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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, July 25, 2013

चलो दिल्ली शिफ्ट व्है जांदा जख पांच रूप्या मा खाणों मिलद !

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  प्रिथ्वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं पर   गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला ]


                          
चबोड़्या -चखन्योर्या -भीष्म कुकरेती 

घरवळिन पैल बार सुबेर सुबेर पुळेक-खुश ह्वेक ब्वाल- चलो अब रोज रोज सुबेर सुबेर कल्यो-नास्ता पकाणौ अर दिनौ-रातौ खाणो बणाणो झंझट से तो मुक्ति मीलि गे. 

मि-हैं ? अबि ब्वारि त लायि नि छे अर
 अबि बिटेन कल्यो-नास्ता पकाणौ झंझट से मुक्ति की छ्वीं-बत्था करण मिसे गे?घरवळि- ब्वारि? अजकाल त ब्वारी सासुक सुख की बात करदन त ब्वारि ऐ बि गे त मेकुण खाणा बणान से मुक्ति ठुका मील सकद I
मि-त सूण जु तीन खाणो बणाणो बान नौकरानी धरी याल त ना बोलि दे I जथगा पैसा मा नौकरानी आलि उथगा पैसा मा अपण जिठ्वा (जेठ नौनु ) तैं क्वी टेक्नीकल कोर्स करौला।

घरवळि-
नौकरानी ? अरे हमर औकात पुत्या लगाणो बान बाइ धरणै नी च त मि खाणो बणाणो बान नौकरानी धरणो सुपिन दिखुल क्या ?
मि-त फिर खाणो बणाणो बान सासू जी आणि छन?
घरवळि-
जांक नी नौळी तांक ल फौळी (जिस पौधे का तना नही उसके फल की कामना )I  इख तुमार तनखा हम चर्युं कुण नि पुगणि च अर मि ब्वे भट्योलु?

मि- त फिर त्वै खुण खाणो बणाणो झंझट से मुक्ति कनै ?
घरवळि-
 देखो ! एक अदिमौ एक बेळिक खाणौ खर्चा बारा रुपया तो नास्ता खर्चा चार रुपया प्रति जण अर हम चार जण छंवाँ त दिनौ अर रातौ खाणक को खर्चा ह्वे बारा गुणा आठ छियाणै रूप्या।
मि-कुज्याण क्या बुनि छे तू?
घरवळि-
अर ये हिसाब से सुबेर अर ब्यखुन्या नक्वळ (नास्ता) ह्वाइ आठ गुणे चार याने बतीस रूप्या। याने एक क दिनौ खर्च ह्वाई एक सौ अठाईस रुपया अर एक मैना क खर्च बैठदएक सौ अठाईस गुणे टेस बराबर तीन हजार आठ सौ चालीस रुपयाI ह्वाइ की ना?
मि-हाँ गणित त सै च?


घरवळि- 
अब मीन वै दूध वाळौ दगड़ बात करी याल वो सुबेर स्याम दुकानम बैठणो बान मी तैं पांच हजार रूप्या दीणों तयार च. तो जो रोजो खाणो खर्च आलो वो मि निभै द्योलु।
मि-ह्याँ पण  एक आदिमौ एक बेळिक खाणो खर्चा बारा रुपया अर नास्ता चार रुपया माँ कख मिलणु च? क्या तीन कै अनाथालय वाळो दगड़ बात करि याल क्या?
घरवळि-
 न्है न्है ! हम रोज  सुबेर, दिन अर रात होटलम खाणा खौलाँ।
मि- होटलम  चार रुप्या मा नास्ता?
घरवळि-
 हाँ जब एक फिट चौड़ि अर छै इंच उच्ची  भातै थाळी दाळ, साम्भर अर भुजी सहित होटलम मिल्दो तो नास्ता चार रुप्या मा ही मीलल कि ना?

