गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य
स्युंदी सुप्पा कर
चबोड्या - भीष्म कुकरेती
राजा प्रदीप शाह - आज मीन फिर स्वाच अर एक विचार आई
मंत्री भगवत सिंह कटोच - ना ना ! माराज इन जुलम नि कारो
राजा- अर उनि बि झंगवर क्वादों खेती मंड्याणि होलि
कटोच- तुमर मतबल च अब एक हैंको नयो कर ?
राजा- हाँ जादा ना बस दस सुप्प .
कटोच- पण इन मा त आठ दस दूण कर ?
राजा- अरे पर मेरी राणि लड़ना रौंदन कि ना?
कटोच- हाँ दीदी बि नराज च
राजा - अरे म्यार बुबा जी से गलती ह्वाई कि वूंन बीस पचीस राण्यु महल नि चिणैण
कटोच- माराज ! सिरीनगर मा इथगा जगा बि नी च ना !
राजा- पण आज मै तै हरेक राणि तै एकै महल दीणि पोडल , अर कुछ वु नचण वाळी बांदुं कुण बि महल ना सै त बड़ो कूड़ चयेन्दन कि ना ? अरे राजा छौं त मी सुदि झुपड़ो मा त जैनि सकदो.
कटोच - पण
राजा- त इन कारो तुम चौड़ कर बढाओ
कटोच- कखी जनता कुछ लाब काब बखण बिसे ग्याई त, कखी रज़ा विरुद्ध क्रांति ..?
राजा- त जनता क मुखाक बान लोखरो म्वाळ बि बणाओ . अर कुछ लोग नया कर का विरुद्ध गाळी देला, पण जादातर हमारो राजा बुलान्दो बदरीनाथ होंद क नाम से कर द्याला
कटोच- पण नयो कर का बान कुछ कारण बि त बताण पोड़ल .
राजा- त इन कारो बल कुमाऊं पर आक्रमण कारो या तिब्बत पर आक्रमण कारो अर उखाकी जनता से धन लूटो मै तै राण्यु कुणि महल अर नचाड़ बांदु कुणि कूड़ चयाणा छन.
कटोच - त मतबल हम तै कुमाऊं या तिब्बत पर आक्रमण करण जरूरी च .
राजा --पण सौब सेनापति त कखि ना कखि लडै पर जयां इ होला.
कटोच- त इन कारो आप सेना कि बागडोर लेकी आक्रमण कारो
राजा- आक्रमण करणो जाण त मि बि चांदो पण तुम त जाणदा इ छंवां कि मि एक दिन बि भैर रौलु त पचीसेक राणी अर सैकड़ाक नचाड़ बांद सौब खुद्याण मिसे जान्दन. अब मि सौब देखि सकुद पण यूँ राण्यु खुद्याण , नचाड़ बांदुं आंसू नि देखि सकुद.
कटोच- हाँ या बात बि सै च
राजा- अरे मंत्री जी इन कारो तुम इ जि सेनापति बौणिक पड़ोस्यूं पर आक्रमण कि डोर थाम्बो !
कटोच - नै नै ! जनता पर नया कर लगाण इ ठीक रालो
राजा - मि त पैलि बुलणु छौ कि जनता पर कर लगाओ
कटोच- जब बिटेन हम कटोच भयात हिमाचल बिटेन इख औवां हमन बौण कर, घास कर, चुल्हा कर, अर पता नि क्या क्या कर नि लगाई
राजा- मि नि जाणदो मै तै राण्यु महल अर नचाड़ बांदु क वास्ता कूड़ो बान रकम चयाणि च
कटोच- त इन करदवां स्युंदी सुप्पा कर लगै दींदवां
राजा- स्युंदी सुप्पा माने हरेक ब्यौ पर एक सुप्पो कर ?
कटोच- हाँ
राजा- जरा गणत कारो कि इनमा कथगा कर ऐ जालो ?
कटोच- महल त सैत बौणि जाला
राजा - अर नचाड़ बांदुं कुड़ो कुणि ?
कटोच- त ठीक च सुत सुप्पो बि लगै दीन्दा
राजा- मतलब हरेक बच्चा हुण पर एक सुप्प अनाज कर ?
कटोच - जी. बांदुं कुणि कूड़ सुत सुप्पो कर से बणि जाला.
राजा - त ठीक च जरा द्वी होशियार मंत्र्युं तै बिजनौर भ्याजो अर कुछ आठ दस बिगरैलि नचाड़ बांद खरीदिक लाओ
कटोच- मि आजि अपण द्वी भायुं तै नचाड़ बांद लाणो बिजनौर भिजदु
राजा- अहा ! अब मेरी सौब चिंता खतम ह्व़े गेन .
Copyright@ Bhishma Kukreti 26/8/2008
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