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चटोरा : भीष्म कुकरेती
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आजकल पकौड़ों में गर्माहट छायी है , पकौड़ा गर्मी के मारे भूरा हो रहा है तो कॉमरेड भी लाल पीले हो रहे हैं कि बजट का कुहाल देखो बल स्टॉक मार्किट भी ठंडा हो रहा है। पकौड़ों में स्वाद छिरकाने वाली चटनी की बात ही नहीं हो रही है। चटनी पकौड़े उद्यम को नीच कहने वालों के पास भी गयी किन्तु उन्होंने चटनी को जीब तो छोड़ो ट्वीटर में भी नहीं धरा जी। चटनी मारे मारे फिर रही है -- पकौड़े में नहीं है दम , बल नहीं है दम और बल मैं जो नहीं तो स्वाद है कम. कल मेरे पास भी आयी और गढ़वाली में बोली " बल फेसबुक में पकोड़ों को तो डड्या दिया है मुझ पर कब लगाओगे आग ?"
मैं बोला बल तू तो ठहरी हमेशा की ठंडी तेरे पर आज लगा के क्या करूंगा ?
चटनी चट से पसर गयी और बोली - पुराने जमाने की हैलन हूँ, बिंदू , अरुणा ईरानी हूँ जिनके बगैर फिल्म नहीं सरकती थी जैसे आज जांघ दिखाओ आइटम सांग बगैर फिल्म नहीं चलती तो बगैर चटनी के खाना ऐसा लगता जैसे जैसे कोई दस्त का मरीज खाना खा रहा है। तुम ऐसा करो फेसबुक में मुझे भी जोर से डड्या दे जरा।
बेचारी की डड्याणे की प्रार्थना सुन मेरे दिमाग में कुछ कुछ होने लगा और मैंने चटनी की चटनी आप लोगों को परोसने की ठान ही ली।
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चटनी निखालिस भारतीय है
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हमे गर्व है कि चटनी विशुद्ध भारतीय व्यंजन है। मुझे गर्व है कि चटनी प्रयोग भारत में कम से कम 2500 वर्ष पहले शुरू हो चुका था। श्री मोहन भागवत को गर्व है कि हमने , हम हिन्दुओं (सभी धर्मावलम्बी ) ने चटनी की खोज की और फिर तब से लेकर आज तक चटनी में कोई अधिक फेर बदल नहीं किया। और आज भी चटनी में जो भी परिवर्तन आ रहे हैं , जितना भी परिवर्तन आ रहे हैं वे बहुराष्ट्रीय कंपनियां ला रहे हैं। जै हो बाबा रामदेव की ! वे भी चटनी में परिवर्तन के सख्त विरोधी हैं जैसे मणि शंकर मोदी विरोधी हैं। यहां तक कि चटनी पीसने की मशीन भी पहले भारत में ब्लेंडर के नाम से बाहर की कंपनियां लाईं और बाद में निखालिस भारतीय सुमित कम्पनी मिक्सर , एक ड्राई व वेट गरिन्द्र जार व चटनी जार लेकर आयी। थैंक्स टु इंजीनियर सत्य प्रकाश। उसके बाद सभी मिक्सर कंपनियां मिक्सी बेचने के लिए चटनी जारों की संख्या बढ़ा रहे हैं पर बेशरम बिलंच भारतीय व्यापारी चटनी पीसने में कोई न्य अन्वेषण नहीं कर रही हैं।
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उत्तराखंड में चटनी शब्द था ही नहीं
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चटनी शब्द का जनक चाटना है। किन्तु गढ़वाली में चूँकि प्रसाद या हलवा को भी चाटा जाता था तो चटनी शब्द की जगह विभिन्न लूण व खटाई शब्द था। चूँकि हिंदी को गढ़वाली -कुमाउँनी की जगह माता कहने के कारण खटाई में बस्याण आने लगी तो हमने देश हिट में खटाई को चटनी कहना शुरू कर दिया। चूँकि ठंडे मुल्क होने के कारण हम चटनी को रत्यां क्या दिन्यां भी नहीं चाट सकते थे तो हमने खटाई व