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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, July 29, 2013

गढ़वळिम नै नै मुहावरा ऐ गेन

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  प्रिथ्वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं पर   गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला ]


                          
चबोड़्या -चखन्योर्या -भीष्म कुकरेती 

          
   अजकाल हेरक भाषा मा चौतरफा बदलौ होणु च I भाषौं मा सबसे जादा बदलाव नई टेकनोलोजी अर राजनैतिक घटनाओं से होणु च I आज नया नया मुहावरा भाषौं तैं मिलणा छन , कुछ मुहावरा पैदा हूंदि मोरणा छन , कुछ कुछ दिनों माँ खतम ह्वे जान्दन कुछ नया मुहावरा दीर्घजीवी बि छन I 
 गढ़वळिम परिवर्तन स्थान को हिसाब से बि पैदा हूणा छन जनकि मुंबई मा मुहावरा अलग अर गढ़वाळ मा अलग I 
अब द्याखो ना अब क्वी नि बोल्दु बल तैनि घास या भ्यूँल चोरी कार सबि बोल्दन स्या लालू प्रसाद यादव ह्वे ग्यायि  I या तै गांवक लालू प्रसाद यादव छन I 
एक मुहावरा छौ 'मोळ माटौ मादेव " अब पता नि कख हर्ची ग्यायि यू मुहावरा अब लोग खाली इन बुल्दन - तैन कुछ नि कौर सकण स्यु त "मनमोहन सिंह" च I   
अब जन कि क्वी सभा सोसाइट्यूं माँ   चुप रावो तो बुले जांद बल स्यु '"मनमोहन सिंह " ह्वे ग्यायि I अब 'मौनी बाबा' बाबा शब्द आर्कियोलौजी किताबुं मा ही मिलद अब त नया  शब्द कुठारुं (डिक्शनरी) मा 'मौनी बाबा ' की जगा "मनमोहन सिंह " मिलद I 
एक दै जब महाराष्ट्र मा शिव सेना की सरकार छे अर प्रसिद्ध छौ कि मुख्यमंत्री को रिमोट कंट्रोल  त शिव सेना सुप्रीमो बाल ठाकरे मा च त लोगुन टीवी  रिमोट कंट्रोल को  नाम ही बाल ठाकरे धरी आल थौ  अर बुले  जांद थौ  बल बच्चों हात पर "बाल ठाकरे" नि दीण चयेंद हर समौ WWF  प्रोग्राम दिखणा रौंदन I 
एक कहावत छे बल "गोर्कटा मन्दिरौ पुजारी" अब यीं कहावत की जगा हैंकि कहावतन ली आल "धर्म निरपरेक्ष को ठेकेदार -नीतेश कुमार " 
हरेक समाजम  हरेक जुग  मा सच तैं झूठ अर झूठ बथाण वाळ मिलदन I अचकाल सच तैं झूठ अर झूठ बथाण वाळौ कुण बुले जांद " ले अफार ! स्यू पार्टी प्रवक्ता ऐ गे " I 
हमार गाँ मा अचकाल क्वी बि निरर्थक सरकारी काम ह्वावो या बेकार की योजना ह्वावो तो बुले जांद " द ले ! अब "'गूणि  बांदरूं कुण पुळ" बौणल" I  भौत दें जंगळ मा खाली कागजों मा पुळ बणन पर ये कहावत की उत्पति ह्वे I 
हमार गाँ मा एक कहावत छे बल जख जौ हुंदन उख ग्यूं बोलि त भुखमरी आली ही I सन साठ का करीब सरकारी हल्ला -गुल्ला बदौलत गांवुं मा जापानी ढंग से सट्यूं खेती करे गे अर वै साल लोगुंन चूड़ा तक नि चाख अर आज बि एक मुहावरा बुले जांद "पहाड़ों मा जापानी ढंग की खेती करिल्या त भूकि  मरिल्या" I 
कबी नजीकी भूतकाल मा एक बढ़िया कहावत छे "बूतो  मूस अर लौवू हूस " I याने कि काम क्वी कारो अर फैदा क्वी उठै जावो I अब या कहावत कै तैं याद नी च किलैकि अब यिं  कहावत की जगा नै कहावत ऐ ग्यायि अर वा कहावत च -"उत्तराखंड क्रांति दल"I 
एक कहावत या कथन छौ -स्या बड़ी कंद्यूरा च याने छुप कर छ्वीं सुणण वाळ च  अब त  गढ़वाली का साहित्यकार हि नि  जाणदन कि कंद्यूरा  बि क्वी शब्द छौ त आम जनता न क्या जाणन ! अब त बुले जांद स्या बड़ी स्टिंग ओपरेटर च I  
कहावतों मा सबसे जादा बदलाव टीवी विज्ञापन, मोबाइल, कम्प्यूटर  अर इंटरनेट से आइ I 
भाषा सबसे जादा संवेदनशील च वा परिर्तन तै भौत जल्दी अंगीकार करदी I  पैल बुले  जांद छौ "ब्वारि सऊर /सवर मुतणि से दिखे जांद अब बुले जांद " ब्वारीक  सवर मोबाइल रिंग टोन से जणे जांद " या " ब्वारि सवोर वींक  फेस बुक फ्रेंड्स प्रोफाइल से पता चल जांद"
मुहावरा वैज्ञानिक खोज से ही जादा प्रभावित होंद I पैल बुले  जांद छौ बल " मुख धूणो सवोर नी च अर घामौ चस्मा लगायाँ छन" I अचकाल बोले जांद बल " मुख धूणो सवोर नी च अर हथ पर स्मार्ट फोन च " I   
अजकाल जब बि कैक दगड़ इखुलि बात याने प्राइवेट मा बात करण  वो "तखलिया -तखलिया " नि बुलद ओ अब बुलद बल " जरा ऑफ लाइन मा बात करण छे" I 
पैल नेताओं बारा मा बुले जांद छौ कि नेता लोग जु सूचना दीणा छन वो विश्वसनीय नी हूंदन I अब अविश्वसनीय सूचना बारा मा बुले जांद "गारबेज  इन गारबेज आउट " I "गारबेज  इन गारबेज आउट " कम्प्यूटर की भाषा च पण अब आम भाषा बौणि गे I 
" मीन तेरी भौत सूण याल अब मेरि बि सूण " की जगा अब बुले जांद " अब मि तैं डाउनलोड करण दे" I कम्प्यूटर भाषा जद प्रचलन मा आण बिसे गे I 
पैल बुले जांद छौ अब मेरी  वींक या वैक दगड़ कुट्टी ह्वे ग्यायि अब बुले जांद "हमर लौग ऑफ" ह्वे ग्यायि 
अब इन नि बुले जांद कि "स्यु बकबास करणु च " अब त बुले जांद " स्यू स्पैम च" I 
अब क्वी लम्बो चौड़ो भाषण द्यावो या बात लम्बी कौरिक ब्वालो तो वै तैं कम से कम शब्दों मा बात करणों हिदैत इन दिए जांद " जी जरा SMS भौण /ढौळ (Type ) मा ब्वालो" I 
SMS साहित्य त नई भाषा इ लाणों तैयार बैठ्यूँ च I 
अचकाल बुले  जांद या खबर सब्युं माँ ट्वीट कर दिया हाँ  को सीधा साधा अर्थ हूँद बल यीं  बात तैं सबि जगा बथाण I 
  भाषा मा ताबड़तोड़  बदलाव से साबित होंद कि संस्कृति अर भाषा बगद नदी छन अर दुयुंम  बदलाव हूणा ही राला I 

Copyright @ Bhishma Kukreti  30/7/2013  

 
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  प्रिथ्वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं पर   गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]  

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