भीष्म कुकरेती
गढ़वळि-कुमाउंनी साहित्य की सबसे बड़ी कमजोरी
गढ़वळि-कुमाउंनी सहित्यौ सबसे बड़ी कमजोरी च कि गढ़वळि-कुमाउंनियूँ तैं पढ़णो ढब नी च. अर या हे कमजोरी गढ़वळि-कुमाउंनी साहित्यकारों बान एक चुनौती च.
गढ़वळि-कुमाउंनी साहित्य तैं जादा से जादा फुळण ही रणनीति हूण चयेंद
जब गढ़वळि-कुमाउंन्यूं तैं अपणी भाषा मा पढ़णो ढब नी च तो पैलो काम च कि पाठकों तैं भाषा पढ़ण ढबाये जावो। अर यांकुण यो जरुरी च कि जथगा तक ह्वे साको अपण साहित्य तैं वितरित कारो। पौधों पौलिनेसन या विकिरण जनि क्रिया -प्रक्रिया ही साहित्य फुलणों/वितरण मा प्रयोग हूण चयेंद। इन दिखण कि क्वी पढ़णु च कि ना बलकणम साहित्य फ्वाळो अर पाठक बणावो, वूं तैं पढ़ाण ढबावो। गढ़वळि-कुमाउंनी साहित्य बान एकी सिद्धांत च बल जखम इंटरनेट मा जगा च अपण साहित्य प्रकाशित कारो।
सोसल मीडिया प्रयोग फैदामंद च
गढ़वळि-कुमाउंनी साहित्य फुलणो बाण सोसल मीडिया सबसे जादा हितकारी च. इलै साहित्यकारों तैं जादा से जादा सोसल मीडिया मा या तो अपण साहित्य प्रकाशित करण चयेंद या ये माध्यम से अपण साहित्यौ प्रचार करण चयेंद।
सोसल मीडिया से फैदा
१- सोसल मीडिया से अवश्य ही पाठकुं मा वृद्धि होंदी
२- कुछ ब्लौगों या ग्रुप सदस्य प्रचार प्रसार मा साथ बि दींदन।
३ - सोसल मीडिया से साहित्यकार अपण ब्लौग का ट्रैफिक बढ़ान्दो।
४-सोसल मीडिया से झट पता लग जांद कि आपको साहित्य कथगा सफल च , जानदार च.
५- पाठकों रूचि अर बदलदी रूचि झट से पता चलि जांद
६ -साहित्यकारों तैं भागीदार साहित्यकार मिलदन
७- भक्त पाठकों संख्या मा वृद्धि होंद
८- सबसे जादा युवा पाठक सोसल मीडिया से मिलदन जो पारम्परिक माध्यमों मा नि मिलदन
कुछ प्रसिद्ध सोसल मीडिया माध्यम
आज ट्वीटर सबसे मान्य अर तेज इंटरनेट सोसल माध्यम च. पण शायद अबि गढ़वळि-कुमाउंनी पाठक अर साहित्यकार ये माध्यमौ इस्तेमाल कम हि करदन।
ब्लॉग्स/साईट - ब्लौग बडो महत्वपूर्ण माध्यम च. ब्यापारिक ब्लौग प्रयोग रैंकिंग मा ब्लौग 79 % च
लिंकदीन- लिंकदीन तैं व्यापारिक संस्थान भौत प्रयोग करदन अर लिंकदीन को रैंकिंग 78 % च.
फेसबुक - फेसबुक को रैंकिंग व्यापारिक क्षेत्र माँ 77% च पण व्यापारी सौ प्रतिशत फेस बुक प्रयोग करदन
यूट्यूब- यूट्यूब को रैंकिंग व्यापारिक क्षेत्र मा 41% च
सोसल बुकमार्किंग -रैंकिंग 38 % च
यांक अलावा गूगल , प्रिन्तिन्त्रेस्ट बि छन
यूट्यूब से कवियुं तै सर्वाधिक फैदा
गढवाली-कुमाउंनी कवियुं तैं यूट्यूब से बहुत फैदा ह्वे सकद. व्यंग्यकार बि यूट्यूब से फैदा उठै सकदन। अचकाल मोबाइल माध्यम से वीडियोग्रैफी क्रिक यूट्यूब मा कविता पाठ पाठकुं तक पौंछाण सरल च.
इंटरनेट रेडिओ
बेडुपाको साईट रेडिओ से साहित्य प्रसार करद, साहित्यकारों तैं बेडुपाको साईट से फैदा उठाण चयेन्द।
सबसे बड़ी बात च रणनिति बणाण अर रणनीति हिसाब से काम करण. इंटरनेट मा बगैर रणनीति फैदा नि होंद। किलैकि इंटरनेट मा तकनीक अर मनोविज्ञान द्वी दगड़ी काम करदन जो पारम्परिक माध्यमों से अलग च .
Copyright@ Bhishma Kukreti 21 /7/2013
गढ़वळि-कुमाउंनी साहित्य की सबसे बड़ी कमजोरी
गढ़वळि-कुमाउंनी सहित्यौ सबसे बड़ी कमजोरी च कि गढ़वळि-कुमाउंनियूँ तैं पढ़णो ढब नी च. अर या हे कमजोरी गढ़वळि-कुमाउंनी साहित्यकारों बान एक चुनौती च.
गढ़वळि-कुमाउंनी साहित्य तैं जादा से जादा फुळण ही रणनीति हूण चयेंद
जब गढ़वळि-कुमाउंन्यूं तैं अपणी भाषा मा पढ़णो ढब नी च तो पैलो काम च कि पाठकों तैं भाषा पढ़ण ढबाये जावो। अर यांकुण यो जरुरी च कि जथगा तक ह्वे साको अपण साहित्य तैं वितरित कारो। पौधों पौलिनेसन या विकिरण जनि क्रिया -प्रक्रिया ही साहित्य फुलणों/वितरण मा प्रयोग हूण चयेंद। इन दिखण कि क्वी पढ़णु च कि ना बलकणम साहित्य फ्वाळो अर पाठक बणावो, वूं तैं पढ़ाण ढबावो। गढ़वळि-कुमाउंनी साहित्य बान एकी सिद्धांत च बल जखम इंटरनेट मा जगा च अपण साहित्य प्रकाशित कारो।
सोसल मीडिया प्रयोग फैदामंद च
गढ़वळि-कुमाउंनी साहित्य फुलणो बाण सोसल मीडिया सबसे जादा हितकारी च. इलै साहित्यकारों तैं जादा से जादा सोसल मीडिया मा या तो अपण साहित्य प्रकाशित करण चयेंद या ये माध्यम से अपण साहित्यौ प्रचार करण चयेंद।
सोसल मीडिया से फैदा
१- सोसल मीडिया से अवश्य ही पाठकुं मा वृद्धि होंदी
२- कुछ ब्लौगों या ग्रुप सदस्य प्रचार प्रसार मा साथ बि दींदन।
३ - सोसल मीडिया से साहित्यकार अपण ब्लौग का ट्रैफिक बढ़ान्दो।
४-सोसल मीडिया से झट पता लग जांद कि आपको साहित्य कथगा सफल च , जानदार च.
५- पाठकों रूचि अर बदलदी रूचि झट से पता चलि जांद
६ -साहित्यकारों तैं भागीदार साहित्यकार मिलदन
७- भक्त पाठकों संख्या मा वृद्धि होंद
८- सबसे जादा युवा पाठक सोसल मीडिया से मिलदन जो पारम्परिक माध्यमों मा नि मिलदन
कुछ प्रसिद्ध सोसल मीडिया माध्यम
आज ट्वीटर सबसे मान्य अर तेज इंटरनेट सोसल माध्यम च. पण शायद अबि गढ़वळि-कुमाउंनी पाठक अर साहित्यकार ये माध्यमौ इस्तेमाल कम हि करदन।
ब्लॉग्स/साईट - ब्लौग बडो महत्वपूर्ण माध्यम च. ब्यापारिक ब्लौग प्रयोग रैंकिंग मा ब्लौग 79 % च
लिंकदीन- लिंकदीन तैं व्यापारिक संस्थान भौत प्रयोग करदन अर लिंकदीन को रैंकिंग 78 % च.
फेसबुक - फेसबुक को रैंकिंग व्यापारिक क्षेत्र माँ 77% च पण व्यापारी सौ प्रतिशत फेस बुक प्रयोग करदन
यूट्यूब- यूट्यूब को रैंकिंग व्यापारिक क्षेत्र मा 41% च
सोसल बुकमार्किंग -रैंकिंग 38 % च
यांक अलावा गूगल , प्रिन्तिन्त्रेस्ट बि छन
गढवाली-कुमाउंनी कवियुं तैं यूट्यूब से बहुत फैदा ह्वे सकद. व्यंग्यकार बि यूट्यूब से फैदा उठै सकदन। अचकाल मोबाइल माध्यम से वीडियोग्रैफी क्रिक यूट्यूब मा कविता पाठ पाठकुं तक पौंछाण सरल च.
बेडुपाको साईट रेडिओ से साहित्य प्रसार करद, साहित्यकारों तैं बेडुपाको साईट से फैदा उठाण चयेन्द।
सबसे बड़ी बात च रणनिति बणाण अर रणनीति हिसाब से काम करण. इंटरनेट मा बगैर रणनीति फैदा नि होंद। किलैकि इंटरनेट मा तकनीक अर मनोविज्ञान द्वी दगड़ी काम करदन जो पारम्परिक माध्यमों से अलग च .
Copyright@ Bhishma Kukreti 21 /7/2013
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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