भीष्म कुकरेती
ब्रिटिश राज बिटेन गढ़वळि- कुमाउँनी भाषा तैं अफु तैं बचाण अर विकास करणों बाण भौत मेनत करण पोड़। आज शिक्षा माँ परिवर्तन अर अंदादुंद भजण/भजेड़ु (पलायन) से गढ़वळि- कुमाउँनी कु वजूद ही खतम हूणों अंदेशा ह्वे ग्ये।
इन मा यो जरूरी च बल गढ़वळि- कुमाउँनी भाषाओं तैं इन माध्यमों जरुरत पड़ी गे जू नयी साखी मा गढ़वळि- कुमाउँनी लगाव/प्रेम जगावो।
यद्यपि इन्टरनेट अबि भारतम केवल आठ प्रतिशत लोगुन तक ही पौंच फिर भि इंटरनेट मो महत्व गढ़वळि- कुमाउँनी भाषाओं बाण बढ़ी गे किलैकि इन्टरनेट माध्यम से गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्य बगैर खर्च कर्याँ बंचनेरूं (पाठक ) कुण उपलब्ध ह्वे जांद। फिर इंटरनेट धारक एक इलीट पाठक बि च तो समाज मा इंटरनेट धारक की कखि न कखि चलदी च तो ये पाठक पर घ्यारा (घेरा) डाळन आवश्यक बि च।
फेस बुक
इंटरनेट माँ एक नयो, नायब आयाम या माध्यम जुड़ आर वै माध्यम को नाम च फेस बुक।
फेस बुक इनि च जन गांवुं मा संजैत या व्यक्तिगत चौंतरौं माँ छुंयाळ छ्वीं लगांदन। अर हम सब्युं तैं पता च बल चौंतरा मा बैठ्याँ छुंयाळु जनसम्पर्क अर छ्वीं इना उना भिजणो बडो महत्व च। फेस बुक मा अधिकतर युवा पीढ़ी जुड़ी च। गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्यौ वास्ता
नै छिंवांळि से जुड़णो एक असरदार अर फैदामंद माध्यम च।
फेस बुक मा क्या क्या ह्वे सकद
फेस बुक मा गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्यौ प्रचार , प्रसार , संरक्षण का बहुत सा काम ह्वे सकदन। जो अन्य माध्यमों मा सरल नी च।
फेस बुक से साहित्यकार अपण मन माफिकौ हजारों लोगुं से व्यक्तिगत स्तर पर जुड़ि सकदन अर अपण साहित्य ऊं तक पौंछे सकदन।
फेस बुक मा आप बंचनेरूं प्रतिक्रिया अर रिसर्च माध्यम से गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्यकार बंचनेरूं रूचि जाणि सकुद
विश्वशनीय माध्यम
फेस बुक से चूँकि साहित्यकार अपण मन माफिक दगड्या खुज्यांद तो अमूनन साहित्यकार तैं विश्सनीय पाठक मिल जांदन।
ग्रुप बणाण
फेस बुक की खासियत च कि इख्मा क्वी बि अपण ग्रुप बणै सकद अर अपण बातों आदान प्रदान कौर सकुद
रोज नया बंचनेर जुड़े सक्यांदन
फेस बुक मा साहित्यकार रोज नया पाठक ज़ोड़ी सकुद।
अपण वेब साईट या ब्लौग की सूचना
यदि साहित्यकारन अपण ब्लौग बणायूं च तो वो अपण ब्लौग मुतालिक सूचना फेस बुक से हजारों लोगुं तक पौंछे सकुद। गढ़वळि साहित्यकारों मादे सुनीता शर्मा , बालकृष्ण भट्ट, अनूप रावत, विजय गौड़, राजेन्द्र कुंवर फरियादी , गीतेश नेगी, प्रभात सेमवाल आदि अपण व्यक्तिगत साहित्य संबंधी ब्लौग को प्रचार प्रसार करणा रौंदन।
इनि निखालिस गढ़वळि- कुमाउँनी भाषाई ब्लौग जन कि छुयाँळ या पहाड़ी फोरम बि अपण ब्लौग को प्रचार प्रसार फेस बुक से करदन अर फेस बुक से लाभ उठांदन।
बड़ी साइटों जन कि मेरा पहाड़, बेडू पाको , लोकरंग, उत्तराखंड- ई-पत्रिका आदि बि अपन ब्लौग तैं फेस बुक का द्वारा प्रचारित करणा रौंदन।
प्रकाशन की सूचना
फेस बुक से साहित्यकार अपण किताबु प्रकासन की सूचना दे सकुद
पाठकों रूचि जाणणो माध्यम
फेस बुक पाठकों रूचि जाणणो सबसे बडो माध्यम च जो गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्यकारों सणि हौर ऑफलाइन माध्यमों मा उपलब्ध नी च
कवियुं कुण कवि सम्मेलन जन वातावरण
फेस बुक गढ़वळि- कुमाउँनी कवियों कुण एक महान बरदान च। फेस बुक मा अपणी कविता डाळो अर फटाफट बंचनेरूं प्रतिक्रिया पाओ।
गढ़वळि- कुमाउँनी गद्य माध्यम को विकास
हालांकि फेस बुक मा गढ़वळि- कुमाउँनी गद्य तैं उथगा पाठक नि मिल्दन जथगा गढ़वळि- कुमाउँनी पद्य तैं मिलदन पण यदि विषय आकर्षित ह्वावो तो गढ़वळि- कुमाउँनी बान फेस बुक से बढ़िया माध्यम मिलण कठण च।
समाचार सूचना से गढ़वळि- कुमाउँनी पढ़ाण ढबाण
यदि समाचार या सूचना गढ़वळि- कुमाउँनी मा दिए जावो तो जौं लोगुं तैं गढ़वळि- कुमाउँनी बंचण मा औसंद आंदी वो रोज गढ़वळि- कुमाउँनी सूचना पौढ़ीक ढबे जाला
भक्त पाठक बणाणो नायब माध्यम
फेस बुक से साहित्यकार समर्पित पाठक तैयार करि सकुद।
देव दूत बणाणो माध्यम
साहित्यकारों तैं केवल समर्पित पाठक हि नि चएंदन बलकण मा इन देव दूत पाठक बि चएंदन जो साहित्यकार को प्रचार -प्रसार बि कारन। फेस बुक से गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्यकार अपण देव दूत तियार करि सकदन जो साहित्यकार को प्रचार प्रसार कारन।
फेस बुक गढ़वळि- कुमाउँनी भाषा सहित्यौ बान एक संजीवनी बणिक आई तो गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्यकारों तैं फेस बुक से फायदा उठाण चयेंद
Copyright@ Bhishma Kukreti 15/7/2013
ब्रिटिश राज बिटेन गढ़वळि- कुमाउँनी भाषा तैं अफु तैं बचाण अर विकास करणों बाण भौत मेनत करण पोड़। आज शिक्षा माँ परिवर्तन अर अंदादुंद भजण/भजेड़ु (पलायन) से गढ़वळि- कुमाउँनी कु वजूद ही खतम हूणों अंदेशा ह्वे ग्ये।
इन मा यो जरूरी च बल गढ़वळि- कुमाउँनी भाषाओं तैं इन माध्यमों जरुरत पड़ी गे जू नयी साखी मा गढ़वळि- कुमाउँनी लगाव/प्रेम जगावो।
यद्यपि इन्टरनेट अबि भारतम केवल आठ प्रतिशत लोगुन तक ही पौंच फिर भि इंटरनेट मो महत्व गढ़वळि- कुमाउँनी भाषाओं बाण बढ़ी गे किलैकि इन्टरनेट माध्यम से गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्य बगैर खर्च कर्याँ बंचनेरूं (पाठक ) कुण उपलब्ध ह्वे जांद। फिर इंटरनेट धारक एक इलीट पाठक बि च तो समाज मा इंटरनेट धारक की कखि न कखि चलदी च तो ये पाठक पर घ्यारा (घेरा) डाळन आवश्यक बि च।
इंटरनेट माँ एक नयो, नायब आयाम या माध्यम जुड़ आर वै माध्यम को नाम च फेस बुक।
फेस बुक इनि च जन गांवुं मा संजैत या व्यक्तिगत चौंतरौं माँ छुंयाळ छ्वीं लगांदन। अर हम सब्युं तैं पता च बल चौंतरा मा बैठ्याँ छुंयाळु जनसम्पर्क अर छ्वीं इना उना भिजणो बडो महत्व च। फेस बुक मा अधिकतर युवा पीढ़ी जुड़ी च। गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्यौ वास्ता
नै छिंवांळि से जुड़णो एक असरदार अर फैदामंद माध्यम च।
फेस बुक मा क्या क्या ह्वे सकद
फेस बुक मा गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्यौ प्रचार , प्रसार , संरक्षण का बहुत सा काम ह्वे सकदन। जो अन्य माध्यमों मा सरल नी च।
फेस बुक से साहित्यकार अपण मन माफिकौ हजारों लोगुं से व्यक्तिगत स्तर पर जुड़ि सकदन अर अपण साहित्य ऊं तक पौंछे सकदन।
फेस बुक मा आप बंचनेरूं प्रतिक्रिया अर रिसर्च माध्यम से गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्यकार बंचनेरूं रूचि जाणि सकुद
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ग्रुप बणाण
फेस बुक की खासियत च कि इख्मा क्वी बि अपण ग्रुप बणै सकद अर अपण बातों आदान प्रदान कौर सकुद
फेस बुक मा साहित्यकार रोज नया पाठक ज़ोड़ी सकुद।
यदि साहित्यकारन अपण ब्लौग बणायूं च तो वो अपण ब्लौग मुतालिक सूचना फेस बुक से हजारों लोगुं तक पौंछे सकुद। गढ़वळि साहित्यकारों मादे सुनीता शर्मा , बालकृष्ण भट्ट, अनूप रावत, विजय गौड़, राजेन्द्र कुंवर फरियादी , गीतेश नेगी, प्रभात सेमवाल आदि अपण व्यक्तिगत साहित्य संबंधी ब्लौग को प्रचार प्रसार करणा रौंदन।
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गढ़वळि- कुमाउँनी गद्य माध्यम को विकास
हालांकि फेस बुक मा गढ़वळि- कुमाउँनी गद्य तैं उथगा पाठक नि मिल्दन जथगा गढ़वळि- कुमाउँनी पद्य तैं मिलदन पण यदि विषय आकर्षित ह्वावो तो गढ़वळि- कुमाउँनी बान फेस बुक से बढ़िया माध्यम मिलण कठण च।
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यदि समाचार या सूचना गढ़वळि- कुमाउँनी मा दिए जावो तो जौं लोगुं तैं गढ़वळि- कुमाउँनी बंचण मा औसंद आंदी वो रोज गढ़वळि- कुमाउँनी सूचना पौढ़ीक ढबे जाला
भक्त पाठक बणाणो नायब माध्यम
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साहित्यकारों तैं केवल समर्पित पाठक हि नि चएंदन बलकण मा इन देव दूत पाठक बि चएंदन जो साहित्यकार को प्रचार -प्रसार बि कारन। फेस बुक से गढ़वळि- कुमाउँनी साहित्यकार अपण देव दूत तियार करि सकदन जो साहित्यकार को प्रचार प्रसार कारन।
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments