गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य
आजादीक फैदा
चबोड्या - भीष्म कुकरेती
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भारत वासिन्दा फ़ोकट मा रुणा रौंदन बल आजादी हूणो परांत बि आजादी फैदा नी च .
मी बुल्दु बल हम अजादी क खूब फैदा उठाणा छंवां
अब द्याखो ना जु हमारा उद्योगपति शराब ब्रैंड कु खुले आम विज्ञापन नि दे सकदन त क्या व्हाई ? अरे पाणी, ताश, सोडा क नाम से त शराब कु विज्ञापन दे इ सकदन कि ना ? याँ से बडी आजादी क्या चयाणि च हम तैं कि हम सरकार अर सरकारों नियमों खुले आम धज्जी उडै सकदवां , भई ! ये त आजादी च कि हम प्रजातंत्र कु हम मखौल उडै सकदवां सकद्वां .
. हम मथिनो मंज्यूळ मा रौंदवां त हम तै तौळ खौड़- कत्यार, गमलों क पाणी तौळ चुलाणै पूरी आजादि च ।
रस्ता मा जखम चाओ हम थूक सकदवां इन इना उना थुकणो आजादि प्रजातन्त्र आर भारत जन देस मा इ ह्वे सकदि !
स्कूल आर कौलेज क ठीक समणि हम बीडी सिगरेट अर शराब बेचीं सकदवां . अब बथाओ शिक्षा संस्थान क समणि जब आप खुले आम बीडी सिगरेट अर शराब बेचीं सकदवां त याँ से आजादी से जादा क्या फैदा चयांद भै ?
हम अपण ड्यारो या दुकानों कचरा बीच सडक मा फेंकी सकदवां अर फिर म्युनिस्पाईलिटी तै गाळि बि दे सकदवां कि म्युनिस्पाईलिटी बेकार च कुछ नि करदी. बीच सडक मा अपण कचरा चुलाण से बडी आजादी क्या ह्व़े सकदी भै ?
हम नियम विरुद्ध अपण ड़्यार चार चार गैस सिलिंडर धौरी सकदवां . भै याँ से बडी आजादी क्या चयाणि च कि हम नियम विरुद्ध काम कौरी सकदवां .
हम नियमु खिल्ली , मसखरी उड़ैक बस स्टौप या रेलवे प्लेटफारम पर बीडी सिगरेट पे सकदवां .य़ी त आजादी क असली फैदा छन कि हम नियमों खुले आम मसखरी उड़ाई सकदवां .
नियम छन कि आप प्लास्टिक थैली प्रयोग नि कारो पन हम आजादी क घमंड मा पर्यावरण विरुद्ध अपणो इ नुकसान करदां . त ये माराज याँ से बडी आजादी क्या ह्व़े सकदी कि हम अपण नुकसान अफिक कौरी सकदवां .
हम बड़ी इज्जत से बस, रेल की टिकेट लाइन तोड़ी सकदवां अर फिर सरकार पर भगार बि लगै सकदवां कि सरकार अनुशाशन रखण मा भौत इ ढीलि च . अफु गुनाह कारो अर इल्जाम सरकार पर लगाओ से बड़ी आजादी क्या ह्व़े सकद ?
हम अपण फैदा बान सरकारी जमीन पर कूड़ चीणि सकदवां . यांखुणि त आजादी बुल्दन.
हम बिजलि- पाणि क मीटर खराब कौरिक या हैंको ढंग से बिजलि- पाणि चोरी कौरी सकदवां अर फिर खुले आम सरकार पर भगार बि लगै सकदवां कि लुंज च, सरकार बेकार च ज्वा बिजलि- पाणि बढ़ाणो बान असमर्थ च. या इ हमारि आजादी च.
हम तै आजादी च कि हम अपण नौन्याळो तै परीक्षा मा पास हूणो बान नकल कि पर्ची बणौवां अर दगड़ मा अखबारों मा शिकायत बि करदवां कि शिक्षा क स्तर दिन ब दिन कम होणु च . अपण गुनाहों गू हम कै हौरू पूठ फर लगै सकदवां . याँ से बडी आजादी क्या चयाणि च ?
हम अफु से कमजोर तै थपडे सकदवां . अफु से कमजोर तै पित्याणै आजादी मिलिं त च हम तै.
सरकारी मुलाजिम नकली मेडिकल बिल से अपण नौनु तै विदेश मा पढाई लिखै सकुद त फिर हम किलै रून्दा बल हम तै आजादी क कवी फैदा नी च ?
हम सरकारों कूल से रात या दिन पाणि तोड़ीक या चोरिक अपण पुंगड़ कुले सकदवां त फिर क्यांकि चिंता कि हम तै आजदी क फैदा नी होणु च ?
हम संबिधान को उल्लंघन खुले आम करी सकदवां अर फिर सरकार पर लांछन बि लगी सकदवां कि सरकार अनुशाशन का मामला मा किदलु जन मरियल च . अजादी क यो इ त मतबल च कि हम संबिधान का मखौल उड़ावां फिर आजादी से बोलि दीन्दा कि सरकार कड़क क़ानून नि लाणि च .
हम चुनावूं बगत पर नेताओं क शराब पींन्दां अर फिर ऐड़ाट भुभ्याट करदवां कि विधान सभा या लोकसभा मा भ्रष्ट राजनेता पौंची गेन . पैल गुनाह अफु कारो अर फिर राजनेताओं पर गू लपेड़ो .इनी आजादी क त फैदा हम उठाण गीजी गेवां .
हमर बान आजादी क मतलब च कि हमारो अधिकार सुरक्षित रावन अर जब हम तै हमारो कर्तब्य कि याद दिलाये जाव त हम समजदवां कि आजादी मा व्यवधान ऐ ग्याई
Copyright @ Bhishma Kukreti 15/8/2012
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