ते रं : नीवारनी , वर पैरन्ति, जुग सुल : जुग सौल : आसण बैसण प्राणमंत अंत काले कु जुग बीस : आसण बैसण जुग छतीस : ऊं उंकार ल़े  ल़े रे स्वामी स्वर्ग मंच पाताल : रात्री न दीन : समुद्र ना प्रर्थ में सूं तोला : विवर्जित : अंत का उद्पना
२- भेल रे स्वामी : श्री अप्रम प्रनाथ : मधे ल़े रे स्वामी : परम्सुन परमसून मधे रे स्वामी :परमहंस : परमहंस मधे रे स्वामी : चेतना चेतना मधे रे स्वामी  उद्पना : गोदर ब्रह्मा जोजनी तीन थानम : ॐ अं डं नं डं डं नं : प्रगारेत नंग सैत नंग : श्रीकृष्ण इजईती : उद्पना भैले रे स्वामी : श्री इश्वर  आदिनाथ    :कमनघट : नीरघट : षीरघट : रजघट : ब्रिजघट : वाईघट : ये पंच घट : थापंती जतीर सती : बाला ब्रह्मचारी : जटा

३- सौरी वळी ब्रह्मचारी : श्री गुरुगोरषजती    : कानन सुणि  वातन्ता : षोजंती   थावरे जक्र मेवा : एक ब्रह्मा न विश्णु इंद्र नंग : चन्द्र नंग वाई न श्रिश्थी : न दीपक : कोपालंक : कस्य ध्यानम मुरती :  वेद न  चारि होम न यग्य : दान न  :देते : जीत न काला : नाद न वेद : ये घट मेवा : ये घट औग्रा दंग : दीन दाई दीनचारी : नीना औरषवंग : करता पुर्क्म आकासंग आकासेघट  : ब्रह्मा पाताले घट ; वीषनुघट मदेघट ; महेसुर सोनाघट  :पारवती त्रीयोदेवा एक मुरती : ब्रह्मा विशनु महेसुर ; नाना भा :

४- बाती :मन हो रे जोगी : बसपति पातालम : सम्पति पातालं : ऊपरी सत : सत उपरी जत : जत उपरी धरम : धरम ऊपरी कुरम : कुरम उपरी बासुगी : बासुगी ऊपरी अगनि   : : अगनि उपरी क्रीती मही  : क्रीती मही उपरी मही क्रीती : मही क्रीती उपरी  राहू : राहू उपरी सम्पति गज : सम्पति गज उपरी धज : धज उपरी सम्पति समोदर : सम्पति समोदर उपरी : कमन कमन समोदर : बोली जै रे स्वामी : एक समोदर उपरी   सोल समोदर : सोर समोदर उपरी : तालुका समोदर : तालुका

५- समोद्र उपरी ; भालू का समोदर ; उपरी खारी समोद्र उपरी : रतनाग्री समोद्र रतनाग्री समोद्र उपरी : दुधा समोद्र : दुधा समोद्र ऊपरी डालु समोद्र ; डालु समोद्र उपरी मही दुधि समोद्र : मि समोद्र उपरी मही समोद्र ; मही समोद्र ये ससत समोद्र की वार्ता बोली जै रे स्वामी : कमन कमन दीप बोली जै रे स्वामी ; एक दीप : एक दीप उपरी सात दीप सास ; दीप उपरी सजवो दी :

६- प जवो दीप उपरी : जजणी  दीप : जजणी दीप उपरी : बासुकणी दीप  : बासुकणी दीप उपरी अहोड़ दीप : उपरी थमरी दीप उपरी नेपाली बासमती दीप  ; नेपाली भस्मती प उपरी : कणीक दीप : कणीक दीप उपरी : ये सात दीप बोली जै रे स्वामी : नौ खंड वार्ता बोली जै रे स्वामी : कमन कमन षंड वेक षंड : एक षंड : एक षंड उपरी हरी षंड ; हरी षंड उपरी भरत षंड : भरत षंड उपरी आला भरत षंड : भरत षंड उपरी बुद्धि का मंडल : बुद्धि का (षंड = खंड )

