[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के प्रिथ्वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला ]
चबोड़्या -चखन्योर्या -भीष्म कुकरेती
मै लगणु च अचकाल क्लीन चिट पाणौ, दीणौ, लीणौ, दिखाणौ मौसम आयुं च I
ब्याळि ना परसि गजेन्द्र काका फ़ोन आयि बल - भीसम मि तैं क्लीन चिट मीलि ग्यायि।
मीन पूछ - कनो क्या व्है छौ ?
(हालांकि मै पता च बल गजेन्द्र काकान हम प्रवास्युं फर्जी बैंक आकौंट खोलिन अर मनरेगा , धनलीजा, दुसरौ -पाणि-पेजा जन स्कीम मा फरजी काम दिखैक हजारों झोल झाल कौरि छौ I अर बात गाँ से भैर नि जावो को कारण गाँ वाळुन जाणणो बान एक जांच समीति बणै छौ. मि त बिसरि गे छौ कि आज गजेन्द्र काकाक अफिक फोन आयि )
गजेन्द्र काका जबाब छौ - अरे वू म्यार विरोधी सुरेन्द्रन मी पर मनरेगा -धनलीजा, दुसरौ -पाणि-पेजा स्कीम मा धांधळी अभियोग लगै छौ ना ?
मीन दिखाणो बान ब्वाल मी - हाँ हाँ याद आई अर क्वी समीति बि बौण छे
गजेन्द्र काकन उत्साहित ह्वेक ब्वाल -हाँ हाँ अर वीं समीतिन मै तैं आजी क्लीन चिट दे आल
मीन पूछ -काका समीति मा कु कु छा ?
गजेन्द्र काकाक जबाब छौ - द्वी पंच अर एक भैराक सरपंच I
( मि जाणदो छौं बल - द्वी पंच छा एक त गजेन्द्र काकाकि घरवळी अर दगड्या मोहन (जै पर दुसर केस मा अभियोग लग्युं च) अर भैराक सरपंच छौ गजेन्द्र काकाक सडु भाइ )
मि - चलो भलु ह्वे ग्यायि कि क्लीन चिट मिलि ग्याइ।
गजेन्द्र काका - अछा सूण जथगा बि देहरादून अर गढ़वाल का अखबारों मा समाचार छपवाइ दे कि गजेन्द्र को क्लीन चिट मीलि ग्यायि I
मीन बोल - ठीक च
गजेन्द्र काका -अर सूण कौंग्रेस का नेताओं इन्टरनेट साईट अर ट्वीटर मा बि ये समाचार तैं घुमै दे हाँ !
मि - कौंग्रेस की इन्टरनेट साइटों मा ये समाचारों क्या मतलब ?
गजेन्द्र - अरे सि लोक सभा चुनाव आणा छन कि ना ?
मि - हाँ
गजेन्द्र - तो मि चांदो कि कॉंग्रेसी सरकल मा म्यार नाम फैलि जावो
मि - लोक सभा चुनाव लड़नो इच्छा …… ?
गजेन्द्र - न्है रै . वो तो मि चाणो छौं कि लोक सभा चुनाव मा मि कौंग्रेस कु चुनावी एजेंट बणि जौं I यी त बगत च कुछ कमाणो!
गजेन्द्र काकान फोन धार कि सुरेन्द्र क फोन आई
(गजेन्द्र काका , सुरेन्द्र अर मि एकी थोक का छंवा अर एकी उमरा क छंवाँ )
सुरेन्द्र - भैजि मि तैं क्लीन चिट मीलि ग्यायि।
मि - क्यांकुण ?
( उन मि तैं पता च बल सुरेन्द्रन पाख पख्यड़ुम "सुखा मा -कुछ तू खा -कुछ मि तैं बि देजा " स्कीम का तहत चार पांच कुंवा खुदै छा अर वांक तहकीकात का बान एक समीति बणी छे )
सुरेन्द्र - अरे खां मा खां गजेन्द्र काकान मैं पर "सुखा मा -कुछ तू खा -कुछ मि तैं बि देजा " स्कीम मा अभियोग लगाई छौ तो मि तैं क्लीन चिट मिलि ग्यायी।
(समीति मा पंच छा सुरेन्द्र की काकी अर सुरेन्द्र की फुफ्या सासूक जँवै अर भैराक सरपंच छौ सुरेन्द्रक मम्या ससुर )
मि - चलो भलु ह्वे ग्यायि त्वै तैं बि क्लीन चिट मीलि ग्यायि I
सुरेन्द्र - अच्छा सुणो ! वो अखबारों मा अर भाजापा का नेताओं की इंटरनेट साइटों मा ये सुखद समाचार फैले दे जरा I लोक सभा का चुनाव नजीक छन ना !
मि - क्या बात ! लोक सभा चुनाव लड़णाइ क्या ?
सुरेन्द्र - न्है न्है ! मि लोक सभा मा भाजापा क चुनाव एजेंट बणणो कोशिस मा छौं I यी त बगत च कुछ कमाणो !
गाँ ही ना सरा भारत मा अजकाल क्लीन चिट पाणों अर क्लीन चिट दीणो मौसम आयुं च I
भाजापा नरेंद्र मोदी तैं सेक्युलर होणो क्लीन चिट दीणि च त कौंग्रेस सज्जन कुमार अर जगदीस टाईटलर तैं बि सिख दंगों मा क्लीन बथाणि च.
इन्डियन क्रिकेट कंट्रोल बोर्डन म्याप्पन आद्युं तैं क्लीन चिट दे याल जन भाजापा अर कौंग्रेसन शिब्बू शोरण तैं क्लीन चिट दे I
सुणण मा आणु च बल इनकम टैक्स का मामला मा कौंग्रेस मुलायम सिंह यादव तैं क्लीन चिट दीण वाळ च I
भाजापा यदुरप्पा अर कौंग्रेस जगन रेडी तैं क्लीन चिट दीणौ अभ्यास करणा छन I
खैर भ्रष्टाचार्युं तैं क्लीन चिट मीलि बि जालो तो भि जनता तैं सबि क्लीन चिट मा गुवाण की गंध तो आली ही I
भले ही राजनीतिज्ञ ब्वालल कि अलण नेता क्लीन च पण लोगुं तैं वीं क्लीन चिट से चिराण (मुताण ) की गंध त आलि ही I
भले ही दंगा फिसाद कराण वाळु तैं सुफेद कागज मा क्लीन चिट मिलि भि जालि तो भी किड़ाण ( गोस्त भूनते वक्त की गंध ) अर गनैन (कीचड़ अर मूत के सयुंक्त गंध ) आली ही I
भले ही हे बलात्कारी नेता या अधिकारी तैं क्लीन चिट मीलि बि जावो तो भी की खिराण, खिकराण (तम्बाकू की गंध ) जनता की नाक बिटेन भैर नि जांदी।
भले ही कोयला घोटाला मा नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं अर अधिकार्युं तैं सुफेद कागज़ मा क्लीन चिट मील बि गे तो भी क्लीन चिट की धुवैण, भभलाण -भभकैण की गंध कतै नि जै सकदी ना ?
पब्लिक डिस्ट्रिब्युसन मा अनाज घोटाला मा सैकड़ों लोगुं तैं क्लीन चिट मिलणी रौंद पण क्लीन चिटों से जनता तैं खौंखेण (सड़े अनाज की गंध ) तो आली कि ना ?
जनता की नजरों मा क्लीन चिट केवल एक दिखावा च ढकोसला च
Copyright @ Bhishma Kukreti 29/7/2013
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के प्रिथ्वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
चबोड़्या -चखन्योर्या -भीष्म कुकरेती
मै लगणु च अचकाल क्लीन चिट पाणौ, दीणौ, लीणौ, दिखाणौ मौसम आयुं च I
ब्याळि ना परसि गजेन्द्र काका फ़ोन आयि बल - भीसम मि तैं क्लीन चिट मीलि ग्यायि।
मीन पूछ - कनो क्या व्है छौ ?
(हालांकि मै पता च बल गजेन्द्र काकान हम प्रवास्युं फर्जी बैंक आकौंट खोलिन अर मनरेगा , धनलीजा, दुसरौ -पाणि-पेजा जन स्कीम मा फरजी काम दिखैक हजारों झोल झाल कौरि छौ I अर बात गाँ से भैर नि जावो को कारण गाँ वाळुन जाणणो बान एक जांच समीति बणै छौ. मि त बिसरि गे छौ कि आज गजेन्द्र काकाक अफिक फोन आयि )
गजेन्द्र काका जबाब छौ - अरे वू म्यार विरोधी सुरेन्द्रन मी पर मनरेगा -धनलीजा, दुसरौ -पाणि-पेजा स्कीम मा धांधळी अभियोग लगै छौ ना ?
मीन दिखाणो बान ब्वाल मी - हाँ हाँ याद आई अर क्वी समीति बि बौण छे
गजेन्द्र काकन उत्साहित ह्वेक ब्वाल -हाँ हाँ अर वीं समीतिन मै तैं आजी क्लीन चिट दे आल
मीन पूछ -काका समीति मा कु कु छा ?
गजेन्द्र काकाक जबाब छौ - द्वी पंच अर एक भैराक सरपंच I
( मि जाणदो छौं बल - द्वी पंच छा एक त गजेन्द्र काकाकि घरवळी अर दगड्या मोहन (जै पर दुसर केस मा अभियोग लग्युं च) अर भैराक सरपंच छौ गजेन्द्र काकाक सडु भाइ )
मि - चलो भलु ह्वे ग्यायि कि क्लीन चिट मिलि ग्याइ।
गजेन्द्र काका - अछा सूण जथगा बि देहरादून अर गढ़वाल का अखबारों मा समाचार छपवाइ दे कि गजेन्द्र को क्लीन चिट मीलि ग्यायि I
मीन बोल - ठीक च
गजेन्द्र काका -अर सूण कौंग्रेस का नेताओं इन्टरनेट साईट अर ट्वीटर मा बि ये समाचार तैं घुमै दे हाँ !
मि - कौंग्रेस की इन्टरनेट साइटों मा ये समाचारों क्या मतलब ?
गजेन्द्र - अरे सि लोक सभा चुनाव आणा छन कि ना ?
मि - हाँ
गजेन्द्र - तो मि चांदो कि कॉंग्रेसी सरकल मा म्यार नाम फैलि जावो
मि - लोक सभा चुनाव लड़नो इच्छा …… ?
गजेन्द्र - न्है रै . वो तो मि चाणो छौं कि लोक सभा चुनाव मा मि कौंग्रेस कु चुनावी एजेंट बणि जौं I यी त बगत च कुछ कमाणो!
गजेन्द्र काकान फोन धार कि सुरेन्द्र क फोन आई
(गजेन्द्र काका , सुरेन्द्र अर मि एकी थोक का छंवा अर एकी उमरा क छंवाँ )
सुरेन्द्र - भैजि मि तैं क्लीन चिट मीलि ग्यायि।
मि - क्यांकुण ?
( उन मि तैं पता च बल सुरेन्द्रन पाख पख्यड़ुम "सुखा मा -कुछ तू खा -कुछ मि तैं बि देजा " स्कीम का तहत चार पांच कुंवा खुदै छा अर वांक तहकीकात का बान एक समीति बणी छे )
सुरेन्द्र - अरे खां मा खां गजेन्द्र काकान मैं पर "सुखा मा -कुछ तू खा -कुछ मि तैं बि देजा " स्कीम मा अभियोग लगाई छौ तो मि तैं क्लीन चिट मिलि ग्यायी।
(समीति मा पंच छा सुरेन्द्र की काकी अर सुरेन्द्र की फुफ्या सासूक जँवै अर भैराक सरपंच छौ सुरेन्द्रक मम्या ससुर )
मि - चलो भलु ह्वे ग्यायि त्वै तैं बि क्लीन चिट मीलि ग्यायि I
सुरेन्द्र - अच्छा सुणो ! वो अखबारों मा अर भाजापा का नेताओं की इंटरनेट साइटों मा ये सुखद समाचार फैले दे जरा I लोक सभा का चुनाव नजीक छन ना !
मि - क्या बात ! लोक सभा चुनाव लड़णाइ क्या ?
सुरेन्द्र - न्है न्है ! मि लोक सभा मा भाजापा क चुनाव एजेंट बणणो कोशिस मा छौं I यी त बगत च कुछ कमाणो !
गाँ ही ना सरा भारत मा अजकाल क्लीन चिट पाणों अर क्लीन चिट दीणो मौसम आयुं च I
भाजापा नरेंद्र मोदी तैं सेक्युलर होणो क्लीन चिट दीणि च त कौंग्रेस सज्जन कुमार अर जगदीस टाईटलर तैं बि सिख दंगों मा क्लीन बथाणि च.
इन्डियन क्रिकेट कंट्रोल बोर्डन म्याप्पन आद्युं तैं क्लीन चिट दे याल जन भाजापा अर कौंग्रेसन शिब्बू शोरण तैं क्लीन चिट दे I
सुणण मा आणु च बल इनकम टैक्स का मामला मा कौंग्रेस मुलायम सिंह यादव तैं क्लीन चिट दीण वाळ च I
भाजापा यदुरप्पा अर कौंग्रेस जगन रेडी तैं क्लीन चिट दीणौ अभ्यास करणा छन I
खैर भ्रष्टाचार्युं तैं क्लीन चिट मीलि बि जालो तो भि जनता तैं सबि क्लीन चिट मा गुवाण की गंध तो आली ही I
भले ही राजनीतिज्ञ ब्वालल कि अलण नेता क्लीन च पण लोगुं तैं वीं क्लीन चिट से चिराण (मुताण ) की गंध त आलि ही I
भले ही दंगा फिसाद कराण वाळु तैं सुफेद कागज मा क्लीन चिट मिलि भि जालि तो भी किड़ाण ( गोस्त भूनते वक्त की गंध ) अर गनैन (कीचड़ अर मूत के सयुंक्त गंध ) आली ही I
भले ही हे बलात्कारी नेता या अधिकारी तैं क्लीन चिट मीलि बि जावो तो भी की खिराण, खिकराण (तम्बाकू की गंध ) जनता की नाक बिटेन भैर नि जांदी।
भले ही कोयला घोटाला मा नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं अर अधिकार्युं तैं सुफेद कागज़ मा क्लीन चिट मील बि गे तो भी क्लीन चिट की धुवैण, भभलाण -भभकैण की गंध कतै नि जै सकदी ना ?
पब्लिक डिस्ट्रिब्युसन मा अनाज घोटाला मा सैकड़ों लोगुं तैं क्लीन चिट मिलणी रौंद पण क्लीन चिटों से जनता तैं खौंखेण (सड़े अनाज की गंध ) तो आली कि ना ?
जनता की नजरों मा क्लीन चिट केवल एक दिखावा च ढकोसला च
Copyright @ Bhishma Kukreti 29/7/2013
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के प्रिथ्वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments