भीष्म कुकरेती
अजकाल उत्तराखंड आपदा वजै से हंसण्या-चबोड़्या लेख लिख्याणु इ नी च तो मि अजकाल इंटरनेट माध्यमम गढ़वाळी साहित्य की खोजबीन करणु छौं.
आज मीन मेरा पहाड़ डॉट कौम मा गढ़वळि कवियों पर सर्वेक्षण कार कि कैक कथगा पाठक छन याने कै कवि तैं लोग कथगा दै विजिट करदन। तो सर्वेक्षण को फल तौळ च
merpahad.com मा दिनांक 19 जुलाई 2013 , सात बजी सुबेर कर्युं सर्वेक्षण
बाल कृष्ण ध्यानी अक्टूबर 2011 बिटेन पंवाण -- 90 -पेज --पाठक या विजिटर्स -46194 -हिंदी अरगढवाली कविता
पराशर गौड़,सितम्बर 2008 बिटेन पंवाण-- 13 पेज--पाठक या विजिटर्स-18836 -गढ़वळिकविता अर गढ़वाली व्यंग्य
डॉ नरेंद्र गौनियाल , मार्च 2012 बिटेन पंवाण-- 10 पेज--पाठक या विजिटर्स-11344 -गढ़वळिकविता , कथा अर कुछ हिंदी साहित्य
गीतेश नेगी , दिसम्बर 2010 बिटेन पंवाण-- 4पेज--पाठक या विजिटर्स-7412 -गढ़वळिकविता
विनोद जेठुड़ी, जनवरी 2011 बिटेन पंवाण-- 5 पेज--पाठक या विजिटर्स-6179 -गढ़वळिकविता
ब्रिजेन्द्र नेगी , अक्टोबर 2012 बिटेन पंवाण-- 12 पेज--पाठक या विजिटर्स-4827 -गढ़वळिकविता
वीरेन्द्र पंवार दिसम्बर 2011 बिटेन पंवाण-- 2 पेज--पाठक या विजिटर्स-3846 -गढ़वळिकविता
सुनीता शर्मा लखेड़ा, जुलाई 2012 बिटेन पंवाण-- 6 पेज--पाठक या विजिटर्स-3443 -गढ़वळिकविता, हिंदी -गढ़वाली गद्य
विजय गौड़, जुलाई 2012, बिटेन पंवाण--2 पेज--पाठक या विजिटर्स-1242 -गढ़वळिकविता
इखमा पाए गे बल बाल कृष्ण ध्यानी का विजिटर्स जादा छन.
आश्चर्य की बात च कि पराशर गौड़ जैन गढ़वाली साहित्य बान इंटरनेट माध्यम तै सबसे पैल अपणाइ वो विजिटर्स का मामला मा पैथर ही च.
जब मि बालकृष्ण ध्यानी क ब्लौग balkrishna-dhyani.blogspot.in मा ग्यों तो उखम बि चीन , फिनलैंड, कोल्हापुर , अमेरिका का पाठक पढ़ना छयाई या पिछ्ला चौबीस घंटा मा पाठकुन ब्लौग माप्रवेश कार. बाल कृष्ण ध्यानी ट्वीटर मा बि च तो फेस बुक माँ बि च
गूगल मा विजय गौड़ टाइप करण पर लोकरंग मा विजय गौड़ की कविता पैन याने विजय गौड़ को कोई अपण ब्लौग नी च या छैं च तोविजय गौड़ अपण ब्लौग को सर्च इंजिन मैक्शिमाइजेसन का बारा मा चिंतित नी च. गीतेश नेगी का भी तकरीबन यो ही हाल च.
डॉ नरेंद्र गौनियाल गूगल सर्च कारो तो गौनियल सबसे मथि बेडुपाको, फिर उत्तराखंड पत्रिका अर फिर मेरा पहाड़ अर पहाड़ी फोरम माँ गौनियाल दिखेंद
विनोद जेठुरी टाइप करण पर यू ट्यूब आन्दन , बुक ब्लौग अर फिर मेरा पहाड़ आंद.
सुनीता शर्मा लखेरा टाइप करण पेल मेरा पहाड़ आंद.
बालकृष्ण ध्यानी को विजिटर्स जादा किलै छन? कारण छन सबसे जादा साहित्य छपाण। अर फिर वै साहित्यौ विपणन ठीक से करण. शायद बालकृष्ण ध्यानी ही ट्वीटरपर च. यदि बाल कृष्ण ध्यानी को ब्लौग बि द्याखो तो ब्लौग बि आकर्षक च. जनसम्पर्क का मामला मा बि
बाल कृष्ण ध्यानी सबसे अगनै दिख्यांद।
विजिटर्स याने पाठक लाणों ब्यूंत
कॉमर्सियल या ब्यापारी ब्लौग का बान विजिटर्स लाणो तरीका ही इंटरनेट माँ गढ़वाली साहित्य बान सही तरीका जाला। कुछ टिप्स इन छन -
धाँसू लेख याने धाँसू साहित्य- सबसे पैलि शर्त च कि किलिंग या धाँसू साहित्य लिखे जावो। शीर्षक बि आकर्षक होणि चयेंद। साहित्यकारौ एकि उदेश्य हूण चयेंद जब बि पाठक कै साहित्यकार को पेज मा जावो तो वै तैं अपण मन मा बुलण चएंद- यु बढ़िया साहित्य च, ये तैं मि बुकमार्क कौरि लींदु, अपण दगड्यों तैं ये साहित्य की सूचना बि दीण जरूरी च
नेटवर्किंग - दुसरो साहित्य की बड़ाई कारो। जथगा जगा संभव च अपण साहित्य पौंछावो। फेसबुक, ट्वीटर, सोसल मीडिया की सहायता ल्यावो।
दोस्तुं मदद ल्यावो -दोस्तों से अपण साहित्य पर टिप्पणी लिखवावो अर वूं तै साहित्य वितरण योगदान करवावो
ग्रुप बणावो- गढ़वाळी कवितौं बान कवियुं ग्रुप बणावों अर सहकारिता सिद्धांत पर गढवाली साहित्य को प्रचार -प्रसार कारो
भक्त पाठकुं पर हमेशा ध्यान- भक्त बंचनेरूं पर रोज ध्यान द्यावो।
नया पाठक ख्वाजो- नया पाठक ख्वाजो अर ऊं तैं भक्त पाठक मा बदलो
मथ्या सर्वेक्षण से सिद्ध होंद कि इंटरनेट मा साहित्य छपण ही काफी नि च बलकणम साहित्यौ विपणन याने प्रचार बि एक आवश्यक शर्त च.
Copyright@ Bhishma Kukreti 18 /7/2013
अजकाल उत्तराखंड आपदा वजै से हंसण्या-चबोड़्या लेख लिख्याणु इ नी च तो मि अजकाल इंटरनेट माध्यमम गढ़वाळी साहित्य की खोजबीन करणु छौं.
आज मीन मेरा पहाड़ डॉट कौम मा गढ़वळि कवियों पर सर्वेक्षण कार कि कैक कथगा पाठक छन याने कै कवि तैं लोग कथगा दै विजिट करदन। तो सर्वेक्षण को फल तौळ च
merpahad.com मा दिनांक 19 जुलाई 2013 , सात बजी सुबेर कर्युं सर्वेक्षण
बाल कृष्ण ध्यानी अक्टूबर 2011 बिटेन पंवाण -- 90 -पेज --पाठक या विजिटर्स -46194 -हिंदी अरगढवाली कविता
पराशर गौड़,सितम्बर 2008 बिटेन पंवाण-- 13 पेज--पाठक या विजिटर्स-18836 -गढ़वळिकविता अर गढ़वाली व्यंग्य
डॉ नरेंद्र गौनियाल , मार्च 2012 बिटेन पंवाण-- 10 पेज--पाठक या विजिटर्स-11344 -गढ़वळिकविता , कथा अर कुछ हिंदी साहित्य
गीतेश नेगी , दिसम्बर 2010 बिटेन पंवाण-- 4पेज--पाठक या विजिटर्स-7412 -गढ़वळिकविता
विनोद जेठुड़ी, जनवरी 2011 बिटेन पंवाण-- 5 पेज--पाठक या विजिटर्स-6179 -गढ़वळिकविता
ब्रिजेन्द्र नेगी , अक्टोबर 2012 बिटेन पंवाण-- 12 पेज--पाठक या विजिटर्स-4827 -गढ़वळिकविता
वीरेन्द्र पंवार दिसम्बर 2011 बिटेन पंवाण-- 2 पेज--पाठक या विजिटर्स-3846 -गढ़वळिकविता
सुनीता शर्मा लखेड़ा, जुलाई 2012 बिटेन पंवाण-- 6 पेज--पाठक या विजिटर्स-3443 -गढ़वळिकविता, हिंदी -गढ़वाली गद्य
विजय गौड़, जुलाई 2012, बिटेन पंवाण--2 पेज--पाठक या विजिटर्स-1242 -गढ़वळिकविता
इखमा पाए गे बल बाल कृष्ण ध्यानी का विजिटर्स जादा छन.
आश्चर्य की बात च कि पराशर गौड़ जैन गढ़वाली साहित्य बान इंटरनेट माध्यम तै सबसे पैल अपणाइ वो विजिटर्स का मामला मा पैथर ही च.
जब मि बालकृष्ण ध्यानी क ब्लौग balkrishna-dhyani.blogspot.in मा ग्यों तो उखम बि चीन , फिनलैंड, कोल्हापुर , अमेरिका का पाठक पढ़ना छयाई या पिछ्ला चौबीस घंटा मा पाठकुन ब्लौग माप्रवेश कार. बाल कृष्ण ध्यानी ट्वीटर मा बि च तो फेस बुक माँ बि च
गूगल मा विजय गौड़ टाइप करण पर लोकरंग मा विजय गौड़ की कविता पैन याने विजय गौड़ को कोई अपण ब्लौग नी च या छैं च तोविजय गौड़ अपण ब्लौग को सर्च इंजिन मैक्शिमाइजेसन का बारा मा चिंतित नी च. गीतेश नेगी का भी तकरीबन यो ही हाल च.
डॉ नरेंद्र गौनियाल गूगल सर्च कारो तो गौनियल सबसे मथि बेडुपाको, फिर उत्तराखंड पत्रिका अर फिर मेरा पहाड़ अर पहाड़ी फोरम माँ गौनियाल दिखेंद
विनोद जेठुरी टाइप करण पर यू ट्यूब आन्दन , बुक ब्लौग अर फिर मेरा पहाड़ आंद.
सुनीता शर्मा लखेरा टाइप करण पेल मेरा पहाड़ आंद.
बालकृष्ण ध्यानी को विजिटर्स जादा किलै छन? कारण छन सबसे जादा साहित्य छपाण। अर फिर वै साहित्यौ विपणन ठीक से करण. शायद बालकृष्ण ध्यानी ही ट्वीटरपर च. यदि बाल कृष्ण ध्यानी को ब्लौग बि द्याखो तो ब्लौग बि आकर्षक च. जनसम्पर्क का मामला मा बि
बाल कृष्ण ध्यानी सबसे अगनै दिख्यांद।
धाँसू लेख याने धाँसू साहित्य- सबसे पैलि शर्त च कि किलिंग या धाँसू साहित्य लिखे जावो। शीर्षक बि आकर्षक होणि चयेंद। साहित्यकारौ एकि उदेश्य हूण चयेंद जब बि पाठक कै साहित्यकार को पेज मा जावो तो वै तैं अपण मन मा बुलण चएंद- यु बढ़िया साहित्य च, ये तैं मि बुकमार्क कौरि लींदु, अपण दगड्यों तैं ये साहित्य की सूचना बि दीण जरूरी च
नेटवर्किंग - दुसरो साहित्य की बड़ाई कारो। जथगा जगा संभव च अपण साहित्य पौंछावो। फेसबुक, ट्वीटर, सोसल मीडिया की सहायता ल्यावो।
दोस्तुं मदद ल्यावो -दोस्तों से अपण साहित्य पर टिप्पणी लिखवावो अर वूं तै साहित्य वितरण योगदान करवावो
ग्रुप बणावो- गढ़वाळी कवितौं बान कवियुं ग्रुप बणावों अर सहकारिता सिद्धांत पर गढवाली साहित्य को प्रचार -प्रसार कारो
भक्त पाठकुं पर हमेशा ध्यान- भक्त बंचनेरूं पर रोज ध्यान द्यावो।
नया पाठक ख्वाजो- नया पाठक ख्वाजो अर ऊं तैं भक्त पाठक मा बदलो
मथ्या सर्वेक्षण से सिद्ध होंद कि इंटरनेट मा साहित्य छपण ही काफी नि च बलकणम साहित्यौ विपणन याने प्रचार बि एक आवश्यक शर्त च.
Copyright@ Bhishma Kukreti 18 /7/2013
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments