भीष्म कुकरेती
बारह जुलाइ सन तेरह को जिन्होंने भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी द्वारा रणनीति के तहत एक लगभग हारा हुआ खेल जीतना देखा हो वे ख उठते होंगे कि धोनी के एक जुझारू खिलाड़ी ओर खेल नेता सिद्ध करने में एक और कड़ी सिद्ध हुयी। कप्तान के रूप में महेंद्र सिंह धोने ने नेतृत्व शास्त्र के लिए कई उदाहरण पेश किये और प्रबंध शास्त्रियों को महेंद्र सिंह धोनी के खेल करतबों से प्रबंध विज्ञान के लिए कई पाठ मिले।
अभिनव व अनुपम शैली याने अपनी प्रकृति को पहचानो
महेंद्र सिंह धोनी जब क्रिकेट संसार में भारतीय दल में शामिल हुए तो उन्हें क्रिकेट चुनाव दल के कई सदस्य भी नही जानते थे। किन्तु कुछ समय उपरान्त ही भारतीय क्रिकेट चुनवा दल ही नही लाखों भारतीय भी धोनी को पहचानने लगे। उनके स्म्काशी विकेट कीपर पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक धोनी से अधिक स्थापित हो चुके थे किन्तु कुछ ही अंतराल पश्चात पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक नेपिथ्य में चले गये। धोनी ने अपनी प्रतिष्ठा रन बनाने से नही अपितु रन कैसे बनाये जाते हैं से अर्जित की। धोनी की अभिनव बैटिंग शैली के कारण ण धोनी को विरोधी गेंदबाज नही समझ सके और धोनी रन बनाते गये।
धोनी की बैटिंग किताबी बैटिंग आज भी नही है बल्कि अपनी खोजी और रचित बैटिंग शैली है। भारतीय क्रिकेट कप्तानो में साफ कप्तान धोनी ने बैटिंग शैली इजाद की लेकिन नकल से नही किन्तु अपने शरीर और मन, बुद्धि व अहंकार के अनुसार अपनी बैटिंग शैली इजाद की। हैलीकॉप्टर शौट का इजाद धोनी ने किताबों व पुराने खिलाड़ियों के खेल से नही अपितु शौट की बुनावट अपने शरीर और मन, बुद्धि व अहंकार के अनुसार आतिशी शौट खोजा। नकल वाले शॉट की सबसे बड़ी खराबी होती है कि यदि नकल अपने शरीर , मन , बुद्धि व अहंकार के अनुरूप
न हो तो विफलता हाथ लगती है। यदि कार्य निरूपण शरीर और अपने मनोविज्ञान अनुरूप हो तो कार्य में सफलता सरलता से मिलती है। धोनी ने अपने शारीरिक बनावट अनुसार अपनी बैटिंग शैली न्रिधारित की ना कि नकल कर अपनी बैटिंग शैली को निखारा। किसी प्रसिद्ध खिलाड़ी की नकल से नुकसान यह होता है कि यदि खेल शैली खिलाड़ी की प्रकृति से मेल नही खाती तो खिलाड़ी निर्णायक समय पर सही नही खेलता है।
धोनी ने अपनी शैली इजाद की और शैली अपनी प्रकृति के हिसाब से इजाद व परिपक्व की।
धोनी के लम्बे बाल भी धोनी को परम्परा से अलग करते थे।
अहंकार प्रबंधन
महेंद्र सिंह धोनी ने जब राष्ट्रीय क्रिकेट क्षेत्र में पदार्पण किया तब भारतीय क्रिकेट दल में दुनिया के दिग्गज खिलाड़ी जैसे सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, गांगुली, अनिल कुंबले , वीरेन्द्र सहवाग, लक्ष्मण , जाहीर खान जैसे महान खिलाड़ी थे। धोनी ने अपने व्यवहार से इन सभी दिग्गजों के अहंकार को संतुष्ट भी किया और अपनी छाप छोड़ी। धोनी दिग्गज खिलाड़ियों का सम्मान करते हुए अपनी राय देते रहे होंगे तभी सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट बोर्ड को महेंद्र सिंह धोनी को कप्तान बनाने की सिफारिश की। अहंकार प्रबन्धन एक नत द्वारा रस्सी पर चलने वाला काम है। दिग्गज खिलाडियों के होते अपनी स्पष्ट राय देते समय अनुभवी व प्रसिद्द खिलाड़ियों का सम्मान और स्पष्टता में मध्य सामंजस्य करना सबके बस की बात नही है। फिर ट्वेंटी ट्वेंटी प्रतियोगिता जीतने के बाद माही को टेस्ट और फिफ्टी फोर्मेट का कप्तान बनाया गया तो धोनी ने वरिष्ठ खिलाड़ियों के पूर्वाग्रहों और अहंकार सही तरह से सम्भाला और इनके अहंकारों को सही भांति इस्तेमाल किया। दूसरे के अहंकार का प्रबंधन ही प्रबंधक का एक मुख्य कार्य होता है जो रांची के सूर्य धोनी ने किया। साथ साथ अपने से कनिष्ठ खिलाड़ियों को भी उभारा। कनिष्ठ खिलाड़ियों के अहंकार को उभारना भी प्रबंधन का एक मुख्य कार्य है जिसे महेंद्र ने सही ढंग से अंजाम दिया।
बदलाव प्रबन्धन का सही प्रबंध
नीतिकार कहते हैं कि प्रत्येक प्रबंधक को बदलाव प्रबंधन में माहीत होना चाहिए। महेंद्र सिंह धोनी का जीवन संघर्षमय रहा है और धोनी ने बदलाव प्रबंधन को बचपन से ही सीख लिया था। फ़ुटबाल गोल कीपर से क्रिकेट विकेट कीपर बनना धोनी के बदलाव प्रबंधन पर पकड़ का सबूत है। स्ट्रीट क्रिकेट से भारतीय क्रकेट का सूर्य बनने के पीछे धोनी में बदलाव प्रबंधन को सही ढंग से समझना और बदलाव प्रबंध को सही अंजाम देने की भी कहानी है। अनुभवी क्रिकेट खिलाड़ियों को सरलता पूर्वक नेतृत्व प्रदान करना और साथ साथ में नई पीढ़ी को अवसर प्रदान करना व उन्हें विकसित करते रहना महेंद्र सिंह धोनी का बदलाव प्रबंधन में प्रवीणता का एक उदाहरण है।
अनुकुलन प्रबन्धन
बदलाव प्रबन्धन की पहली शर्त है अनुकूलन प्रबंधन। धोनी अनुकूलन प्रबंधन में सिद्धहस्त है।
अपनी ही सृष्टि को समाप्त करना
विष्णु सहस्त्र नाम में कई बार विष्णु को अपनी ही सृष्टि या रचना को समाप्त करने वाला भी बताया गया है। जो अपनी सृष्टि को समाप्त करने में विश्वास रखता है वह भूतकाल को नही ढोता है और समय पड़ने पर अपने विकसित सिद्धांतो या नियमो को तिलांजलि देकर नई सृष्टि करता है। राहुल द्रविड़ , लक्ष्मण , सहवाग, जहीर खान , आदि को किनारे करने में चुनाव कमेटी का साथ देना यह साबित करता है कि महेंद्र सिंह धोनी नव निर्माण में पुरानी सृष्टि नष्टिकरण से नव निर्माण सिद्धांतो को समझता है।
वर्तमान में रहना
प्रत्येक प्रबंधक भुत , वर्तमान और भविष्य के झंकोलों में झोलता रहता है और या तो असफल प्रबंधक या असफल प्रबंधक साबित होता है। कोई प्रबंधक भूतकाल को अपने सिर पर ढोता रहता है और वर्तमान को समझ ही नही पाता और असफल हो जाता है। कई प्रबंधक भविष्य के डर से कई योग्य फैसले नही ले पाते और वर्तमान में मिले अवसरों को डुबा देते हैं। जिन्होंने धोनी के मैच शुरू होने से पहले बयानों को सूना होगा तो वे जानते हैं कि धोनी कहता है कि ब्याळि (कल ) क्या हुआ और भोळ (कल ) क्या होगा आज के मैच को नही जिता सकते हैं. वर्तमान के हिसाब से ही आज का मैच जीता जा सकता है. वर्तमान मे रहना काफ़ि कठिन काम है और धोनी वर्तमान मे रहने की कला जानता है. योगी ही वर्तमान मे रहते हैं और ल्वाली , लम्बगढ़ कुमाऊं का प्रवासी सचमुच में योगी है।
