हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
मि सुचणु थौ कि टिहरी लोकसभा प्रत्यासी माला राज्य लक्ष्मी शाह अर साकेत बहुगुणा जब चुनाव बगत या बाद मा मील होला तो दुयुंक क्या क्या बात ह्वे होलि।
साकेत बहुगुणा - गुड मॉर्निंग क्वीन औंटी !
माला राज्य लक्ष्मी शाह - ये बहुगुणा खानदान कु चिराग ! शरम नि आदि बौ कुण आंटी बुलंद ?अबि मेरी उमर इ क्या च ?
साकेत बहुगुणा -अब बुबा आपौकुण बैणि बुल्दन तो …
माला राज्य लक्ष्मी शाह -क्या हाल छन ?
साकेत बहुगुणा - बुरा हाल छन आँटी न बौ ना आंटी। तुमर क्या हाल छन।माला राज्य लक्ष्मी शाह- म्यार बि बुरा हाल छन यूँ टिरयाळु अर रमोलटाऊँ चक चक सुणी। काश मि बनारस से लड़दु।
माला राज्य लक्ष्मी शाह -देख ना ! एक चुनाव सभा मा जनता मि तैं पुछणी कि महारानी जी ! टिहरी मा शिक्षा का कुहाल छन।
साकेत बहुगुणा -हाँ मि तै बि ताना दीणा छा कि बुबाजीन शिक्षा मा सुधार का वास्ता क्या कार ?
माला राज्य लक्ष्मी शाह- अर अब त ऑलिव ऑइल बि बजार मा उपलब्ध च , बिस्किट छन, ब्रेड छन , क्या नि मिलदु बजार मा ? बजार जावन अर जु चयाणु च खरीद करिक ले आवन।
साकेत बहुगुणा -हद त तब ह्वाइ जब एक जगा लोग सिंचाई वास्ता पाणि की मांग करण बैठि गेन।
माला राज्य लक्ष्मी शाह -अरे ! अच्छी शिक्षा चयाणी च त अपण बच्चों तैं लंदन भ्याजो -देहरादून भ्याजो।
साकेत बहुगुणा -हाँ ! अपण बच्चो शिक्षा की जुमेवारी अफिक नि ले सकदन यी टिर्याळ -उत्तरकाशी का लोग !
माला राज्य लक्ष्मी शाह -हाँ ! अर पता च एक जगा त लोग बुलण बैठि गेन कि गूणी -बंदरों बजै से खेती नि हूणी च।
साकेत बहुगुणा -हाँ खेती करणै जरुरत ही क्या च ? अरे बजाराम इथगा बढ़िया क्वालिटिक बासमती मिलदी , पंजाब -हरयाणा क ग्युं मिल्दन तो बजार बिटेन अनाज खरीदी करद मोणी (गला ) टूटि गे यूं टिहरी वाळुक ? हम बि त बजार बिटेन अनाज खरीदंदा कि ना ?माला राज्य लक्ष्मी शाह- अर अब त ऑलिव ऑइल बि बजार मा उपलब्ध च , बिस्किट छन, ब्रेड छन , क्या नि मिलदु बजार मा ? बजार जावन अर जु चयाणु च खरीद करिक ले आवन।
साकेत बहुगुणा -हद ह्वे गे हद। पता च कुछ धुर्या मांग करणा छा कि गढ़वाली भाषा बचाणो कुछ कारो।
माला राज्य लक्ष्मी शाह- बेवकूफ लोग ! अरे गढ़वाल से लोग भैर नि जाला तो भारत मा भंडमंजों अर रसोईयों कमी नि पोड़ि जाली ?
साकेत बहुगुणा -वी त मी बि बुंलद। पता च कुछ लोग बुलणा छा कि सरकारी अस्पतालुं मा दवै बि नि छन अर डाक्टर बि नि छन।
माला राज्य लक्ष्मी शाह -हाँ ! जब हिंदी या अंग्रेजी से काम चल जांद तो तीसरी भाषा की क्या आवश्यकता ?
साकेत बहुगुणा -बड़ा ऐन गढ़वाली भाषा बचाण वाळ। अरे सरकार उर्दू पर खर्चा कारली कि बेकार की गढ़वाली भाषा पर ?
माला राज्य लक्ष्मी शाह -वी त मी बि बुलद कि आज संस्कृत बचाणो आंदोलन हूण चयेंद तो यी बेकार का लोग गढ़वाली भाषा की बात करदन। हम दुयुं तैं गढ़वाली नि आदि तो क्या हमर टट्टी -पिसाब नि खुलद क्या ?
साकेत बहुगुणा -पता च एक जगा लोग बुलणा कि गढ़वाल से पलायन हूणु च।माला राज्य लक्ष्मी शाह- बेवकूफ लोग ! अरे गढ़वाल से लोग भैर नि जाला तो भारत मा भंडमंजों अर रसोईयों कमी नि पोड़ि जाली ?
माला राज्य लक्ष्मी शाह -मुफतखोर छन जी सब मुफतखोर !
साकेत बहुगुणा -हाँ बीमारी इलाज का वास्ता देहरादून मा , दिल्ली मा नामी डाक्टर छन , प्राइवेट नर्सिंग होम छन। ऊख जैक इलाज नि करै सकदन इ लोग ?
माला राज्य लक्ष्मी शाह- कसम से मि तै नि पता। ह्वे सकुद च कि क्वी रामतीर्थ का तरां महात्मा रै होलु।
साकेत बहुगुणा -अब क्या प्रोग्राम च ?
माला राज्य लक्ष्मी शाह -अजी सब तैं मुफ्त की दवै चयाणी छन , लोभी , बिलंच कहींके
साकेत बहुगुणा -अच्छा यु श्रीदेव सुमन क्वा च ?
माला राज्य लक्ष्मी शाह -ह्वाल क्वी ग्राम प्रधान या आम आदमी पार्टीक क्वी नेता !
साकेत बहुगुणा -नै नै ! लोग मि तै पुछणा छा कि श्रीदेव सुमन की मूर्ति टुटणी च। माला राज्य लक्ष्मी शाह- कसम से मि तै नि पता। ह्वे सकुद च कि क्वी रामतीर्थ का तरां महात्मा रै होलु।
माला राज्य लक्ष्मी शाह -मि त चुनाव रिजल्ट आण तक शिमला घुमणो जाणु छौं। अर तू ?
साकेत बहुगुणा -मि सुचणु छौं मुंबई ह्वेक ऐ जौं। दियर इज मोर इंज्वॉयमेंट इन मुंबई।
माला राज्य लक्ष्मी शाह -दैट्स हंड्रेड पर्सेंट राइट। बाई बाई !
साकेत बहुगुणा -बाई बाई !
Copyright@ Bhishma Kukreti 11/5//2014
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*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
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