पहाड़ मा
रोज
औंस ही औंस
भजणे रौंस
जूनी कि आस
फिर निसास
एका पिछने हैंको
लगी लंगातार
यी सिलसिला
बारम्बार
बांजी पुंगड़ी
उजड़दी कूड़ी
भजदा मन्खी
भकरभांड
म्यर पहाड़.
****पहाड़ नि आन्दु रास****
निर्भगी बस्गाळ
चिमचुन्य पाणि
झुन्गारू न धान
काण्ड न मास
न कुछ हौरि धाणि
खेती कि गाणि
एक थ्वपा बरोबर आस
गूणि बांदर
सुंगर सौला
करणा निरास
पकोड़ी न छकोड़ी
सिर्फ
बास ही बास
पहाड़ का लोगोँ तै ही
पहाड़
नि आन्दु रास .
डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित narendragauniyal@gmail.com
रोज
औंस ही औंस
भजणे रौंस
जूनी कि आस
फिर निसास
एका पिछने हैंको
लगी लंगातार
यी सिलसिला
बारम्बार
बांजी पुंगड़ी
उजड़दी कूड़ी
भजदा मन्खी
भकरभांड
म्यर पहाड़.
****पहाड़ नि आन्दु रास****
निर्भगी बस्गाळ
चिमचुन्य पाणि
झुन्गारू न धान
काण्ड न मास
न कुछ हौरि धाणि
खेती कि गाणि
एक थ्वपा बरोबर आस
गूणि बांदर
सुंगर सौला
करणा निरास
पकोड़ी न छकोड़ी
सिर्फ
बास ही बास
पहाड़ का लोगोँ तै ही
पहाड़
नि आन्दु रास .
डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित narendragauniyal@gmail.com
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