Religious and Educations Centers Of Uttarakhand in Mahabharata Epic
(महाभारत महाकाव्य में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म )
(महाभारत महाकाव्य में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म )
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उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) 17
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Medical Tourism Development in Uttarakhand (Medical Tourism History ) -17
(Tourism and Hospitality Marketing Management in Garhwal, Kumaon and Haridwar series--122 )
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 122
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य
महाभारत महाकाव्य में दक्षणियानन भाग में गढ़वाल को अति महत्व दिया गया है और लगता है कि वे महाभारत रचियता व्यासों का जन्म या तो गढ़वाल में हुआ था अथवा उन्होंने यहाँ जीवन बिताया था। महभारत में निम्न तीर्थों का उल्लेख हुआ है जो ऋषि धौम्य द्वारा पांडवों को सुनाया गया था -
गंगाद्वार के पास कनखल , कुब्जाम्रक , कुशावत , गंगाद्वार , नागतीर्थ , नील पर्वत , बिल्वक तीर्थ थे. अन्य तीर्थ थे - अगस्त्य वट , अग्निशिर , अंगार पर्ण ,अनगिराश्रम , गंगामहाद्वार , बलाका , भारद्वाज तीर्थ , भृगु तीर्थ , भृगुतुंग (उदयपुर पट्टी , हरिद्वार निकट ), बसुधारा आदि। यमुना स्रोत्र को भी तीर्थ मन गया है।
प्रय्ग शब्द का खिन प्रयोग नहीं हुआ है किन्तु संगम शब्द का प्रयोग हुआ है। इन तीर्थों में देव पूजन अथवा मंदिरों का वर्णन नहीं मिलता है। देवयतनों का उल्लेख केवल कण्वाश्रम प्रसंग में मिलता है। यह भी इतिहास सम्मत है कि मंदिर बौद्ध संस्कृति की देन है ना कि सनातन धर्मियों की।
महाभारत में उत्तराखंड में आश्रम
महाभारत में कुलिंद जनपद के अंतर्गत निम्न आश्रमों का वर्णन है -अंगिराश्रम , उपमन्यु आश्रम, कण्वाश्रम , देवलाश्रम , नर -नारायण आश्रम , भारद्वाज आश्रम।
महाभारत में उत्तराखंड में विद्या केंद्र
महाभारत में उत्तराखंड निम्न विद्या केंद्रों का वर्णन मिलता है -
व्यास आश्रम - व्यास आश्रम बद्रिकाश्रम में स्थित था। वहां केवल पांच शिष्य वेदाध्ययन करते थे -महाभाग सुमन्तु , महाबुद्धिमान जैमुनि , तपस्वी पैल , वैशम्पायन व व्यासपुत्र शुकदेव
शुकाश्रम - शुक आश्रम गंधमादन में स्थित था। शुक अस्त्र -शस्त्र , धनुर्विद्या का ज्ञान देते थे। पांडवों ने धनुर्विद्या यहीं प्राप्त की थी।
भारद्वाज आश्रम - भारद्वाज आश्रम गंगा द्वार के पास था और राजकुमार द्रुपद , द्रोण अदि यहाँ विद्या ग्रहण व धनुर्विद्या सीखते थे।
कण्वाश्रम - कण्वाश्रम भाभर में मालनी नदे तीर पर था और वास्तव में विश्व विद्यालय था जहां नाना प्रकार की विद्यायी सिखलाई जाती थीं। कण्वाश्रम के पास छोटे छोटे अन्य विद्या केंद्र भी थे।
आश्रमों में सभी तरह की विद्याएं दी जाती थीं। छात्रावास थे।
उपरोक्त तथ्यों से पता चलता है कि उत्तराखंड से शिक्षा निर्यात होती थी।
शिक्षा निर्यात विकासोन्मुखी होता है
देहरादून , श्रीनगर , पंत कृषि विश्वविद्यालय उदाहरण हैं की शिक्षा निर्यात वास्तव में शिक्षा पर्यटन ही है और उससे से स्थान का विकास होता है और प्लेस ब्रैंडिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। देहरादून में IMA , लाल बहादुर संस्थान , पेट्रोलियम संस्थान उदाहरण हैं कि किस तरह शिक्षण संस्थान स्थान को अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि दिला सकते हैं।
Copyright @ Bhishma Kukreti /2 //2018
Tourism and Hospitality Marketing Management History for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपणन
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
३- शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का इतिहास भाग -2 , पृष्ठ 335 ,359 -363
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