७- मंडल उपरी झैल षंड ब्र्न्हंड :झैलषंड :ब्रह्मंड उपरी :ब्रह्मापुरी ब्रह्मापुरी उपरी :सीवपुरी : सीवपुरी उपरी : आनन्द पुरी : आनन्द पुरी उपरी : उपरी ते ल  का तला  : तेल पी डा : ब्रह्म उपरी तत : अवुर जन वु त कु मारी जा :घातुक मारी जा : मही मंडल : सूरज घट मधे उद्पना वर राशी  का घट :मधे उद्पना वार मा से घट : मधे उद्पना त्र्यष्ठ षंड : ये नौ षंड :बोली जा रे स्वामी

८- ये नौ षंड उपरी : वाये मंडल वा ये मंडल उपरी छाया मंडल : छाया मंडल उपरी गगन मंडल : गगन मंडल उपरी मेघ मंडल : मेघ मंडल उपरी : सूरज मंडल : सूरज मंडल उपरी चंदर मंडल : चंदर मंडल उपरी :तारा मंडल : तारा मदनल उपरी :दूधी मंडल : छाय कोटि मेघ माला : वार मा  से घट : घट मधे उद्पना : वार रासी का घट :घट मधे उद्पना : अठार वार वणसापती  : घट मधे उद्पना ताल

९- बेताल : घट मधे उद्पना काल वे का ल : घट मधे उद्पना : नौ करोड़ घट : घट रहे थीर : घट थापंती : श्री अनादी नाथ बुद बीर भैरो : गौ हंडी पृथवी प्रथमे सोढ़ी कीया : जल अयिले : ऋष बाहन चढ़े : राजा हंस आई ल़े : गरुड वाहन चढ़े : राजा गणेष आयिले मुसा वा हान चढ़े : गंगा गौरिज्या आई ल़े मंगला पिंगोला वाहन चढ़े : अनं

