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Sunday, February 11, 2018

चाउ मिन / चाउ में (Chow Mein ) भोजन व खानपान इतिहास

History of Chow  Mein  Food in Uttarakhand - 41    A                     
         
                    उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --   41 A
                     History of Agriculture , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes  in Uttarakhand -  71
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      आलेख -भीष्म कुकरेती (वनस्पति व सांस्कृति शास्त्री )
 यद्यपि उत्तराखंड में मारछा अथवा भोटिया जाति हजराओं सालों से रहती आयी है और वे 'चाउ में' खाते ही रहे होंगे किन्तु गैर मार्छा  लोगों ने कुछ वर्षों पहले चाउ में चखा भी नहीं होगा।  आज उत्तराखंड में चाउ मिन एक स्थानीय  भोजन बन ही चुका है। अति स्थानीय सड़कों पर चाय वाले भी चाउ मिन बेचते पाए जाते हैं।  यह फास्ट फ़ूड आज क्रेज बन चुका है। 
     1974  में उत्तराखंड में चीनी भोजन मुझे देहरादून के नेपाली व क्वालिटी होटल में सुनने मिला था।  तो शायद चीनी भोजन मसूरी व नैनीताल में भी मिलता रहा होगा. 
       कहा जाता है भारत में चीनी भोजन 1778  से कोलकत्ता में बनना शुरू हुआ था।  भारत में चीनी भोजन की शुरुवात कोलकत्ता से ही शुरू हुआ।  फिर मुंबई या दिल्ली जैसे शहरों में भी शुरू हुआ।  1992 तक बड़े शहरों में सभ्रांत होटलों में ही चीनी भोजन मिल पता था।  तब आम होटलों के बोर्डों पर नहीं लिखा होता था पंजाबी , साउथ इंडियन और चाइनीज डिशेज।  आज तो उत्तराखंड में सामन्य होटलों के साइन बोर्डों में लिखा होता है चाइनीज भोजन मिलेगा।  वास्तव में चाइनीज फ़ूड को आम लोगों तक प्रसारित करने का श्रेय नेस्ले कम्पनी द्वारा टू मिनट्स नोड्यूल्स के विज्ञापनों को जाता है।  आम लोग नोड्यूल्स के स्वाद से परिचित हुए और उनकी जिव्हा अन्य चीनी भोजन के बारे में उत्सुक हुई तो चीनी भोजन आज भारत ही नहीं दुनिया के हर कोने में मिल जाता है।  उत्तराखंड अपवाद नहीं है। 
      1992 के बाद छोटे शहरों में चीनी भोजन ने पाँव पसारने शुरू किया और मेट्रो शहरों में तो कोने ओने में चाइनीज कॉर्नर खुलने लग गए थे।  मुंबई व अन्य शहरों में नेपाली चीनी बनकर चीनी भोजन खिलाने लगे।  
      बहुत से चीनी भोजन वास्तव में वास्तविक चीनी भोजन है ही नहीं बल्कि मूल चीनी भोजन का भारतीयकरण है जैसे मंचूरियन , चिल्ली चिकन , मंचाऊ सूप ,स्प्रिंग रोल्स, सेजवान , फ्राइड राय और चाउ मिन  या चौ मिन।  जी हाँ भारतीय चाउ  मिन निखालिस चीनी 'चाउ में' का भारतीय रूप है। 
      चाउ /चौ कार्थ है घुमाना या घूमा कर फ्राई करना और में (मिन ) का अर्थ है नोड्यूल्स। 
      चीन में चाउ में बनाते समय नोड्यूल्स को भूना नहीं जाता बल्कि पानी में उबाल कर पानी निथार  कर उसमे ऊपर से हरा सलाद , व अंडे डाले जाते हैं  सोया सॉस आवश्यक अंग है।  किन्तु भारत में कढ़ाई में भून कर उसमे सब्जी व भारतीय मसाले मिलाकर  बनाये जाता है। अधिकाँशतह  देखा गया है कि भारत में सोया सौस  की जगह कैच अप प्रयोग होता है।  
     उत्तराखंड में भी नेस्ले के टू मिनट्स नोड्यूल्स के प्रचार के बाद चाउ मिन को प्रसारित होने में सरलता हुयी।  शायद सन  2000 के बाद उत्तराखंड में चाउ मिन का भयंकर क्रेज बढ़ा और आज चाउ मिन छोटे छोटे बजार में भी उपलब्ध है। ग्रामीण बजार से प्लास्टिक की थैलियों में भरकर चाउ मिन घर ले जाते हैं और फिर से गरम कर कहते हैं। हॉस्टलों में तो चाउ मिन खाना एक आवश्यकता सी बन गयी है।  उत्तराखंड में चाउ मिन कुछ अधिक तरीदार होता है।    

Copyright@Bhishma Kukreti Mumbai 2018

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