[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के प्रिथ्वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला ]
चबोड़्या -चखन्योर्या -भीष्म कुकरेती
भौतुं कुण फेसबुक आज एक जीवनौ अभिन्न अंग ह्वे गे I फेसबुक नशा ह्वे गे I जु तुम जणण चांदा कि फेसबुकौ नशेड़ी छंवाँ कि तो द्याखो फेसबुक का नशेण्यू ख़ास गुण -चरेतर इन छन -
१- जु तुमन अपण कम्प्यूटर मा फेसबुक होमपेज च तो समजि ल्यावो तुम फेसबुकौ आदि ह्वे गेवां।
२-यदि तुम टॉप न्यूज अर रीसेंट न्यूज मा अंतर जाणदवाँ तो शर्तिया तुम फेसबुक का ब्यसनी छंवा
३-जु तुम विश्वास करदां कि फेस बुक दगड्या -दगड्याँणि बणाणो नायाब माध्यम च इखमा द्वी राय नि ह्वे सकद बल तुम फेसबुक पर आसक्त छंवाँ।
४-जु तुम बार बार अपण स्मार्ट फोन पर फेसबुक अपडेट दिखणा रौंदा तो कै तै पुछणै जरुरत नी च बल तुम फेसबुक पर मुग्ध छंवाँ
५-यदि तुम घड़्याँदा - सुचदा बल 5000 दोस्त बि कम होंदन तो तुम अवश्य ही फेस्बोक का रोगी छंवाँ I
६-जु तुम अपण पोस्ट पर अफिक 'लाइक ' करण गीजि गेवाँ तो तुम फेसबुक का गिज्याँ मनिख छंवाँ I
७-जु तुम अपण ब्लौग तैं फेसबुक मा पोस्ट करदां तो यकीनन तुम फेसबुकौ गुलाम अभ्यस्त छंवाँ I
८-यदि तुम तैं प्रोफाइल पेज अर फेस बुक पेज पता च त सचमुच मा तुम फेसबुक का ब्यसनी ह्वे गेवां I
९-जब तुमार दगड़्या टैग नि करद अर तुम तै बुरु लगद तो तुम फेसबुकौ नशाखोर ह्वे गेवाँ I
१०- यदि कैन तुम तैं अधिक पोस्टिंग का कारण अपण फ्रेंडलिस्ट से भैर कौरि आल तो शर्तिया तुम फेसबुक का अभ्यस्त , नशेबाज छंवां I
११-यदि तुमर मान्यता च बल फेस बुकौ दोस्त असली दोस्त छन तो तुम फेसबुक का व्यसनबाज छंवां I
१२-जब तुम इन बुलण गीजि गेवां कि -"ठैर मि अबि फेसबुक मा छौं " त मानी ल्यावो कि तुम फेसबुक का नसेड़ी छा I
१३-यदि तुम खांद दें बि इन समजदा कि तुम फेसबुक मा छंवाँ तो अवश्य ही तुम फेसबुक का गुलाम ह्वे गेवां I
१४-यदि फेसबुक का कारण तुम ऑफिस देर से जाँदा तो तुम फेसबुक का असक्त भक्त छंवाँ I
१५- यदि तुम अपण खाणकौ फोटो फेस बुक माँ पोस्ट करदां तो फिर तुम फेसबुकौ लतखोर , नशेडी छंवाँ I
१६- जु तुम दिन माँ आठ दस दै फेसबुक अपडेट बदलणा रौंदा तो डाक्टरम जाणै जरुरत नि च तुम फेसबुक का कुटैब का रोगी छंवाँ I
१७-जू तुम फेसबुक मा 'पोक ' करण अर ''प़ोक ' कराण जाणदा छा तो शत प्रतिशत तुम फेस बुक का बीमार आदतन नशेड़ी छंवाँ I
१८ -जु जो बि ल्याख वो तुमारि समज मा ऐ ग्यायी त शर्तिया तुम फेसबुक का नशेबाज, अभ्यस्त ह्वे गेवां I
Copyright @ क्यांक ? किलै ? कैकुण ?