१० - त सीधा : मिलकर कै बैठा ध्यान : घट थापन्ति : कमन कमन थान : श्री हं समती    म्समती माई : श्री घटथापंती  कमन कमन थानं : सती जुग मध्ये ल़े रे स्वामी : श्री यसुर आदिनाथ : आचार जगै : अरदगै गौरिजा देवी : षीर  ब्रिष गजा कटार : आसण बैसण सींगासण : छत्र : पत्र : डंडा ड़वौरु : सती जुग मधे ल़े रे स्वामी : कीतने ताल पुरषा : कीतने ताल अस्त्री : कीतने ब्रस की मणस्वात की औस्या बोली जै रे स्वामी सती जुग मध्ये ल़े रे स्वामी : बतीस ताल
११- पुरुष : येकीस ताल अस्त्री री : लाष बर्स की मणस्वात की औष्या बोले जै रे स्वामी : सती जग मध्ये रे स्वामी : अठार हात षटग : छै हात कटार : येकीस गज कमाण : सती जग मध्ये ले रे स्वामी : एक बेरी बोणों :दस बेरी लौणो : चावन पळ चौंळ : बावन पळ गीउ : तीन गज चौंळ तीन मुंडेता गीउ : दस मण को मणस्वात को हार : सती जग मध्ये ले रे स्वामी सोना घट : सोना कै पाट सोना कै आसण : वासण : सींगासण : छत्र पत्र I
१२ - डंडा डौरु :सेली सींगी : त्रीसुल मूँद रा : झोली मेषला : बडाण कछौटी फावड़ी : सोकंति : पोषंती : सुणती भणती : अकास घड़ा थापंती या तोरे बाबा सती जग की बारता : तीन औतार कन्च मंच का : तव दुवा पर मध्ये ले रे स्वामी : श्री चौरंगी आदी नाथ अचार जंगै अररदंगे :
मंगला देवी षीर वीर गजा कंट :दुवापर मध्ये ले रे स्वामी कीतने तला पुर्षा : कीतने ताल असतरी :कीतने  बरस की I
१३- मणसंत औष्या बोली जै रे स्वामी : द्वापर मध्ये ले रे स्वामी : सोल ताल पुरषा : ते रे ताल असतरी :लाष बर्स की मणस्वात की औष्या बोली जै रे स्वामी : :दुवापर मध्ये ले रे स्वामी : नौऊ हात षटग : तीन हात कटार : साढ़े दस गज कमाण ::दुवापर मध्ये ले रे स्वामी : एक बेरी बोणों पांच बेरी लौणो : सताईस पल चौंल : छबीस पल गीऊ ; डेड गज चौंल : डेढ़ मुंडेता गीऊ : पांच मण मणस्वात को हार : बोली रे स्वामी :दुवापर मध्ये ले रे स्वामी रूपा के घट : रूपा के पाट : रूपा के वारमती : रूपा के आसण :वैसण छ I
१४- त्र पत्र डंडा डौरू : सेली सींगी : त्रिसूल मुद्रा : झोली मेषला : उडाण क छोटी : फावड़ी : साकंती : पोकंती : सुणती भणती : आकाश : घटथापंती या तो रे बाबा दुवापर की वारता बोली जैरे स्वामी : तीन औतार कंच मंच का : त्रिथा जग मध्ये ले रे स्वामी श्री मछींद्र आदिनात :आचार जंगे अर्दंगे : फरसराम राम : महाराम करणी : भीमला  देवी : षीर बृष गजा कंठ : आसण त्रिथा युग मध्ये ले रे स्वामी : कीतने ताल पुरषा कीतने ताल अस्त्री : कितने वर्स I
१५- की मणस्वात की औष्या बोली जैरे स्वामी : आठ ताल पुरषा : साढ़े छै ताल अस्त्री : हजार बर्स की मणस्वात की औष्या बोली जै रे स्वामी : त्रिधा जुग मध्ये लेरे स्वामी : एक बैरि बोणों : तीन बैरी लौणो :आठ पल चौंल पांच पळ गीऊ : मणस्वात को तीन मण को हार : त्रिथा जुग मध्ये लेरे स्वामी : तामा को घट : तामा को पाट : तामा I 
१६- के वारमती :तामा की आसण :वासण : सींगासण : छत्र पत्र डंडा डौंरु :सेली सींगी : त्रिसूल मुंद्रा : झोली मेषला :उड़ान कछोटी :फावड़ी :सूणती :भणंती :आकासं :घटथापन्ति : या तौ रे बाबा त्रिथा जुग  की बारता बोली जै रे स्वामी :  औतार कन्च मंच का : तब काली जुग  मध्ये के रे स्वामी :गुरु गोरषनाथ :आचार जंगे कालिका देवी "षीर ब्रिष गजा कटार :आसण I
१७- कली जग मध्ये रे स्वामी :कीतनेक ताल पुरषा :कीतनेक ताल अस्त्री : कीतने वरस मणस्वात की औष्या बोली रे स्वामी :कली जुग  मध्ये ले रे स्वामी : तीन हात पुरषा : तीन हात अस्त्री : सौ साट ब्रस की मणस्वात के औष्या बोली जै रे स्वामी : कलि जुग मध्ये ले रे स्वामी : दुई हात षटग :एक हात कटार ढाई गज कमाण : कली जुग मध्ये ले रे स्वामी :
१८- एक  बेरी बोणों : येक बेरी लौणो :चाणा प्रमाण चौंल राई प्रमाण झीऊ : मणस्वात को डेढ़ सेर को हार : बोली जै रे स्वामी :कली जुग  मध्ये ले रे स्वामी : लुवा के  घट : लुवा के पाट : लुवा के बारमती : लुवा के आसण : वासण : सींगासण : छत्र पत्र डंडा डौंरु :सेली सींगी : त्रिसूल मुंद्रा : झोली मेषला :उड़ान कछोटी :फावड़ी: सोकंति :पोषंती :भणंती :आकासं :घटथापन्ति : या तौरे बाबा कली  जुग  की बारता I
१९- बोली जै रे स्वामी : तीन औतार कन्च मंच का : कली जुग मध्ये ले रे स्वामी : श्री नीर निरंजन नाथ जोगी माहा की माटी :काहा कारा जा : और मैपाल थापी ले थुपी ले : क्रे उपरी चढ़ाई ले अंत्र उपरी में घट गड़ीले नाहीं ले : धोई ले : छीपी ले छिपाई ले : दृष्टि भया पात्र : आनन्द वनन्द गुरु गोसाई :जावे मैदनी :कुलदरसने : अत्र मध्ये सीष्टि संसार : मयेवीस्तर : चापि ले :चुपील :बंदी ले :बंधाई ले : मटी : फुरी  ले घोटी ले I 
२०- उव्या भया : सन्बू निरंजन नाथ जोगी : काहा ते अमृत की तोमी उपरी उदीक : उदीक परी :ब्रीषपती उपरी उमपुरी नील मुरती :नील मुरती उपरी :उंकार :उंकार मध्ये नीरंकार :नीरंकार मध्ये तत :तत मध्ये सत : सत मध्ये ध्यान :ध्यान मध्ये नीरालभ : नीराल्भ मध्ये उपरी कुंड :कुंड मध्ये उदपना ना षंड : षंड मध्ये उदपना पौन : पौन मध्ये उदपना नाद :नाद मध्ये उद्पना वीद्या I
२१- वीद्या मध्ये उदपना जोती  :जोती मध्ये उदपना अंड  : अंड फूटे भया नवषंड उत्र दक्षिण पुरब पश्चिम : सत्र पंच वेद रघुवेद : की माया मात्रा :गायत्री कमन वरन :नील वरन जयो षेद की माया मातरा :गायत्री वेळ वरन स्याप्र वेड की माया मातरा :गायत्री :कमन वरन भगवती :अथर्वेद की माया मातरा : गायत्री :कमन वरन : नील वरन सरसुती अनेक परे वीर कामनी :संध्या गायत्री :मच्छीन्द्र नाथ की पीड़ा समाई ले :नीरघट :षीरघट  रजघट : वीरजघट :  वाई घट :संषव्या I

२२- पती घट :अकासे घट :पाताले घट अत्र उपाम घट :जो जाणंती घट की सुधी घटथापन्ती : श्री नीर नीरंजन गुरु गोर षनात वुधी थाप्या घट :पंथ औ दस्या मछीन्द्र का वचन : दुतरया नीर धुंद दीजै बाबा वारुणी भैरों :मद गोपाला नाचै भैरों :मद गोपाला नाचै भैरों : घट घट वाला नाचैं भैरों : घर घर वाला प्रथमें अनादिनाथ भैरों : जनु ने सोरग मंच पाताल उपाया :दुतीये महादेव नाथ भैरों :जनु ने नौ नात चौरासी सीधो कू सेवा लगाया :
२३-त्रीतेये मछीद्रनात भैरों जनु ने मच्छरूप औतार लनो : चतु ते चौरंगीनात भैरों : जनु ने काचा करचुड़ा बोलाया पंचमे ब्रह्मनाथ भैरों : जनु ने चार वेद  चौद सास्त्र त्र्यट प्रवाण नौऊ अव्यागत गीता गायत्री मुझ पाठ पढ़ लीना :षष्टमें गोरषनात भैरों जनु ने हीन्दु तुरकी दोई लड़ाया :सवतमे विष्नुनात भैरों : जनु ने हात काट गलीये दैत्र दोनों संघारी लीनां : अष्टमे बासुगीनाथ भैरों जनु ने सम्पती पातात जाई कुरम रचाया : नौउमे नौ नात भैरों ऊंकार आदिनात :उदयानात पार I

२४-वती सतनाथ ब्रह्मा संतोगीनाथ वेश्नु :गजनात खतड़ी अचल चलानात ज्ञान पाषीर जलरूपी मछीन्द्रनात :घाट घटे श्री गोरषनात :वाप वीर भैरों :प्रचंड कालमारी करौ :षंड वैषंड I पीले पहरा वैश्नु नाथ भैरों : पादुकाएनमोन्मसतुते :दूजा पहर सवाहर देवी :चन्द्र नात भैरों :पादुकायेनमोन्मस्तुते :चौथा पहर घंगोल  देवी   :घगर नात भैरों :पादुकायेनमोन्मस्तुते :पांचवा पहर : कालिंका देवी :कंकालना I
२५- त भैरों पादुकायेनमोन्मस्तुते : छटा पहरा छटीगीर देवी : रुद्रनात भैरों पादुकाये नमोन्मस्तुते : सातवाँ पहरा की सतेसुरी देवी सतनात भैरों पादुकायेनमोन्मस्तुते: आठवा पहरा की भुजावली देवी षप्रनात भैरोंपादुकायेनमोन्मस्तुते : ऊँ जनम गत सुर कला रौ : रीध भैरों रीधी ल्यावो सीध भैरों :सीध ल्यावो :अंडड भैरों डंडी ल्यावो : अमुही भैरों अमोही ल्यावो : समरथ भैरों ससाणी गज मसाण तु  जाई ले डीगर भैरों मारो धाप कालिंका को पूत भैरों :पूजौ भैरों :तीन तीलोग नाथ बड़ी बड़ी I
२६- जटा  लमा केश आयो बाबा वीगट का मैच :गोगलिया भैरों :चंड भैरों प्रचंड भैरों : काल भैरों :कंकाल भैरों : विकराल भैरों :भटुग नाथ भैरों : सूरज नात भैरों :रुद्रनाथ भैरों : तीर होर नात भैरों : तीर घोर नात भैरों :तीर षप्रनाथ भैरों : तीर भवन नाथ भैरों : हमारे पिंडा प्राण रख बावरी के बेल वाल कासी के कोटवाल घड़ी घड़ी के वीघ्न टाल तू देइ त मैं षाऊँ :प्रथमे पूजा येकाइ की भई :दूजी पूजा दोई औतार की भई :तीजी पूजा त्रिभुवन की भई :चौथी पूजा चौदीसा की भई : पाँचों पूजा पांडपू का भई :छटी पूजा नारयेण की भई :साते पूजा सात वार का भई :आटों पूजा अष्ट भैरों की भई I                    
२७- नौवें पूजा नौ नात सीधो की भई :दसै पूजा दस औतार की भई :अग्यारै पूजा अग्यार रूद्र की भई :बारै पूजा बार कला सूरज की भई :तेरों पूजा तेर रतनु की की भई : चौदो पूजा चौद बिद्यान की भई : हाकी पूजा चामुंडा देवी की भई : पन्द्रो  पूजा पंद्र तिथियों की भई : सोलों पूजा सोल कला चंद्रमा की भई : सत्रों पूजा सतनाथ की भई : अट्ठारों पूजा अट्ठारा वार वणसापती की भई : उनीसे पूजा सीधों की भई : बीसों पूजा घटपाट की भई :  येकीसौ पूजा माता पीता गुरु देवता की भई : भरी भरी डंपे कँपे सम्पती पाताल :सोसंको साका वीवरजते :प्रथमे सती जग मध्ये बली पात्र : अरगला वली हीरदया सूधो वली पात्र : आगलो बली पात्र :

२८- पूरब की दीजै : सारदा माई की पूजा रंची जै : जो बली दीजै सो बली लीजै :वली सम्याचक्र उधौ भणीजे : पूज्यौ जौगणी सज्यानंद रीढ़ सीध :फुरो समया कंध : श्री गुरु गोरषवाला गुरु चरण पादुकाये न्मो न्मस्तु :दूजी बली पात्र अरगला वली पात्र : हीदया सुधौ वली पात्र : आगलो बली पात्र उत्र कौ दीजै : का वारु काम रक्ष्या माई की पूजा रन्ची दीजै : जौ बली दीजै सो बली लीजै : दैत्र दानो को संघारो कीजे :दाता दानपति कौ  राज दीजै : जैसो वली दीजै :सम्याचक्र उधौवणीजे :पूजा जौगणी सज्यांनन्द :रीधी सीधी फुरो सम्य कंद : श्री गोरष वाला : श्री चरणपादु I  
 २९-कायेन्मोन्मस्तुते : तीजो बली पात्र अर्गला वली पात्र : आगलो बली पात्र हीदया सुधोवली पच्छिम को दीजै :संकरी माई की पूजा रची जे : जो वली दीजै सो वली लीजे I दैत्र दानो का संगारो कीजे : दाता दानपति कौ राज दीजै : पारजा जैसो वली दीजे :सम्याचक्र उधौवणीजे :पूजा जौगणी सज्यांनन्द :रीधी सीधी फुरो सम्य कंद : श्री गोरष वाला : श्री चरणपादुकए न्मौन्मस्तुते   I  चौथो बली पात्र अर्गला बली पात्र : आगलो वली पात्र हीदया सुधौ वली पात्र दषीणा को दीजे : हिंगोला माई की पूजा I  
                                
३०- रची जे :जो वली दीजै सो बली लीज्ये : दैत्र दानो संघारो कीजै दानपति कौ राजा पारजा :जैसो बली दीजै :सम्या चक्र उधौ बणी जे पुज्यौ जौगणी सच्यानन्द : रीध  सीध फुरौ सम्या कंध : श्री गुरु गोरषवाला : शगुरु चरणपादुकए न्मौन्मस्तुते : पांचो बली पात्र अर्गला बली पात्र :आगलो बली पात्र हीरदया सुधो बली पात्र दीलो को दीजै :चौसट्या गरामो की पूजा रंचीजे : जो बली दीजोसो बली लीज्यौ सम्याचक्र  उधौ बणीज्ये :पुज्यौ जौगणी सच्यानन्द : रीध  सीध फुरौ सम्या कंध : श्री गुरु गोरषवाला : शगुरु चरणपादुकए न्मौन्मस्तुते :छटो बली पात्र अर्गला I
३१- बली पात्र हीरदया सुधो बली पात्र : नर्ग कोट कौ दीज्या :ज्वाल्पा माहामाई की पूजा रचीजै :जो वली दीजै सो बली दैत्र दानो संघारो कीजै दानपति कौ राजा पारजा जैसो बली दीजै :सम्या चक्र उधौ बणी जे : पुज्यौ जौगणी सच्यानन्द :रीध  सीध फुरौ सम्या कंध : श्री गुरु गोरषवाला : श्री गुरु चरणपादुकए न्मौन्मस्तुते : सातौ बली पात्र अर्गला I आगलो बली पात्र हीरदया सुधो बली पात्र मही मंडल  को दीजै: भसमती माहा माई की पूजा रचींज्ये : देव दानो घारो कीजै :दानपति कौ राजा पारजा :  जो वली दीजै सो बली लीज्ये :सम्याचक्र उधौ बणीज्ये :पुज्यौ जौगणी सच्यानन्द : रीध  सीध फुरौ सम्या कंध I
३२- श्री गुरु गोरषवाला : श्री गुरु चरणपादुकए न्मौन्मस्तुते : आठो बली पात्र अर्गला बली पात्र :आगलो बली पात्र हिरदया बली पात्र सम्पति पाताल को दीजै : राजा बासुगी की पूजा रचीजे दैंत्र दानो संघारो कीजै दानपति कौ राजा पारजा जैसो बली दीजै :सम्या चक्र उधौ बणी जे : पुज्यौ जौगणी सच्यानन्द :रीध  सीध फुरौ सम्या कंध : श्री गुरु गोरषवाला : श्री गुरु चरणपादुकए न्मौन्मस्तुते : नाऊ बली पात्र अर्गला : आगलो बली पात्र हीरदया सुधो बली पात्र : आसा को भणीजे : राजा इंद्र की पूजा रची जे :दैंत्र दानो संघारो कीजै दैंत्र दानो संघारोकीजै
33- डाटा दानपति को राजा पाराजा जैसो बली दीजै :सम्या चक्र उधौ बणी जे पुज्यौ जौगणी सच्यानन्द : रीध  सीध फुरौ सम्या कंध : श्री गुरु गोरषवाला : शगुरु चरणपादुकए न्मौन्मस्तुते : नीलपरी अनीलपरी पागलपरी गोरषनाथ पारी मछीन्द्र नाथ पारी अनंतपुरी  पाटण अलेक्पती राजा अभीक्त पधान : आकुल पारजा :अषंड निरंजन नाथ वैसला :कल्या वीर अचेति :अवली बैठा : अनादि : अन्येसुरा बाला बंधौ :मई परसूरी :घट ब्रह्मा : घट इंद्र : घट वैसे वाला गोवींद :पंच देवता कारू मुभाऊ माई : मास को बंधो उफ़ाऊ :अनादी पात्र लींऊं उपाया :सरभ  भूमि अगम भाऊ :वेड न शास्त्र पुस्तीक न परवाण :हिदू न मुसलमान :सूचि न क्रिया :भाऊ न प्रीती : उदीमन मध्याम I
३४- जाती न आण जाती :अनल सर्व भूमि उपाया सरब सींश्ठी कामुल वीनस गती : सींष्ठी  संसार :अत्रादी के अकीये न्मो जाणदा सुणदा कौ आदेस :घागनाथ गुरु को आदेस :फर मन्त्र येसुरोवाच्य :इति घटथापना मन्त्र विधि लेषीत :सम्पूर्ण सुभम I
             
