आश्रमो असली उत्तराधिकारी
भृगु ऋषि क आश्रम उदयपुर पट्टी क आजौ भृगुखाळ म छयो . मुनि भृगु बुड्या ह्व़े गे छया अर अब समौ ऐ गे छयो कि अपण आश्रम क बागडोर कै योग्य च्याला/शिष्य तै देकी सन्यास ले ल्यावन . भृगु ऋषि न अपण च्यालों अळगसि, हुस्यार अर भरोसा क परीक्षा लीणो निर्णय ले. भृगु ऋषि न अपण ज्ञान कि तीन कुटरी बणैन अर एकेक कुटरी तिनु क हाथ मा दींद ब्वाल, " मी जरा एकाद द्वी मैना खुणि गंगाद्वार (हरिद्वार) जाणु छौं. त मी हरेक तै ज्ञान कि कुटरी दीणु छौं. तुम अपण हिसाबन ज्ञान-कुटरी क निवेश (इन्वेस्टमेंट ) करी सकदवां ." अर भृगु ऋषि ज्ञान कुटरी अपण शिष्यों तै थमै क गंगाद्वार जिना चलि गेन .
द्वी मैना उपरान्त भृगु ऋषि बौड़ीक ऐन.
ऊन अळगसि शिष्य तै पूछ, " शिष्य ! तीन ज्ञान कुटरी क निवेश कन कार ?"
अळगसि न ब्वाल, "गुरुदेव मीन यीं कुटरी तै समण्या क पुंगड़ मा खड्यार जां से कि ये ज्ञान कि चोरी नि ह्व़े जाओ ."
अब हुस्यार च्याला न बताई, " गुरुदेव मीन ज्ञान कुटरी एक बणिया तै एक सौ रूप्या मा ब्याच. वै बणिया म धन त छयो पन ज्ञान नि छौ अब लोग वै बणिया तै ग्यानी बणिया बोलीक भट्यान्दन ."
भृगु ऋषि न पूछ," त वो सौ रूप्या कख छन ?"
हुस्यार च्याला न जबाब दे, " गुरु जी कुछ रूप्या मीन अफु पर खर्च करीन अर कुछ आश्रम क काम पर खर्च ह्व़े गेन"
भरोसा न बताई," गुरुदेव आप दिखल्या कि हमर आश्रम मा दस नया च्याला अयाँ छन ."
गुरु जीन पूछ , किलै?"
भरोसा न बताई," मीन यूँ दस च्यालो मा कुटरी ज्ञान बाँट अर अब यि दस च्याला सौ च्याला बणै सकदन आर फिर हजार , दस हजार च्याला .."
भृगु ऋषि तै भरोसा जन असली उत्तराधिकारी मीलि ग्याई जु निवेश कु असली अर्थ जाणदो छौ कि एक तै दस अर दस तै सौ करणै तैं निवेश बुल्दन
copyright Bhishma Kukreti 28/8/2012
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