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के प्रिथ्वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
चबोड़्या -चखन्योर्या -भीष्म कुकरेती
भौतुं कुण फेसबुक आज एक जीवनौ अभिन्न अंग ह्वे गे I फेसबुक नशा ह्वे गे I जु तुम जणण चांदा कि फेसबुकौ नशेड़ी छंवाँ कि तो द्याखो फेसबुक का नशेण्यू ख़ास गुण -चरेतर इन छन -
१- जु तुमन अपण कम्प्यूटर मा फेसबुक होमपेज च तो समजि ल्यावो तुम फेसबुकौ आदि ह्वे गेवां।
२-यदि तुम टॉप न्यूज अर रीसेंट न्यूज मा अंतर जाणदवाँ तो शर्तिया तुम फेसबुक का ब्यसनी छंवा
३-जु तुम विश्वास करदां कि फेस बुक दगड्या -दगड्याँणि बणाणो नायाब माध्यम च इखमा द्वी राय नि ह्वे सकद बल तुम फेसबुक पर आसक्त छंवाँ।
४-जु तुम बार बार अपण स्मार्ट फोन पर फेसबुक अपडेट दिखणा रौंदा तो कै तै पुछणै जरुरत नी च बल तुम फेसबुक पर मुग्ध छंवाँ
५-यदि तुम घड़्याँदा - सुचदा बल 5000 दोस्त बि कम होंदन तो तुम अवश्य ही फेस्बोक का रोगी छंवाँ I
६-जु तुम अपण पोस्ट पर अफिक 'लाइक ' करण गीजि गेवाँ तो तुम फेसबुक का गिज्याँ मनिख छंवाँ I
७-जु तुम अपण ब्लौग तैं फेसबुक मा पोस्ट करदां तो यकीनन तुम फेसबुकौ गुलाम अभ्यस्त छंवाँ I
८-यदि तुम तैं प्रोफाइल पेज अर फेस बुक पेज पता च त सचमुच मा तुम फेसबुक का ब्यसनी ह्वे गेवां I
९-जब तुमार दगड़्या टैग नि करद अर तुम तै बुरु लगद तो तुम फेसबुकौ नशाखोर ह्वे गेवाँ I
१०- यदि कैन तुम तैं अधिक पोस्टिंग का कारण अपण फ्रेंडलिस्ट से भैर कौरि आल तो शर्तिया तुम फेसबुक का अभ्यस्त , नशेबाज छंवां I
११-यदि तुमर मान्यता च बल फेस बुकौ दोस्त असली दोस्त छन तो तुम फेसबुक का व्यसनबाज छंवां I
१२-जब तुम इन बुलण गीजि गेवां कि -"ठैर मि अबि फेसबुक मा छौं " त मानी ल्यावो कि तुम फेसबुक का नसेड़ी छा I
१३-यदि तुम खांद दें बि इन समजदा कि तुम फेसबुक मा छंवाँ तो अवश्य ही तुम फेसबुक का गुलाम ह्वे गेवां I
१४-यदि फेसबुक का कारण तुम ऑफिस देर से जाँदा तो तुम फेसबुक का असक्त भक्त छंवाँ I
१५- यदि तुम अपण खाणकौ फोटो फेस बुक माँ पोस्ट करदां तो फिर तुम फेसबुकौ लतखोर , नशेडी छंवाँ I
१६- जु तुम दिन माँ आठ दस दै फेसबुक अपडेट बदलणा रौंदा तो डाक्टरम जाणै जरुरत नि च तुम फेसबुक का कुटैब का रोगी छंवाँ I
१७-जू तुम फेसबुक मा 'पोक ' करण अर ''प़ोक ' कराण जाणदा छा तो शत प्रतिशत तुम फेस बुक का बीमार आदतन नशेड़ी छंवाँ I
१८ -जु जो बि ल्याख वो तुमारि समज मा ऐ ग्यायी त शर्तिया तुम फेसबुक का नशेबाज, अभ्यस्त ह्वे गेवां I
Copyright @ क्यांक ? किलै ? कैकुण ?
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के प्रिथ्वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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