 

 
मूल पाण्डुलिपि : पंडित मणि राम गोदाल कोठी वाले से प्राप्त 

( पांडुलिपि 24 सेमी ० लम्बी और 23 . 5 सेमी ० चौड़ी है जो कि बाघ की खाल की जिल्द पर सुरक्षित है . कुल 88 पृष्ठ I कूर्माष्टक -  प्रथम 34 पृष्ठ I 35 से 70 पृष्ठों में घटथापना  मन्त्र हैं, अन्य  फुटकर मन्त्र व कलुवा की रखवाळी हैं I  75 वें पृष्ठ में लिखा है -
(यह पुस्तक लिखतंग पंडित टीकाराम गोदाल पाटली ग्रामे संवत १९९१ (१९३४ ई ) के बैशाख २३ गते शनिवारी -यह पुस्तक पंडित मणिराम गोदाल कोठीवाले की है . यह पुस्तक कुर्माष्ट्क , घटथापना सम्पूर्ण न्म शुम्भु )

उत्तराखंड  का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; चमोली गढ़वाल का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; रुद्रप्रयाग का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; टिहरी गढ़वाल का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; उत्तरकाशी गढ़वाल का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; देहरादून गढ़वाल का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; हरिद्वार का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; पिथोरागढ़ कुमाऊं का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; चम्पावत कुमाऊं का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; बागेश्वर कुमाऊं का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; नैनीताल कुमाऊं का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; अल्मोड़ा कुमाऊं का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; उधम सिंह नगर कुमाऊं का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ; उत्तरी भारत का तन्त्र मन्त्र , तांत्रिक -मान्त्रिक का लोक साहित्य  ;

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