विचार -विमर्श -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
ब्याळि (८ /५/२०१४) बनारसौ दिन छौ।
ब्याळि बनारस्यूं दिन छौ।
कल काशी मा बगैर दिन बारौ कुम्भ छौ याने राजनीतिक कुम्भ छौ।
ब्याळि बगैर बातौ त ना पर बीजेपी तैं अपण बल बताणो दिन छौ।
ब्याळि भाजपान बनारस मा विरोध धरना दे कि बनारस अधिकारिन भाजपा याने मोदी तैं मीटिंग करणै, गंगा आरती मा शामिल हूणो इजाजत किलै नि दे।
ब्याळि मोदीक दिन छौ। सुबेर बिटेन -अधा रात तलक टीवी चैनलूं मा केवल अर केवल एकी खबर छे कि कााशी विश्वविद्यालयs समिण बीजेपी का एयर कंडीसनरी नेता अर जमीनी नेता धरना दीणा छन अर चार बजी ग्रामीण बनारस मा नरेंद्र मोदीन माँ -बेटा अर ऊंक थाली का चट्टा -बटौं तैं गाळी दीण अर फिर छै बजी भाजपा दफ्तर दिखणो जाण याने अठारा -बीस घंटा टीवी चैनलूं मा एकी न्यूज छे - नरेंद्र मोदी - नरेंद्र मोदी।
पर ये दौरान धरना मा अरुण जेटली पर गर्मी लग गे। बिचारन हमेशा ही वातानुकूलित जगा मा धरना दीणो नाटक -स्वांग करी छौ पैल दैं चवालीस डिग्री की गर्मी -लू लग अर जेटली तै समज मा आई कि किलै भाजपा वाळ वै तैं लोकसभा टिकट नि दींदन। भलो ह्वे कि पास मा इंडिया टीवी की वैन छे जखम जैक अरुण जेटलीन अपण गर्मी उतार। निथर त गर्मी से अरुण जेटली उखमी बेहोश हूण वाळ छौ। मीडियान या खबर दबै दे या दबाणो कोशिस कार। बात बि सै च जब जननेता तें गर्मी नि सयावो तो मीडिया बि क्या कौर सकुद छौ। अर उन बि बीजेपी का कार्यकर्ता या जनता जेटली कु थोबड़ा दिखणो थुका अयाँ छा। सुणन मा आयि कि अरुण जेटलीन बनारस को तापमान बढ़णो अभियोग समाजवादी पार्टी अर बनारसौ डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पर लगाइ अर अपण विरोध दर्ज बि कराइ।
बुरु तो यादव कुंवर अर राजा अखिलेश यादव तैं बि लग कि मीडिया वाळ झूट किलै बुलणा छन कि बनारस मा हजारों या लाखों लोग मोदी की एक झलक दिखणो सड़क पर अयां छा।
बुरु तो यादव सम्राट मुलायम सिंग तै बि लग कि मुसलमान किलै नरेंद्र मोदी तैं दिखणो ऐन। यादव सम्राट अर चुनावी बैंक मा मुस्लिम -यादव बैंक अकाउंट-धारक मुलायम सिंग यादवन नरेंद्र मोदी पर वोट बैंक की राजनीती करणो अभियोग लगै दे।
बुरु तो कॉंग्रेस तैं बि लग कि हमर राजकुमार तैं दिखणो बान मनिख तो छोड़ी कुकुर अर माख बि नि आंदन अर मोदी की एक झलक पाणो लोग किलै पागल हुयाँ छन। अर टीवी शो मा पागलपन की दशा मा कॉंग्रेसी प्रवक्ता अंट -शंट , बगैर तर्क का पागलपन कु बीमार बौळया जन बकबास करणा छा। सन 1969 से मि कॉंग्रेसी नेताओं बयान पढ़णु या सुणणु या दिखणु छौं किन्तु इन पागल जन बयान मीन कॉंग्रेस्यूं मान कबि ना पौढ़ , सूण या देख। एक हूंद कुतर्क अर एक हूंद मार खैक बौळयाण । ब्याळि टीवी चैनलुं मा कॉंग्रेसी इन बौळयाणा जन बुल्यां कैन कुकुर तैं पीटी दे हो अर वु कुत्ता खदुळ कुत्ता ह्वे गे हो।
मयावती तो डंडा खईं सर्पणी जन फुंकार मारणी छे। वींक ईर्ष्या या छे कि नरेंद्र मोदी अफु तैं पिछड़ाजातिक किलै बताणु च अर फिर गंगा आरती की बात किलै करणु च। मायावती कु दुःख समझ मा आंद बि च कि वा समझदी कि पिछड़ाजाति तैं बेवकूफ बणाणो एकाअधिकार तो केवल अर केवल मायावती तैं च अर नरेंद्र मोदी बि जब जातीय हिसाब से कमजोर तबका तैं बेवकूफ बणाण मा सफल ह्वे जावु तो मायावती तैं जलन हूण स्वाभाविक च।
सबसे बुरा हाल तो अपण झाडूबाज , सब पर कजीर लगाण वाळ अरविन्द केजरीवाल कु छौ। नरेंद्र मोदी तैं टीवी मा अधिक से अधिक कवरेज से केजरीवाल पर सबसे ज्यादा मिर्च लग , सबसे ज्यादा चिर्री लग। बनारस मा अरविन्द केजरीवाल हरेक टीवी पत्रकार का पास जाणु छौ अर बुलणु छौ कि नरेंद्र मोदी नाटक करणु च पर कै बि टीवी वाळन दस सेकंड से ज्यादा फूटेज अरविन्द केजरीवाल तैं नि दे। अब केजरीवाल की समझ मा आयि कि टीवी वाळ बि पुलिस वाळु तरां , वैश्यवृति तरां , राजनीतिकों तरां कैक नि हूंदन। टीवी वाळ वै तैं दिखांदन जै से टीआरपी बढ़द।
जनता कु क्या हाल च ? जनता तो बिचारी आसा मा च फिर "अब की बार" हो या "बार बार सबकी कॉंग्रेस" हो !
Copyright@ Bhishma Kukreti 9/5//2014
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*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
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