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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, May 29, 2014

उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश के नौ के नौ नव निर्वाचित सांसद पर्यटन व हिमालयी सरोकार में फिस्सडी हैं

 (Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series--71   
                                                      
उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 71    
  
                              
                                                              लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन  विक्रीप्रबंधन विशेषज्ञ )   

२०१४ के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश से सभी भाजपा पार्टी के निम्न सांसद चुने गए -
                   उत्तराखंड 
क्षेत्र -----------------------------सांसद 
पौड़ी -------------------------बीसी खंडूड़ी 
टिहरी ----------------------श्रीमती राज्य माला लक्ष्मी शाह 
हरिद्वार ----------------डा रमेश निशंक 
अल्मोड़ा ---------------अजय टमटा 
नैनीताल -------------भगत सिंह कोशियारी
                    हिमाचल प्रदेश 
कांगड़ा -----------------------शांता कुमार 
मंडी -----------------------------राम स्वरुप शर्मा 
हमीरपुर ---------------------अनुराग ठाकुर 
शिमला -------------------------वीरेंद्र कश्यप
 चुनाव रिजल्ट आने के बाद नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का भार संभाला और अपना मंत्रिमंडल गठन किया।  नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मध्य हिमालय क्षेत्र याने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से  किसी भी सांसद को स्थान नही मिला है।  
चूँकि आज मध्य हिमालय में उपरोक्त सांसदों में से कोई भी राष्ट्र स्तर   कद्दावर राजनेता भी नही है तो इनमे से मै भी अपना मंत्रिमडनल गठन करता तो इनमे से किसी को भी मंत्री नही बनवाता। 
नरेंद्र मोदी  गुजरात में कार्यकलाप और टूरिज्म पर दृढ विचारों के बल पर कहा जा सकता है कि प्रधान मंत्री को पर्यटन में रूचि है और नरेंद्र मोदी को सुयोग्य पर्यटन मंत्री की तलास अवश्य थी किन्तु   मध्य हिमालय क्षेत्र याने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से  किसी भी सांसद कोपर्यटन , पर्यावरण या ऊर्जा मंत्रालय ना मिलना संकेत देता है कि उपरोक्त किसी भी सांसद में पर्यटन की असली समझ नही के बराबर है। 
यदि हम पिछले दस -पंद्रह सालों में उत्तराखंड और हिमाचल के पर्यटन का विश्लेषण करें तो कहा जा सकता है कि यद्यपि इन दोनों राज्यों में पर्यटन विकास हुआ है किन्तु किसी भी राजनेता की काल्पनिक शक्ति जनित रणनीति के तहत इन दोनों राज्यों में पर्यटन विकास नही हुआ अपितु सम्पूर्ण भारत में पर्यटन बढ़ने से स्वयमेव इन दोनों राज्य में पर्यटन विकसित हो उठा। 
यदि उपरोक्त सांसदों में पर्यटन विकास में कोई अभिनव सोच होती तो अवश्य ही वह भारत का पर्यटन मंत्री होता।  मै उत्तराखंड के अनुभव से कह सकता हूँ कि उपरोक्त किसी भी सांसद में पर्यटन की अपनी समझ बिलकुल नही है और ना ही किसी भी उपरोक्त व्यक्तियों ने पर्यटन को समझने का कोई विशेष प्रयत्न ही किया है।  
                                          उत्तराखंड पर्यटन 
कोई भी उपरोक्त सांसद उत्तराखंड पर्यटन को आउट ऑफ बॉक्स सोच नही दे सका है। 
किसी भी उपरोक्त सांसदों ने उत्तराखंड के जनमानस को झिंझोड़ा है कि उत्तराखंडी पर्यटन उद्यम में आने को तत्पर हो सके हों। 
उपरोक्त सांसदों में तीन तो मुख्यमंत्री रह चुके हैं किन्तु इनमे से किसी के कार्यकाल के पर्यटन विपणन शैली के बारे में विपणन संसार में चर्चा हुई ही नही। यदि कोशियारी , निशंक व खंडूड़ी के मुख्यमंत्री काल में उत्तराखंड पर्यटन विपणन का विपणन जगत याने Marketing World में चर्चा नही हुयी तो यह साबित होता है कि इन तीनो की पर्यटन के बारे में कोई अभिनव सोच है ही नही।  यही कारण है कि इन तीनो को पर्यटन मंत्रालय के काबिल ही नही समझा गया है। अजय टमटा व राज्य लक्ष्मी शाह का भी पर्यटन में कोई सोच नही है। 
यदि इन पाँचों सांसदों में से किसी पास हिमालयी सरोकार की कोई अपनी अभिनव सोच होती तो भी इनमे से उसे अवश्य ही नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में अवश्य स्थान मिलता। 
यह भी कहा जा सकता है कि कोशियारी , निशंक , खंडूड़ी , टमटा और शाह पास जल संरक्षण , पर्यावरण , नदियां को जोड़ने की भी कोई सोच नही है।  
जब उत्तराखंड के सभी वर्गों से की आवाज उठती  कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी उत्तराखंड के सपने चूर चूर हो गए तो साफ़ है कि उत्तराखंड के राजनीतिज्ञों में , नदी -जोड़ो ,जल संरक्षण , वैकल्पिक ऊर्जा , पर्यावरण , वैकल्पिक कृषि, वैकल्पिक परिवहन के बारे में कोई सोच ही नही थी और ना है।  ये सभी   नदी -जोड़ो ,जल संरक्षण , वैकल्पिक ऊर्जा , पर्यावरण , वैकल्पिक कृषि, वैकल्पिक परिवहन    विषय पर्यटन के मुख्य अंग हैं  हमारे सांसद  दी -जोड़ो ,जल संरक्षण , वैकल्पिक ऊर्जा , पर्यावरण , वैकल्पिक कृषि, वैकल्पिक परिवहन  जैसे विषयों में फिस्सडी हैं.
और इसी लिए इनमे से किसी को मंत्री पद नही मिला।उपरोक्त सभी विषय हिमालयी सरोकार से भी जुड़े हैं यदि भविष्य में इनमे से किसी को भी मंत्रालय मिला भी तो वह इन सांसदों की व्यक्तिगत गुणों व सोच के कारण नही अपितु क्षेत्रीय संतुलन के कारण मिलेगा और वह भीख ही कहलाया जाएगा।  





Copyright @ Bhishma Kukreti  28 /5/2014  

Contact ID bckukreti@gmail.com
Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...

उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना शैलवाणी (150  अंकों मेंकोटद्वार गढ़वाल

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