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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, August 28, 2012

अखबारों संपादक किलै सेल्समैन बौण ?


गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य 
 
                     अखबारों संपादक किलै सेल्समैन बौण ?
                               चबोड्या - भीष्म कुकरेती
 
राजेन्द्र- आ आ भै आज दस बाद मिलणा छंवां त जरा कुछ दारु सारु ह्व़े जाओ
गजेन्द्र- अरे पण इथगा बड़ो होटल मा ?
राजेन्द्र - हाँ त क्या ह्वाई ? बिल जथगा बि आलो मि द्योलू
गजेन्द्र - अच्काल कख छे तू ?
राजेन्द्र- मि अच्काल एक अंतरास्ट्रीय कम्पनी मा सेल्स डाइरेक्टर छौं
गजेन्द्र- वधाई हो. पण तू त मास्टर बणणो बान कोशिश करणु छयाई
राजेन्द्र- हाँ कोशिश त कार च पण जब मास्टरगिरी नि मीलि त सेल्स लाइन मा चलि ग्यों
गजेन्द्र - बढिया
राजेन्द्र - अरे त्यार इन चिर्याँ फुर्याँ झुल्ला किलै पैर्यां छन ?
गजेन्द्र- अरे यू स्टाइल च मि एक कलाविग्य जि छौं
राजेन्द्र - अच्छा तू क्या करणि छे ?
गजेन्द्र- मि एक पत्रिका क सम्पादक अर प्रकाशक छौं
राजेन्द्र- कें भाषा मा च . तेरी अंग्रेजी भौत बढिया छे त अंग्रेजी पत्रिका?
गजेन्द्र- ना मि पर तैबारी गढवाली भाषा प्रेम कु दिवता आयुं छौ त मीन गढवाली अखबार प्रकाशन शुरू कार
राजेन्द्र- यार तू भौति सीदु छौ. बिजिनेस उजिनेस सीख च कि ना ?
गजेन्द्र - अरे मि आज भौत बड़ो सेल्समैन छौं.
राजेन्द्र- अच्छा ?
गजेन्द्र - हाँ मि तै भौत सि चीज बिचणो अनुभव च
राज्नेद्र - पण तू त गढ़वाली अखबारों प्रकाशक छे त ...?
गजेन्द्र - तबि त
राजेन्द्र- क्या क्या ब्याच तीन ?
गजेन्द्र - अखबार चलाणो बान , घौर क टी.वी, पलंग, फर्नीचर, भांड कूंड, इख तलक कि ये साल मीन अपण बुबा जीक लगायुं कूड़ बि बेचीं आल

Copyright@ Bhishma Kukreti 28/8/2012
गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य जारी ...

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