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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, May 12, 2014

खंडूड़ी जी ! हड़क सिंग जी ! गंगा जी मा फाळ मारणो (आत्महत्या ) इच्छा त ह्वे इ होलि ?

हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
 अब त गढवाळम चुनाव खत्म ह्वे गेन तो हमर नेता मे जनरल खंडूड़ी अर हड़क सिंग वै वै समय तैं समळणा होला जब चुनाव बगत पर दुयुं तैं आत्म हत्या करणो ज्यू बुले होलु।
मेजर जनरल (रि ) खंडूड़ी ! जरा बतावो त सै ये चुनाव (2014 , लोकसभा ) बगत कति दै आपक आत्महत्या करणै इच्छा ह्वे ?
हड़क सिंग जी मि तैं पूरा विश्वास च कि आप तैं बि भौत दै फांस खाणो ज्यू बुले होलु।  सिंग जी ! इन त बतावो कि कथगा दैं आत्महत्या करणो ज्यु बुल्याइ ?
हे पाठक आप ही बतावो कि दुयुं तैं 2014 का लोकसभा चुनाव लड़द दैं  फांस खाण , गंगा जी मा फाळ मारनो इच्छा तो अवश्य ही होइ होलि कि ना ?
क्या जब जनरल खंडूड़ीन दिन भर पहाड़ों से पलायन समस्या पर बेवकूफ , मुर्ख बणाणो भाषण दे होलु अर रात मा यखुली ह्वेक आत्मचिंतन करी होलु कि उत्तराखंड बणनो बाद द्वी तीन दै भाजपा  सरकार छे अर भाजपा पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र  पलायन समस्या पर क्वी ठोस नीति नि बणै साक तो अवश्य ही बिपिन चन्द्र खंडूड़ी तेन पंखा पर लटकीक आत्महत्या करणो इच्छा नि ह्वे होलि ?
जब हड़क सिंग जी चुनाव मा दिन भर जनता तैं मुर्ख बणाण वाळ अस्वासन दे देक थकी गे  होला तो एकांत का क्षणों मा हड़क सिंग जीन स्व-विश्लेषण करी हॉल कि उत्तराखंड मा वो बि कॉंग्रेसी सरकार मा मंत्री रयां छन अर ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या दिनों दिन कम होणी च तो अवश्य ही हड़क सिंग जी तैं चुल्लू भर पाणी मा डूबिक सुसाइड करणो ज्यु बुले होलु कि ना ?
जब दुयुंन आत्मचिंतन से पै होलु कि उंकी सरकारन पहाड़ समस्या का एक बि समाधान नि दे तो अवश्य ही दुयुं तैं डाळ पर ज्यूड लगैक फांस खाणो ज्यु त जरूर ह्वे होलु कि ना ?
जब खंडूड़ी जी अर हड़क सिंग जीन इखुल्या -यखुली सोची होल कि उत्तराखंड की पहाड़ी जनता तैं उत्तराखंड बणनो बाद बि रोजगार का वास्ता मैदानों तरफ भागण पोड़द तो आत्म ग्लानि मा दुयुं तै पहाड़ की चोटी से कुद्दी मारिक अपण जीवन  खतम करणो इच्छा बलवती ह्वे होलि कि ना ?
जब हड़क सिंग जी अर खंडूड़ी जीन ख़याल कौर होलु कि हमर दुयुंक पार्टीन जनता का सपना का चकनाचूर कार तो दुयुं तैं कै बड़ो ढुंग पर कपाळ फोड़िक मरणो इच्छा तो होइ होलि कि ना ?
जब दुयुं विचार करि होलु कि पहाड़ो मा अब शिक्षा को मतलब कुछ रै इ नि गे तो क्या दुयुं तै अफु तै अफिक खड्यारणो ज्यु नि बुले होलु ? 
जब दुयुंन चुनावी भ्रमण मा पै होलु कि पहाड़ों मा कृषि भूमि मा फसल की जगा लैन्टीना (कुर्री ) अर मळसु जाम्युं च तो अवश्य ही दुयुं तैं अपण नस काटिक खुदकशी करणो ज्यू  बुले होलु कि  ना ?
उत्तराखंड आंदोलन मा सुचे गे छौ कि पहाड़ो मा बागवानी उद्यम फलल -फूलल अर जब पिछ्ला चौदा सालुं मा कुछ नि ह्वे तो आत्मग्लानि मा हड़क सिंग अर खंडूड़ी कु अफु पर अफिक आग लगैक अपणि इहलीला समाप्त करणो ज्यु नि बुले होलु ?
जब दुयुंन आत्म विशलेषण करी होलु अर देखि होलु कि ना तो कॉंग्रेस अर ना ही भाजपा सरकारुंन उत्तराखंड तै पर्यटन उद्यम का वास्ता क्वी नया कारगर विकल्प दे तो अवश्य ही हड़क सिंग अर खंडूड़ी द्वी खुदकशी का वास्ता मूस मारणो जहर ढूंढणो इना ऊना भटकी होला कि ना ?
इनि कथगा ही क्षण ऐ होला जब हड़क सिंग अर खंडूड़ी अपणी नाकामयाबी से हताश ह्वेक आत्म हत्या जन पाप करणो तयार ह्वे होला। 
मेरी उत्तराखंड राज्य से गुजारिस च कि खंडूड़ी अर हड़क सिंग का चौतरफा , चौबीस घंटा चौकीदार लगै दिए जावन जाँसे यी द्वी आत्मचिंतन का बाद खुदकशी , आत्महत्या या सुसाइड नि करी द्यावन किलैकि नेता  जनता तै त बेवकूफ बणै सकुद पर अपणी आत्मा तै मूर्ख नि बणै सकुद। 



Copyright@  Bhishma Kukreti  10/5//2014 

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
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