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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, August 22, 2012

दगुड़ कु महत्व


बोध कथा
             दगुड़  कु महत्व

कथा- भीष्म कुकरेती
दिवतौं रज़ा इंद्र डौरि गे. साफ़ छौ कि पृथ्वी मा ये धार्मिक मनिख का पुण्य इन्द्रासन तै धक्का दीणा छया.
इंद्र न एक रागस तै काम दे.

रागस पृथ्वी मा ग्याई अर धार्मिक मनिख से बुलण लगि," ये मनिख म्यार दगड चौपड़ खेल. जु तू जीति ग्याई त त्वे सोराग कु राज मीलल"

धार्मिक मनिख न पूछ ," अर जु मी हारि ग्यों त ?"

"त त्वे तै अपणी आत्मा मै दीण पोडल " रागस कु जबाब छौ

धार्मिक मनिख मानि ग्यायी अर चौपड़ कु खेल शुरू ह्वाई.

धार्मिक मनिख चौपड़ मा रागस से जीति ग्याई
धार्मिक मनिख न बोल" ला अब सोराग ?"

रागस न बोल," हं ! जु मनिख रागस क दगड ख्यालल , दगुड़ कारल उ त पापी ह्व़े जालो कि ना ?"
" हाँ !" धार्मिक मनिख कु उत्तर छौ

" त अब इखि पृथ्वी मा पाप कु भुगतान कौर " इन बोलिक रागस चलि ग्याई
आज बि वु धार्मिक मनिख पछताणु रौंद कि वैन एक घड़ी इ सै पापी आदिमौ दगुड़ किलै कार 

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