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ज्योति मा तमसोर्गमय : मुझे कुछ देर अँधेरे में व निज्ञान रहने दो !
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चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट ::: भीष्म कुकरेती
चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट ::: भीष्म कुकरेती
यु 'तमसो मा ज्योतिर्गमय ' मुआवरा तब बण जब कपास मिलण भौति कट्ठण छौ , कड़ु तेल पाण हौर बि कट्ठण छौ , आग मिलण मतलब युद्ध जितण अर द्यू -दिया मतबल मंगलग्रह से कुछ लाण। तब यु मुवावरा बिलकुल सही थौ . पर आज समय चक्र बदलेण से लगणु च बल यु मुवावरा बदलेण चयेंद। अब उज्यळ इ उज्यळ च अर अंद्यर खुज्याण पर बि नि दिख्यांद।
पैल कूड़ूं पर खिड़की नि लगाए जांद छौ किलैकि हम अंद्यर बर्दास्त कर सकद छा पर ठंड बर्दास्त नि हूंद छौ तो खिड़की बिहीन घर मा 'तमसो मा ज्योतिर्गमय ' संहिता बिलकुल सै फिट हूंद छौ। अब 'तमसो मा ज्योतिर्गमय ' अनफिट प्रोवर्ब च। म्यार कमरा की तीन तरफ़ाक़ दिवाल कांचक छन त क्वी क्षण इन नि मिल्दो बल कुछ पल शांति से अन्द्यरौ आनंद उठाये जावो। अब ' ज्योति मा तमसोर्गमय ' हेतु काळा काळा पर्दा लगायां छन। मि तैं इंडियन आर्किटेक्टों पर गुस्सा आंद बल ये भायों ! यूरोप अर अमेरिका म त ठंड हूंदी त उख घाम अर उज्यळ चयेंद पर इंडिया मा खासकर मुंबई म त घाम से बचण इम्पोर्टेन्ट च त तीन तरफा कांचै दिवाल किलै भै ? अर जब काळा पर्दा इ लगाणन त फिर कांचै दिवाल किलै भै ? दिन सूर्य अंद्यर नि हूण दींद त रात स्ट्रीट लाइट अंद्यरौ दगड़ लड़णी रौंद अर कुछ बची गे त स्मार्ट फोनो मेसेज सीण नि दींदन।
मि तै गैणा दिखणम बेहन्त आनंद औंद छौ पर मुंबई जख स्ट्रीट लाइट्स अर वेहिकल लाइट्स से अंद्यर नि हूंद त मि हर चार सालम नागरजा पूजा करणो बान कम गैणा दिखणो बान अधिक गाँव जांदु। मुंबई म अमृत मिलण सरल ह्वे गे त अन्द्यर मिलणै आस माने बिरळौ औंर दिखणो आस अर द्वी नि दिखेंदन ।
'तमसो मा ज्योतिर्गमय ' मुआवरौ असली अर्थ छौ बल मुझे अज्ञान से ज्ञान की और ले जा।
'तमसो मा ज्योतिर्गमय ' मुआवरा अब असह्य मुवावरा ह्वे गे। एक रिसर्चानुसार औसतन एक दिन मा हम तैं कम से कम दस हजार सूचना याने ज्ञान मिल्दन , कम से कम दस हजार सूचना ! अखबार उठाओ तो समाचार ज्ञान से अधिक विज्ञापन ज्ञान मिल्दन। टीवी द्याखो तो मोदी जी क मन की बात ज्ञान , राजनीतक प्रवक्ताऊं बेहूदा कुज्ञान , राहुल जीक दुबई से भारत मा असह्य इमरजेंसी कु ज्ञान। फिर बासी न्यूज पर ब्रेकिंग न्यूज कु लेप लगायुं ज्ञान। घौर से भैर आवो तो होर्डिंग , वाल पेंटिंग , दुकानुं साइन बोर्ड, डिमोस्ट्रेटर आदि आदि ज्ञान बंटणम प्रतियोगिता करणा रौंदन। मीडिया मा ज्ञान की खौत फोळ !
इंटरनेट आण से अब सब कट ऐंड पेस्ट यूनिवर्सिटी का पोस्ट ग्रेजुएट ह्वे गेन अर हरेक हरेक तैं ज्ञान बंटणो बान घर बार , ब्वे -बेटी , ऑफिस का काम सब छोड़ छाड़िक कट पेस्ट से इंटरनेट माध्यम से ज्ञान बंटणम व्यस्त च। पैल 'ज्ञान धारणम परम् धर्मः' सिद्धांत चलदो छौ त अब - 'कट पेस्टित ज्ञान वितरणम परम् धर्म:' सिद्धंत सर्वत्र व्यापी ह्वे गे। कट पेस्ट ज्ञान वितरण अब इथगा विकसित ह्वे गे कि अब रोज मि तै म्यारि लिख्यां लेख दूसरौ नाम से फेसबुक मा मिलणा इ रौंदन। कट पेस्ट ज्ञान वितरण पिपासा अब एडिक्शन ह्वे गे। कट पेस्ट ज्ञान अब अघळ ह्वे गे। अब त मि रोज प्रार्थना करदो ' हे ईश्वर ! मुझे कट पेस्ट ज्ञानियों से दूर रख '.
अब मस्तिष्क कु काम ज्ञान बटोळण नि रै गे अपितु अब तो मस्तिष्क कु इकु काम रै गे कि कै बि तरैं से ज्ञान की इंट्री रुके जावो। अब मष्तिष्कन 'अज्ञानो मा ज्ञानोर्गमय' कु बाटु पर हिटण बंद कर याल अपितु अब मष्तिस्क 'ज्ञानो मा अज्ञानोर्गमय' कु रस्ता पर चलण चांदो।
तुम पर अथा उज्यळ अर अथा कट पेस्ट ज्ञान से क्या फरक पड़णु च ?
10/1 / 2018, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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----- आप छन सम्पन गढ़वाली -----
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