गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य
चबोड्या - भीष्म कुकरेती
टरकाणौ बनि बनि ब्यूंत -हाउ टु से नो
हाँ बुलण सरल च पण ना बुलण सौबसे कठण च . तबी त अच्काल 'ना कनकैक बुलण' पर बजार मा दसेक किताब छन.
पण जु तुम म्यार बुल्युं मनिल्या त तुम ना बुलणो जणगरो ह्व़े जैल्या . जाण तुम तै ना बुलण गिजण पोडल बस.
ह्वेक बि ना बुलणो सबसे पैलि शर्त च बेशरम हूण . मुखमुल्यजा लोग ना बोली नि सकदन. बेशरमी सिखणो बान तुम तै कखि जाणै जरुरात नी च बस कौंग्रस्यूं हाल देखी ल्याओ कि कन यि बेशर्मी से बुल्दन बल कोग्रेस सन सैंतालिस से इ भ्रष्टाचार मिटाणो बान प्रतिबद्ध च .
अर जु तुम भातीय जनता पार्टी तै अपण पार्टी माणदवां त यूंक कु -करतबों से बि तुम बेशरमी भली भांति सीख सकदवां जन कि यि कर्नाटक मा यदुरप्पा कु खुलेआम भ्रष्टाचार तै भ्रष्टाचार नि माणदन पण महाराष्ट्र कु अशोक चौहाण तै बड़ो भ्रष्टाचार माणदन. बुल णो मतबल च बल बेशरमी तुम राजनैतिक पार्ट्यु कु-करतबों से सीखि ल्याओ .
ना बुलण मा एक बात बुले जांद बल इच्छा त मेरी भौत च पण क्या कौरू इन ह्व़े नि इ सकुद. या एक कला च अर यि तै हम बौगाणै कौंळ बोली सकदां. बौगाण सिखण त आप तै भारत, भूटान, नेपाल, पकिस्तान, बंगला देस आदि देसूं सरकारी रवयों से बौगाण सिखण पोडल. यूँ देसूं मा शिक्षा एक मूल बहुत जरुरात बि च अर समस्या बि च. पण यि सौब देस शिक्षा तै उथगा महत्व नी दीन्दन जथगा शिक्षा तै जरुरत च . बस यि देस अपणि जनता तै कै बि तरां से टरकाणा छन , तुम क्या करो यूँ देसूं से टरकाण सीखो . बस यि द्याखो कि यि देस कन अपणि जनता तै संदेस दीन्दन बल "हे शिक्षा ! मीम कुछ हून्दी जि त मी त्वे नी दींदु ?" दुन्या मा यां से जादा टरकाण आपन कखि नि देखि होलू जन यि देस अपणा युवांओ तै टरकान्दन .
ह्वेक बि लुकाण अर ना बुलण एक ब्यूंत च, एक कौंळ च , एक कला च, एक हुस्यारी च. यांखुणि तुम तै मास्टरों व्यवहार पर ध्यान दीण पोडल . यूं मास्टरों मा जो बि च यि स्कूल या कॉलेज मा नी दीन्दन अर बकळि जिकुड़ी कौरिक ना बोलि दीन्दन। अर वही बढिया ज्ञान का भंडार यि उत्साह से , जोश से कोचिंग क्लासुं मा दीन्दन. यि मास्टर स्कुलम ज्ञान दीण मा ना नकोर करदन पण कोचिंग क्लास मा भरपूर ज्ञान दीन्दन.
ना बुलण मा सिद्धांतों बली दिए जांद.प्रतिबद्धता क सौं बि घटे जान्दन या ब्वालो सिद्धांत या प्रतिबद्धता तै ना बुलणो बहाना कु माध्यम बणये जांद. भारत मा सेकुलर अर नॉन सेकुलर कि लडै कुछ नी च अकर्मण्य हूणै दवा च या कै तै ना बुलणो बहाना भर च ।
कबि कबि ना बुलणो बान समणि वाळक ध्यान बंटण ज्रौरी होंद. ना बुलणो कुणि कुछ बि कौरिक समणि वाळक ध्यान इनै उनै लिजाण बि एक मारक ब्यूंत च. अब द्याखो ना पैल उत्तर प्रदेश सरकार अर अब बुलणो अपणि उत्तराखंड सरकार ग्रामीण उत्तराखंड मा उद्योगुं बारा मा हमारो ध्यान कन बाँटदि ! ना बुलणो कुणि कन ध्यान बंटे जांद सिखण त ऊं उत्तराखंड कि सरकारी कौंळु को अध्ययन कारो जौं कौंळु से पहाड़ी जनता क ध्यान असली मुद्दों से नकली मुद्दों तरफ लिजाये जांद.
ना बुलण मा कबि कबि अपण पूठो गू दुसरो पूठ पर पतकाण या चिपकाण जरूरी होंद. यि गुर सिखण ह्वाओ त कै बि राज्य सरकारों बयान पर ध्यान द्याओ जु बुलणा रौंदन कि हम त राज्य तै सोराग जोग करर्णों तयार छंवां पण केंद्र सरकार कुछ इमदाद दीन्दी नी च.
ना बुलणो खुणि समणि वाळ तै भ्रमित करण जरुरी च . ना बुलण मा भरम को जाळ बड़ो काम को च . भरमाण सिखण ह्वाओ त लालू प्रसाद का ऊं करतबों तै याद कारो जु वूनं रेल मंत्री होंदा करी छ्या . भारत इ क्या हावर्ड स्कूल तै बि ऊंन भरमाई कि भारतीय रेल मुनाफ़ा कमाणि च.
प्रतिज्ञा तै बार बार दोराण बि ना बुलणो एक ब्यूंत च. जन भारतीय जनता पार्टी बार बार बुल्दी बल राम मन्दिर बणाण जरूरी च . बार बार प्रतिज्ञा दुराणो अर्थ ना ही हूंद.
ना बुलण मा एक शब्द भौति कामौ क च अर ओ शब्द च जरा मी हौरुं राय ल़े लीन्दो. क्वा सरकार च ज्वा नि बुल्दी कि जन समस्या तै सुळजाणो बान हम राजनैतिक अर सामाजिक स्तर पर एक राय बणाणो छंवां . जब क्वी एक राय बणाणो बात करणो ह्वाओ त समजी ल्याओ कि वु ना बुलणु च.
ना बुलणो भौत सा ब्यूंत छन पण मीम अर तुमम अबि बगत नी च कि मि सौब ब्यूँतूं बारा मा तुम तै बथौं . जब समौ आलो त जरुर मी तुम तै हौर जादा ब्यूंत बथौलु .
Copyright@ Bhishma Kukreti 29/8/2012
गढ़वाली हास्य व्यंग्य साहित्य जारी ..
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments