गौं का पंदेरा मा
पैलि
रैंदी छै
चहल-पहल
तुरतुर्या पाणि
कसेरी-गगरी
कठवळी-तम्वळी
लगीं रैंदी छै
एक हारि पर
ननि ननि भुली
खेल्दी छै बट्टा
नना नना भुला
खेलदा छा कंचा
नैं नैं ब्वारि
लगान्दी छै
मीठी-मीठी छवीं
झौडी काकी
एक छ्वाड पर बैठि
लगान्दी छै
उन्का
अब सब कुछ
बदली गे
गौं-गौं मा
भितर-भैर
पाणि का नळ
न कैका बट्टा
न कैका कंचा
न कैकि छवीं
न कैका उन्का
अर न रैगे
अब
कैकि अग्यार..
रैंदी छै
चहल-पहल
तुरतुर्या पाणि
कसेरी-गगरी
कठवळी-तम्वळी
लगीं रैंदी छै
एक हारि पर
ननि ननि भुली
खेल्दी छै बट्टा
नना नना भुला
खेलदा छा कंचा
नैं नैं ब्वारि
लगान्दी छै
मीठी-मीठी छवीं
झौडी काकी
एक छ्वाड पर बैठि
लगान्दी छै
उन्का
अब सब कुछ
बदली गे
गौं-गौं मा
भितर-भैर
पाणि का नळ
न कैका बट्टा
न कैका कंचा
न कैकि छवीं
न कैका उन्का
अर न रैगे
अब
कैकि अग्यार..
डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..सर्वाधिकार सुरक्षित.. narendragauniyal@gmail.com
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