गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य
मुर्दा, मुडै अर मड़घट
चबोड्या - भीष्म कुकरेती
मोरण एक सचै च. मुरण सचै च त मुर्दा तै मड़घट लिजाण बि सचै च. जरा क्वीम्वार ना कि परिवार मा उत्साह संचार शुरू ह्व़े जांद कि ये मुर्दा तै चौड़ मड़घट लिजाण. हाँ नेता टैपक लोग जरा देर से मुर्दा तै मड़घट लिजान्दन किलैकि ऊंक उत्साह भीड़ से प्रेरित होंद. भीड़ कि आस मा इ लोक अपण ब्व़े बुबा तै मड़घट लिजाण मा औडि औड़ी कौरिक अबेर करदन. अर मुर्दा से जादा काम का मुडैयूँ आदिर खातिर मा लग्यां रौंदन. यि भीड़ प्रेमी अर बड़ा अदिमु प्रेमी मुर्दा क चिंता छोड़िक पस्त्यौ दीणौ अयाँ बड़ा अदिमु इन आव भगत करदन जन बुल्यान ब्वे या बाबु नि मोरि ह्वाउ बल्कण मा नौनो मांगण हूणि ह्वाओ. मुर्दा तै यि नेता टैपक लोक प्रसिधी , शान , घमंड दिखाणो सामान बणै दीन्दन.
कुछुं कुण मुर्दा प्रमोसन कि सीड़ी , पुळ , डुडड़ होंद. म्यार एक दगड्या छन फैक्टरी मैनेजर छन. यूंक ब्व़े मोर त यूँ सरकारी अधिकार्युं कुण किराया क कार भेजिन. अर मुर्दा उठाण से पैल सरकारी अधिकार्युं तै अपण मालिक तै मिलाणै रैन -- सर यि इनकम टैक्श का औफ़िसर छन, यि सेल्स टैक्श का छन, यि पौलिसन बोर्ड का, यि लेबर विभाग का, यि प्रोविडेंट फंड विभाग का.. . मालिक खुस ह्व़े गेन कि फैक्टरी कामौ आदिम मा च जैक सरकारी विभाग मा इथगा चलदी कि सरकारी अधिकारी बि मुडै बणणो तैयार ह्वेन. बस फैक्ट्री मैनेजर को दुसर दिन प्रमोसन ह्व़े ग्याई.
कुछ बजार बन्द कराण से इ मुर्दा तै श्रधांजलि दीन्दन. फूलूं से जादा यि लोग बजार बन्द तै महत्व दीन्दन. यि बुल्दन फूल तुड़ण -चढ़ाण से पर्यावरण खराब होंद पण बजार बन्द हूण से भग्यान मनिख चौड़ भगवान जोग ह्व़े जान्दो.
जब बि क्वी मोरद त जन भोज / फौड़ पकाणो विशेषग्य सर्युळ होन्दन उनि हरेक समाज मा सांग सजाणौ सल्ली होन्दन. एक सल्ली ह्वाओ त मुर्दा तै क्वी परेसानी नि होंद पण जु द्वी तीन साग सजाणो सल्ली ऐ जावन त यूँ सल्यूं मा झगड़ा उनि होंद जन बामणु मा टिपड़ा मिलाण मा गृह युद्ध होंद. एक सांग सल्ली बुल्दो कि बांस तिर्छां हूण चएंद, हैंको बुलद कि बांस सीदो हूण चएंद . फिर डुडड़ बंधण मा बि सांग सल्ली अड़ी जान्दन कि कैकी टेक्नीक सही च , बिचारो मुर्दा परेशान होंद कि अब सांग बंधण मा ल़े क्यांकि तकनीक उल्टा बांधो या सुल्टा बांधो जाण त सोराग या नरक इ च. बुजर्ग लोग जब बीच बचाव करदन तब सल्ली चुप ह्व़े जान्दन पण एक हैंक पर आँख घुर्याण मड़घट तक बि बन्द नि करदन.
बड़ी जातिक बामण इन दिन बिमार क्या आई सी सी यू मा भर्ती ह्व़े जान्दन. जब मुर्दा बच्यूं रौंद त य़ी बामण रखड़ी बंधण मा या दूध-गौंत मंत्रण मा हैंको बामण तै नि सै सकदो पण जजमान मोरि ग्याई त यि हिदायत दीन्दन कि कै हैंको बामण तै खुज्याओ .
जु गरीब मर्युं ह्वाओ त जादातर मुडै बुल्दन बल जब बि ये भग्यान तै जरूरत हूंद छे त यू उधार पगाळ मांगणो मीम ऐ जान्दो छौ. पण क्वी सौकार मोरि ग्याई त क्वी नि बोल्दो कि मि ये भग्यान मा कर्जा मांगणो गे छ्यायो. इन मा सौब बुल्दन बल सौकार जी मीमंगन राय मशवरा मंगण मा नि शर्मान्दा छ्या. गरीब मोरि ग्याई त क्वी बि नि बथान्दो कि वैका भग्यानो दगड़ क्वी जादा घनिष्ट रिश्ता छयो. पण सौकार मोरो त सौब मर्युं आदिमौ दगड़ रिश्तेदारी गंठयाण मा छौम्पा दौड़ करदन.
राजनीति मा अर फिलम लाइन मा अजीब होंद. जब बि क्वी नेता बच्यूं रौंद त बिरोधी वैकी छट्यु पर मांस कि तलाश मा रौंद अर जनि मोरि ग्याई त य़ी नेता मोरणो बाद विरोध्यु खुणि कर्मठ, उत्साही नेता ह्व़े जान्दो . इनी फिलम लाइन मा होंद.
मुडै मुर्दा तै मड़घट लिजांद भौत सा काम बि करदन. जन कि कैकी लौड़ी कैको लौड़ो लैक च . कैकी बेटी भाजि ग्याई या कैकी ब्वारि भाजि ग्याई जन बात ये टैम पर इ होन्दन.
पैल मु डै शंख कि ध्वनि /अवाज से लोग मुडै बणणो आन्द छ्या अच्काल जब तलक दारु सारु क पेटी नि दिखाओ त लोग अपण पीठ उन्दों रड्यु काका तै बि मड़ घट लिजाणो तयार नि होन्दन बल.
पैल मुर्दा जळाणो बाद मुडै हलवा, सूजी से संतुष्ट ह्व़े जांदा छया अब शिकार अर दारु बोतल से कम मा मुडै दिवता नि माणदन बल.
Copyright@ Bhishma Kukreti 20/8/2012
माननीय कुकरेती जी,
ReplyDeleteक्या बोन्न तब..."मुर्दा,मड़्वै अर मड़घाट" भौत सुंदर सृजन..अतीत अर आज कू स्वरुप....