भावनाओं पर काबू करना और हर समय ठंडे दिमाग से सोचना केवल वही कर सकते हैं जो योगिक शैली प्रबंधन के रास्ते पर चलते हैं। धोनी हर समय एक ही वर्ताव करता है। अधिकतर देखा गया है कि महेंद्र सिंह धोनी ऐसे फैसले लेता है जो क्रिकेट किताब में हैं ही नही जैसे ट्वेंटी ट्वेंटी के फाइनल में तनावपूर्ण आखरी ओवर में जोगेन्दर शर्मा को बौलिंग थमाना और मैच जीतना या वर्तमान समय में जब इशांत शर्मा पिट रहा हो और भुवनेश कुमार अच्छी बौलिंग प्रदर्शन कर रहा हो फिर भी इशांत शर्मा से बौलिंग करा कर विकेट लिवाना आदि निर्णय दर्शाते हैं कि धोनी वर्तमान में जीता है।
ध्यान याने योगिक प्रबंधन पथ
महेंद्र सिंह धोनी की विशेषता है कि वह वर्तमान को ध्यान से जीतता है। चैम्पियन ट्रौफी से पहले भारतीय क्रिकेट मैच फिक्सिंग और स्वयम धोनी के सपोर्ट मैनजमेंट कम्पनिययां होने से धोनी के लिए परिस्थितियाँ सर्वथा प्रतिकूल थीं। किन्तु धोनी ने वर्तमान पर योगी की भाँती ध्यान दे कर भारतीय क्रिकेट को नई उंचाई प्रदान की। ध्यान स्थित रहना प्रत्येक खिलाड़ी व कप्तान के बस की बात नही है।
आचार विचार से ध्यान या ध्यान से आचार विचार?
क्रिकेट खिलाड़ी वास्तव में युवा होते हैं और उनमे भी वही उमंग और उछ्रिन्खलता होती जो है अन्य युवकों में होती है। इस दौरान कई योग्य खिलाड़ी शराब, जुआ व युवतियों के कुसंग में पड़ कर अपने खेल के स्तर क्षीण कर डालते हैं। विनोद काम्बली इसका जीता जागता उदाहरण है। आचरण शुद्धता, विचार शुद्धता अथवा अनुशासन खेलों के लिए अनिवार्यता है। ध्यान से आचरण शुद्ध होता है और आचरण शुद्धता से ध्यान जगता है। आचरण शुद्धता और वर्तमान इंगित ध्यान पृथक नही अपितु एक दूसरे के पूरक हैं। धोनी की प्रबंधन सफलता में आचरण शुद्धता का बड़ा हाथ है। आचरण शुद्धता व ध्यान ही धोनी को अपने टीम सदस्यों से विलक्षण बना देता है।
दबाब झेलने की क्षमता
यह सर्वविदित है कि मेहन्द्र सिंह धोनी किसी भी प्रकार के दबाब झेल सकता है। दबाब वही झेल सकता है जो वर्तमान में रहे , ध्यान में रहे और अचार विचार में शुद्ध हो। सफलता और असफलता को बोझ लेकर ढोने वाले दबाब नही झेल सकते हैं। गली क्रिकेट खेलने के कारण धोनी दबाब झेलने में अनुभवी है।
प्राकृतिक वृति आधारित निर्णय (इंस्टिंक्टिव डिसिजन)
दुनिया में कोई चीज इंस्टिक्टिव डिसिजन नही होती अपितु यह बचपन से निर्णय लेने हेतु शीघ्र अनुमान और आकलन करने के गुण के कारण होता है। शीघ्र अनुमान लगाना और उस परिश्थिति को अनुभवों से शीघ्र तौलना एक मानवीय विलक्षण गुण होता है जो माही में है। स्ट्रीट क्रिकेट खेलने से भी धोनी के इंस्टिक्टिव डिसिजन लेने की प्रवृति में सुधार हुआ।
अनुभव को उचित सम्मान देना
प्रबंधक को क्रूर निर्णय लेने पड़ते है। किन्तु अनुभव का सम्मान कभी भी नही भुला जाता। पाठक अनिल कुंबले का अंतिम टेस्ट की याद करेंगे तो याद करेंगे कि किस तरह महेंद्र सिंह धोनी ने भारत के सर्वश्रेष्ठ बौलर को अपने कंधे पर बिठाया और खेल मैदान में घुमाया। यह गुण दर्शाता है कि माही अनुभव को सर्वोचित सम्मान देता है। फिर सौरभ गांगुली के अंतिम टेस्ट में भी धोनी ने जीतते मैच के अंतिम समय में नेतृत्व सौरभ गांगुली को सौंपा। यह गुण एक विशेष पहाड़ी गुण भी माना जा सकता है।
अपने सदस्यों पर सम्पूर्ण भरोसा
धोनी ने साबित कर दिया है कि एक बार कोई भी टीम सदस्य बन जाय तो धोनी उस पर सम्पूर्ण भरोसा करता है और प्रत्येक सदस्य से उसकी विशेषता अनुसार कार्य सम्पादन करना जानता है
सम्मान द्वारा प्रतिद्वंदी को डराना
आदि काल से ही युद्ध में बाचाल प्रक्रिया द्वारा प्रतिद्वंदी को युद्ध से पहले ही धरासायी करने की नीति रही है। धोनी भी खेल युद्ध शुरू होने से पहले प्रतिद्वंदी को घायल करता है किन्तु धोनी की विशेषता है कि वह खेल से पहले व खेल होते हुए प्रतिद्वंदी को उचित सम्मान देकर धराशायी करता है।
असफलता का प्रबंधन
जीवन में असफलता आना एक अवश्यम्भावी आयाम है। राष्ट्रीय क्रिकेट क्षेत्र में आने के बाद धोनी के जीवन में अप्रतिम सफलता के साथ असफलताएं भी आयीं हैं। धोनी ने प्रत्येक असफलता को अवसर का एक बड़ा माध्यम बनाया। कप्तान बनने के बाद धोनी ने कई असफलताएं भी देखीं और हर असफलता के बाद धोनी ने सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये। धोनी के कट्टर आलोचक खिलाड़ी -टीकाकार जैसे कीर्ति आजाद, अशोक मल्होत्रा, मोहिन्दर अमरनाथ भी धोनी के असफलता प्रबंधन के प्रशंसा करे बगैर नही रह सकते हैं।
सफलता में भागीदार को समुचित सम्मान
धोनी अन्य क्रिकेट कप्तानो से सर्वथा अलग दिखता है। विशेष ट्रोफी जीतने के बाद धोनी नेपथ्य में चला जाता है और अपने सहयोगियों को सफलता का भागिदार बनाता है। महेंद्र सिंह धोनी वर्ल्ड कप 2011, चैम्पियन ट्रोफी 2013 में कप लेने के बाद नेपिथ्य में चला गया और अपनी टीम सदस्यों को सफलता का सुख उठाने का मौक़ा देना यह दर्शाता है की रांची का चेहता युवराज अपने साथियों की भागीदारी को सही समय पर सम्मान देता है। अभी अभी ट्राईन्गल सिरीज में कप लेने के लिए विराट कोहली को कप भागीदारी करने के लिए बुलाना दर्शाता है कि धोनी मानवीय प्रबंधन की बारीक से बारीकियों को जानता है। भागीदारों को समुचित भागीदारी देना का गुण टीम में उत्साह और प्रेरणा भरता है।
नई पौध विकास याने स्वर्णिम भविष्य
प्रबंधन में एक शब्द प्रयोग किया जाता है -व्हेयर इज रिजर्व ? या व्हेयर इज न्यू टैलेंट ? धोनी नई पौध खोजना और उन्हें विकसित करना जानता है।
मान्यतायों पर विश्वास
धोनी जब भी कोई बड़ी प्रतियोगिता जीतता है तो रांची में देवी मन्दिर में बकरा बली देता है। मान्यताओं पर विश्वास अपने आत्मविश्वास के लिए आवश्यक उपादान होता है।
उपरोक्त विश्लेषणों से सिद्ध होता है कि धोनी की सफलता के पीछे योगिक शैली प्रबंधन का प्रमुख हाथ है।
अंत में धोनी के लिए महान खिलाड़ी सुनील गावास्कर के शब्द - धोनी को समझना बहुत कठिन है। जब धोनी क्रिकेट से संन्यास लेगा तो किसी को गिलवे शिकवे नही बताएगा अपितु अपनी मोटर साइकल उठाएगा और कहीं दूर चला जाएगा।
Copyright@ Bhishma Kukreti 14/7/2013
बारह जुलाइ सन तेरह को जिन्होंने भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी द्वारा रणनीति के तहत एक लगभग हारा हुआ खेल जीतना देखा हो वे ख उठते होंगे कि धोनी के एक जुझारू खिलाड़ी ओर खेल नेता सिद्ध करने में एक और कड़ी सिद्ध हुयी। कप्तान के रूप में महेंद्र सिंह धोने ने नेतृत्व शास्त्र के लिए कई उदाहरण पेश किये और प्रबंध शास्त्रियों को महेंद्र सिंह धोनी के खेल करतबों से प्रबंध विज्ञान के लिए कई पाठ मिले।
महेंद्र सिंह धोनी जब क्रिकेट संसार में भारतीय दल में शामिल हुए तो उन्हें क्रिकेट चुनाव दल के कई सदस्य भी नही जानते थे। किन्तु कुछ समय उपरान्त ही भारतीय क्रिकेट चुनवा दल ही नही लाखों भारतीय भी धोनी को पहचानने लगे। उनके स्म्काशी विकेट कीपर पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक धोनी से अधिक स्थापित हो चुके थे किन्तु कुछ ही अंतराल पश्चात पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक नेपिथ्य में चले गये। धोनी ने अपनी प्रतिष्ठा रन बनाने से नही अपितु रन कैसे बनाये जाते हैं से अर्जित की। धोनी की अभिनव बैटिंग शैली के कारण ण धोनी को विरोधी गेंदबाज नही समझ सके और धोनी रन बनाते गये।
धोनी की बैटिंग किताबी बैटिंग आज भी नही है बल्कि अपनी खोजी और रचित बैटिंग शैली है। भारतीय क्रिकेट कप्तानो में साफ कप्तान धोनी ने बैटिंग शैली इजाद की लेकिन नकल से नही किन्तु अपने शरीर और मन, बुद्धि व अहंकार के अनुसार अपनी बैटिंग शैली इजाद की। हैलीकॉप्टर शौट का इजाद धोनी ने किताबों व पुराने खिलाड़ियों के खेल से नही अपितु शौट की बुनावट अपने शरीर और मन, बुद्धि व अहंकार के अनुसार आतिशी शौट खोजा। नकल वाले शॉट की सबसे बड़ी खराबी होती है कि यदि नकल अपने शरीर , मन , बुद्धि व अहंकार के अनुरूप
न हो तो विफलता हाथ लगती है। यदि कार्य निरूपण शरीर और अपने मनोविज्ञान अनुरूप हो तो कार्य में सफलता सरलता से मिलती है। धोनी ने अपने शारीरिक बनावट अनुसार अपनी बैटिंग शैली न्रिधारित की ना कि नकल कर अपनी बैटिंग शैली को निखारा। किसी प्रसिद्ध खिलाड़ी की नकल से नुकसान यह होता है कि यदि खेल शैली खिलाड़ी की प्रकृति से मेल नही खाती तो खिलाड़ी निर्णायक समय पर सही नही खेलता है।
धोनी ने अपनी शैली इजाद की और शैली अपनी प्रकृति के हिसाब से इजाद व परिपक्व की।
धोनी के लम्बे बाल भी धोनी को परम्परा से अलग करते थे।
अहंकार प्रबंधन
महेंद्र सिंह धोनी ने जब राष्ट्रीय क्रिकेट क्षेत्र में पदार्पण किया तब भारतीय क्रिकेट दल में दुनिया के दिग्गज खिलाड़ी जैसे सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, गांगुली, अनिल कुंबले , वीरेन्द्र सहवाग, लक्ष्मण , जाहीर खान जैसे महान खिलाड़ी थे। धोनी ने अपने व्यवहार से इन सभी दिग्गजों के अहंकार को संतुष्ट भी किया और अपनी छाप छोड़ी। धोनी दिग्गज खिलाड़ियों का सम्मान करते हुए अपनी राय देते रहे होंगे तभी सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट बोर्ड को महेंद्र सिंह धोनी को कप्तान बनाने की सिफारिश की। अहंकार प्रबन्धन एक नत द्वारा रस्सी पर चलने वाला काम है। दिग्गज खिलाडियों के होते अपनी स्पष्ट राय देते समय अनुभवी व प्रसिद्द खिलाड़ियों का सम्मान और स्पष्टता में मध्य सामंजस्य करना सबके बस की बात नही है। फिर ट्वेंटी ट्वेंटी प्रतियोगिता जीतने के बाद माही को टेस्ट और फिफ्टी फोर्मेट का कप्तान बनाया गया तो धोनी ने वरिष्ठ खिलाड़ियों के पूर्वाग्रहों और अहंकार सही तरह से सम्भाला और इनके अहंकारों को सही भांति इस्तेमाल किया। दूसरे के अहंकार का प्रबंधन ही प्रबंधक का एक मुख्य कार्य होता है जो रांची के सूर्य धोनी ने किया। साथ साथ अपने से कनिष्ठ खिलाड़ियों को भी उभारा। कनिष्ठ खिलाड़ियों के अहंकार को उभारना भी प्रबंधन का एक मुख्य कार्य है जिसे महेंद्र ने सही ढंग से अंजाम दिया।
बदलाव प्रबन्धन का सही प्रबंध
नीतिकार कहते हैं कि प्रत्येक प्रबंधक को बदलाव प्रबंधन में माहीत होना चाहिए। महेंद्र सिंह धोनी का जीवन संघर्षमय रहा है और धोनी ने बदलाव प्रबंधन को बचपन से ही सीख लिया था। फ़ुटबाल गोल कीपर से क्रिकेट विकेट कीपर बनना धोनी के बदलाव प्रबंधन पर पकड़ का सबूत है। स्ट्रीट क्रिकेट से भारतीय क्रकेट का सूर्य बनने के पीछे धोनी में बदलाव प्रबंधन को सही ढंग से समझना और बदलाव प्रबंध को सही अंजाम देने की भी कहानी है। अनुभवी क्रिकेट खिलाड़ियों को सरलता पूर्वक नेतृत्व प्रदान करना और साथ साथ में नई पीढ़ी को अवसर प्रदान करना व उन्हें विकसित करते रहना महेंद्र सिंह धोनी का बदलाव प्रबंधन में प्रवीणता का एक उदाहरण है।
अनुकुलन प्रबन्धन
बदलाव प्रबन्धन की पहली शर्त है अनुकूलन प्रबंधन। धोनी अनुकूलन प्रबंधन में सिद्धहस्त है।
अपनी ही सृष्टि को समाप्त करना
विष्णु सहस्त्र नाम में कई बार विष्णु को अपनी ही सृष्टि या रचना को समाप्त करने वाला भी बताया गया है। जो अपनी सृष्टि को समाप्त करने में विश्वास रखता है वह भूतकाल को नही ढोता है और समय पड़ने पर अपने विकसित सिद्धांतो या नियमो को तिलांजलि देकर नई सृष्टि करता है। राहुल द्रविड़ , लक्ष्मण , सहवाग, जहीर खान , आदि को किनारे करने में चुनाव कमेटी का साथ देना यह साबित करता है कि महेंद्र सिंह धोनी नव निर्माण में पुरानी सृष्टि नष्टिकरण से नव निर्माण सिद्धांतो को समझता है।
वर्तमान में रहना
प्रत्येक प्रबंधक भुत , वर्तमान और भविष्य के झंकोलों में झोलता रहता है और या तो असफल प्रबंधक या असफल प्रबंधक साबित होता है। कोई प्रबंधक भूतकाल को अपने सिर पर ढोता रहता है और वर्तमान को समझ ही नही पाता और असफल हो जाता है। कई प्रबंधक भविष्य के डर से कई योग्य फैसले नही ले पाते और वर्तमान में मिले अवसरों को डुबा देते हैं। जिन्होंने धोनी के मैच शुरू होने से पहले बयानों को सूना होगा तो वे जानते हैं कि धोनी कहता है कि ब्याळि (कल ) क्या हुआ और भोळ (कल ) क्या होगा आज के मैच को नही जिता सकते हैं. वर्तमान के हिसाब से ही आज का मैच जीता जा सकता है. वर्तमान मे रहना काफ़ि कठिन काम है और धोनी वर्तमान मे रहने की कला जानता है. योगी ही वर्तमान मे रहते हैं और ल्वाली , लम्बगढ़ कुमाऊं का प्रवासी सचमुच में योगी है।
भावनाओं पर काबू करना और हर समय ठंडे दिमाग से सोचना केवल वही कर सकते हैं जो योगिक शैली प्रबंधन के रास्ते पर चलते हैं। धोनी हर समय एक ही वर्ताव करता है। अधिकतर देखा गया है कि महेंद्र सिंह धोनी ऐसे फैसले लेता है जो क्रिकेट किताब में हैं ही नही जैसे ट्वेंटी ट्वेंटी के फाइनल में तनावपूर्ण आखरी ओवर में जोगेन्दर शर्मा को बौलिंग थमाना और मैच जीतना या वर्तमान समय में जब इशांत शर्मा पिट रहा हो और भुवनेश कुमार अच्छी बौलिंग प्रदर्शन कर रहा हो फिर भी इशांत शर्मा से बौलिंग करा कर विकेट लिवाना आदि निर्णय दर्शाते हैं कि धोनी वर्तमान में जीता है।
महेंद्र सिंह धोनी की विशेषता है कि वह वर्तमान को ध्यान से जीतता है। चैम्पियन ट्रौफी से पहले भारतीय क्रिकेट मैच फिक्सिंग और स्वयम धोनी के सपोर्ट मैनजमेंट कम्पनिययां होने से धोनी के लिए परिस्थितियाँ सर्वथा प्रतिकूल थीं। किन्तु धोनी ने वर्तमान पर योगी की भाँती ध्यान दे कर भारतीय क्रिकेट को नई उंचाई प्रदान की। ध्यान स्थित रहना प्रत्येक खिलाड़ी व कप्तान के बस की बात नही है।
क्रिकेट खिलाड़ी वास्तव में युवा होते हैं और उनमे भी वही उमंग और उछ्रिन्खलता होती जो है अन्य युवकों में होती है। इस दौरान कई योग्य खिलाड़ी शराब, जुआ व युवतियों के कुसंग में पड़ कर अपने खेल के स्तर क्षीण कर डालते हैं। विनोद काम्बली इसका जीता जागता उदाहरण है। आचरण शुद्धता, विचार शुद्धता अथवा अनुशासन खेलों के लिए अनिवार्यता है। ध्यान से आचरण शुद्ध होता है और आचरण शुद्धता से ध्यान जगता है। आचरण शुद्धता और वर्तमान इंगित ध्यान पृथक नही अपितु एक दूसरे के पूरक हैं। धोनी की प्रबंधन सफलता में आचरण शुद्धता का बड़ा हाथ है। आचरण शुद्धता व ध्यान ही धोनी को अपने टीम सदस्यों से विलक्षण बना देता है।
यह सर्वविदित है कि मेहन्द्र सिंह धोनी किसी भी प्रकार के दबाब झेल सकता है। दबाब वही झेल सकता है जो वर्तमान में रहे , ध्यान में रहे और अचार विचार में शुद्ध हो। सफलता और असफलता को बोझ लेकर ढोने वाले दबाब नही झेल सकते हैं। गली क्रिकेट खेलने के कारण धोनी दबाब झेलने में अनुभवी है।
प्राकृतिक वृति आधारित निर्णय (इंस्टिंक्टिव डिसिजन)
दुनिया में कोई चीज इंस्टिक्टिव डिसिजन नही होती अपितु यह बचपन से निर्णय लेने हेतु शीघ्र अनुमान और आकलन करने के गुण के कारण होता है। शीघ्र अनुमान लगाना और उस परिश्थिति को अनुभवों से शीघ्र तौलना एक मानवीय विलक्षण गुण होता है जो माही में है। स्ट्रीट क्रिकेट खेलने से भी धोनी के इंस्टिक्टिव डिसिजन लेने की प्रवृति में सुधार हुआ।
प्रबंधक को क्रूर निर्णय लेने पड़ते है। किन्तु अनुभव का सम्मान कभी भी नही भुला जाता। पाठक अनिल कुंबले का अंतिम टेस्ट की याद करेंगे तो याद करेंगे कि किस तरह महेंद्र सिंह धोनी ने भारत के सर्वश्रेष्ठ बौलर को अपने कंधे पर बिठाया और खेल मैदान में घुमाया। यह गुण दर्शाता है कि माही अनुभव को सर्वोचित सम्मान देता है। फिर सौरभ गांगुली के अंतिम टेस्ट में भी धोनी ने जीतते मैच के अंतिम समय में नेतृत्व सौरभ गांगुली को सौंपा। यह गुण एक विशेष पहाड़ी गुण भी माना जा सकता है।
अपने सदस्यों पर सम्पूर्ण भरोसा
धोनी ने साबित कर दिया है कि एक बार कोई भी टीम सदस्य बन जाय तो धोनी उस पर सम्पूर्ण भरोसा करता है और प्रत्येक सदस्य से उसकी विशेषता अनुसार कार्य सम्पादन करना जानता है
सम्मान द्वारा प्रतिद्वंदी को डराना
आदि काल से ही युद्ध में बाचाल प्रक्रिया द्वारा प्रतिद्वंदी को युद्ध से पहले ही धरासायी करने की नीति रही है। धोनी भी खेल युद्ध शुरू होने से पहले प्रतिद्वंदी को घायल करता है किन्तु धोनी की विशेषता है कि वह खेल से पहले व खेल होते हुए प्रतिद्वंदी को उचित सम्मान देकर धराशायी करता है।
जीवन में असफलता आना एक अवश्यम्भावी आयाम है। राष्ट्रीय क्रिकेट क्षेत्र में आने के बाद धोनी के जीवन में अप्रतिम सफलता के साथ असफलताएं भी आयीं हैं। धोनी ने प्रत्येक असफलता को अवसर का एक बड़ा माध्यम बनाया। कप्तान बनने के बाद धोनी ने कई असफलताएं भी देखीं और हर असफलता के बाद धोनी ने सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये। धोनी के कट्टर आलोचक खिलाड़ी -टीकाकार जैसे कीर्ति आजाद, अशोक मल्होत्रा, मोहिन्दर अमरनाथ भी धोनी के असफलता प्रबंधन के प्रशंसा करे बगैर नही रह सकते हैं।
सफलता में भागीदार को समुचित सम्मान
धोनी अन्य क्रिकेट कप्तानो से सर्वथा अलग दिखता है। विशेष ट्रोफी जीतने के बाद धोनी नेपथ्य में चला जाता है और अपने सहयोगियों को सफलता का भागिदार बनाता है। महेंद्र सिंह धोनी वर्ल्ड कप 2011, चैम्पियन ट्रोफी 2013 में कप लेने के बाद नेपिथ्य में चला गया और अपनी टीम सदस्यों को सफलता का सुख उठाने का मौक़ा देना यह दर्शाता है की रांची का चेहता युवराज अपने साथियों की भागीदारी को सही समय पर सम्मान देता है। अभी अभी ट्राईन्गल सिरीज में कप लेने के लिए विराट कोहली को कप भागीदारी करने के लिए बुलाना दर्शाता है कि धोनी मानवीय प्रबंधन की बारीक से बारीकियों को जानता है। भागीदारों को समुचित भागीदारी देना का गुण टीम में उत्साह और प्रेरणा भरता है।
नई पौध विकास याने स्वर्णिम भविष्य
प्रबंधन में एक शब्द प्रयोग किया जाता है -व्हेयर इज रिजर्व ? या व्हेयर इज न्यू टैलेंट ? धोनी नई पौध खोजना और उन्हें विकसित करना जानता है।
मान्यतायों पर विश्वास
धोनी जब भी कोई बड़ी प्रतियोगिता जीतता है तो रांची में देवी मन्दिर में बकरा बली देता है। मान्यताओं पर विश्वास अपने आत्मविश्वास के लिए आवश्यक उपादान होता है।
उपरोक्त विश्लेषणों से सिद्ध होता है कि धोनी की सफलता के पीछे योगिक शैली प्रबंधन का प्रमुख हाथ है।
अंत में धोनी के लिए महान खिलाड़ी सुनील गावास्कर के शब्द - धोनी को समझना बहुत कठिन है। जब धोनी क्रिकेट से संन्यास लेगा तो किसी को गिलवे शिकवे नही बताएगा अपितु अपनी मोटर साइकल उठाएगा और कहीं दूर चला जाएगा।
Copyright@ Bhishma Kukreti 14/7/2013
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