मि-अरे पण कै गधा , कै बेवकूफन, कै पाजिन, कै अहमकन, कै लुच्चान , कै लफंगान, कै लद्दुन  बथाइ बल  मुंबई मा बारा रुप्या मा
 होटलम एक फिट चौड़ि अर छै इंच उच्ची  भातै थाळी दाळ, साम्भर अर भुजी मिलदो?
घरवळि-
देखो हाँ ! पूजनीय, आदरणीय, संस्कारी, विश्वासी  नेताओं तैं मूर्ख , पापात्मा, कमीना , नीच, शोहदा , बदमाश नि बुलण चयांद हाँ।  

मि-मि नेतओं बात नि करणु छौं मि त वै सिरफरा, नासमझ, अविश्वासी, चालू, पागल , बकवास करण वाळ, विश्वासघाती की बात करणु छौ जैन त्वै सरीखी सीदी-सादी जनानी तैं बुतरियाइ (मूर्ख बनाना) बल मुंबई मा बारा रुप्या मा भोजन थाळी मिल्दि।


घरवळि-
 त बारा रूप्या मा भोजन थाळी नि मिल्दि?
मि- अरे मुंबई का सबि फुटपाथों मा अदा गिलास चाय कम से कम सात रुपया मा मिलद तो भातै थाळी बारा रूप्या मा कनकै मील सकद?


घरवळि-
 तो क्या वैन झूठ बवाल कि मुंबई मा बारा रुपया मा भातै थाळी मिल्दि?
मि- हाँ वो सरासर अवश्य ही छटकु , झूठा , सत्यवादी , मिथ्यावादी , मक्कार, छली, धोखेबाज कपटी , धूर्त च जैन त्वैमा झूठ -मूठ ब्वाल बल मुंबई मा भातै थाळी बारा रूप्या मा मिलद। 


घरवळि-
नै ! मि तैं विश्वास नि होणु च कि इथगा बडो जुम्मेदार पद पर बैठिक क्वी खुलेआम , सब्युं समिण गैर जिमेदाराना, निर्लज्ज , जुलबाजी(धूर्तता) असत्य, बेवकूफ बणाण वाळ, बेशर्मी से इन बयान दे द्यालो ?
मि-अरे तू कैकि बात करणी छे ?


घरवळि-
 अपण कॉंग्रेसी प्रवक्ता राज बब्बरबबर की बात करणु छौं. ऊंनी बथाइ बल मुंबई मा बारा रूप्या मा भातै थाळी मिल्दि।
मि- देख मीन कथगा दै त्योखुण बोलि आल कि नेतओं बयानों पर विश्वास नि करण पण तू छे कि ….
घरवळि-
मि-घरवळि-मि-घरवळि-तो ये राज बब्बर, गरीबी को मजाक उड़ाई, गरीबुं उपहास कार ? 
मि-हाँ 

घरवळि-
हे नागरजा! जू तू सच छे तो ये राज बब्बर तैं इन गरीब बणै दे कि ये तैं देखिक फिर क्वी बि नेता गरीबुं मजाक नि उड़ाओ , गरीबुं उपहास नि कारों 
मि- हाँ त अबि से यूँ धूर्त, कपटी , झूटा, लम्पट, धुर्या  नेताओं का बयानों से सुपिन दिखण बंद कौरि दे
घरवळि-
 अच्छा चलो त दिल्लि शिफ्ट ह्वै जौंला।
मि- क्या मुंबई छोड़ि दिल्ली शिफ्ट ?
घरवळि-
 हाँ उख त पांच रूप्या मा पेट भोरिक खाणा मिलदो। 
मि- ह्याँ या बेवकूफी भरीं,  मुर्खता पूर्ण युक्त , झूठी, असत्य  सूचना कैन दे?
घरवळि-
 अरे कॉंग्रेसी नेता रसीद मसूद न एक बयानम बोलि बल  दिल्ली माँ पांच  रुपया मा भरपेट खाणक मिलदो।
मि- असम्भव . मसूद को बयांन  बि सरासर बकबास च 

घरवळि-
 हैं ! डाळ लागलि यूँ नेताओं सुफेद झुगली-टुपली, बुरळ पोड़ी जैन यूंक जीब पर, नि जीतेन यि कबी चुनाव ,  यूँ झूठा, बेशरम , बेहया , निर्ल्लज , नेताओं की जमानत जफ्त ह्वे जैन जो में सरीखा जनता तैं बेवकूफ बणाणा छन I  जु जु नेता गरीबुं मजाक उड़ाणा छन यूं तैं चुनाव मा लोग अपण क्षेत्र मा घुषण आणि नि देन धौं I


Copyright @
 Bhishma Kukreti  26/7/2013  

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