लूण को कुछ सीमित कर रखा था। किन्तु जब हमने देखा कि ग्वील के अमेरिका में बसे उमेश कुकरेती 0 डिग्री ठंड में चिल्ली सॉस खाते हैं , मिर्चोड़ा के पाराशर गौड़ कनाडा में -23 डिग्री में भी आइस क्रीम खाते हैं और केरल में नेवी के कमांडर भरपूर के परमजीत बिष्ट नारियल की चटनी की प्रशंसा अपनी पत्नी से अधिक करने लगे तो हमने भी दुनिया के सभी चटनियों को अपने घर में औरवैदिक चूर्ण की जगा बिठा दिया है। तो अब हम कह ही नहीं सकते कि सालसा चटनी उत्तराखंडियों की चटनी नहीं है।
मौलिक उत्तराखंडी चटनियाँ
चटनियों के नाम वास्तव में कई अवयवों से पद जाते हैं तो यह कहना कठिन है कि इस चटनी का नाम यह है।
१-खट्ट्या - छांछ को नमक मसालों के साथ खिटाकर बनाया जाता है।
२- अल्मोड़ा की चटनी -अल्मोड़ा पत्तियां व मसाले पीसकर
३- दाड़िम की चटनी
४-भांग की चटनी
५- भंगजीरा की चटनी
६- पद्या लूण की चटनी
७- मुर्या लूण की चटनी
८- जम्बू लूण के साथ चटनी
९-डम्फू , चुख आदि की चटनी -मसाले नाम बदल देते हैं
१०- आम की चटनी -नाना प्रकार
११- नीम्बू की चटनी - नाना प्रकार
१२- भट्ट की चटनी
१३-किल्मोड़ा की चटनी
१४- इमली की विभिन्न चटनी - मसालों व अवयव से नाम बदल जाते हैं। जैसे सूंटिया बहुत प्रसिद्ध चटनी है -अदरक , सौंफ, गुड़ आदि भूनकर बनाया जाता है।
१५- टमाटर की चटनी -नाना प्रकार की चटनी -मैलाओं व अवयव से नाम बदल जाता है
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मसाले व अवयव के अनुसार चटनियों के नाम
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१६- कच्चे आम की चटनी
१७- अमचूर की चटनी
१८- धनिया चटनी
१७- अमचूर की चटनी
१८- धनिया चटनी
१९- तिल की चटनी
२०- पोदीना की चटनी
२१ - गंगूरा की चटनी
२२- दही की चटनियाँ
२३- मूंगफली की चटनी
२४- काजू की चटनी
२५- बादाम की चटनी
२६- गंद्यल याने करी पत्ते की चटनी
२७- ड्रम स्टिक पत्तियों की चटनी
२८- प्याज की चटनी
२९- प्याज के पत्तियों की चटनी
३०- ककड़ी /खीरा की चटनी
३१- कद्दू पकाकर बनी चटनी
३२- लौकी पकाकर बनी चटनी
३३- बेसन की चटनी
३४-टेंडुली की चटनी
३५- पपीता की चटनी
३५- मूली की चटनी (बहुत कम )
३६-कच्चे सेव की चटनी
३६ A -पके सेव चटनी
३७-पक्के सेव की चटनी
३८-पालक की चटनी
३९- राई पट्टी की चटनी
४०- भुने टमाटर की चटनी
४१- कच्चे टमाटर की चटनी
४२-पके टमाटर की चटनी
४३- उबाले टमाटर चटनी
४४- अनन्नास की चटनी
४४- अनन्नास की चटनी
४५ - उबाले बसिंगू की दही चटनी
४६- आड़ू की इमली वाली चटनी
४७-करेला की चटनी
४८- पत्ता गोभी चटनी
४८- गाजर चटनी
४९- चुकंदर चटनी
५०-लाल मिर्च लहसुन चटनी
५१- नारियल की विभिन्न चटनियां
५२-डोसा पॉउडर चटनी (उत्तराखंडियों मध्य मुंबई में मशहूर )
५३- इडली पॉउडर चटनी
५४- कई सब्जियों की चटनी
५५-मराठी थेचा सूखी चटणी
५६- कोन्कणी थेचा चटनी
५७-कच्चे कीवी चटनी शुरुवाती दौर
५८- आजकल चीनी , थाई चटनियाँ जैसे सोया सॉस , चिल्ली सॉस जैसी कई चटनियाँ हैं जिन्हे उत्तराखंडी पसंद करते हैं
५९- बैंगन चटनी
६०- गुड़ , शहद या चीनी मिलकर चटनियों के स्वाद में व नाम में अंतर् ा जाता है
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