History /Origin /introduction, Food uses , Economic Uses of Himalayan Common Cockscom, Celosia argentea in Uttarakhand context
उत्तराखंड परिपेक्ष में जंगल से उपलब्ध सब्जियों का इतिहास - 34
History of Wild Plant Vegetables , Agriculture and Food in Uttarakhand - 34
उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास -- 75
History of Agriculture , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes in Uttarakhand -75
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आलेख -भीष्म कुकरेती (वनस्पति व सांस्कृति शास्त्री )
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गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका से हरी सब्जी , फाणु , कपिलू ऐसे ही बनाया जाता है जैसे कि पालक या मर्सू से बनाया जाता है। गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका को अन्य सब्जियों के साथ भी पकाया जा सकता है।
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वनस्पति शास्त्रीय नाम -Celosia argentea
सामन्य अंग्रेजी नाम -Common Cockscom, Quail Grass
संस्कृत नाम -सीतावर्क
नेपाली नाम -सिताभारका
उत्तराखंडी नाम - गदिरा
पौधा - वास्तव में यह एक खर पतवार है जो एक क्षेत्र में फ़ायदाबंद होता है तो दूसरे क्षेत्र में फसल के लिए आक्रमणकारी खर पतवार सिद्ध हो जाता है। 1000 मीटर , 1600 मीटर (नेपाल व उत्तराखंड ) से 3000 मीटर ऊंचाई वाले स्थानों में पाया जाता है। अफ्रीका में इसे खेतों के मींडों में अन्य परजीवियों से बचाने लगाया जाता है। गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका बहुशाखीय पौधा 40 से 200 सेंटीमीटर ऊँचा हो सकता है। गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका चटकीले लाल या गुलाबी फूलों से पहचाना जाता है। सफेद फूल भी चटकीले आकर्षक होते हैं।
जन्मस्थल संबंधी सूचना - वनस्पति -
वनस्पति शास्त्रियों में जन्म स्थल के बारे में एक मत नहीं है। कोई अफ्रीका को और कोई भारत व भारतीय उपमहाद्वीप को गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका जन्मस्थल मानते हैं. प्राचीन चीनी भेषक साहित्य मेंगदिरा /सीतावर्क /सिताभारका वर्णन मिलता है। प्राचीन चीनी पुस्तकों में गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका को भुकमरी का खाद्य पदार्थ में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
यह पौधा सभी महाद्वीपों में पाया जाता है । अफ्रीका के कई देशों में खेती की जाती है।
औषधीय उपयोग - गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका के भिभिन्न भागों से फोटोफोबिया , सरदर्द , त्वचा , घाव , दस्त , श्वेत प्रदर बीमारियों में औषधि उपयोग होता है। डाइबिटीज उपचार हेतु बीजों से दवाई बनाई जाती है
भोजन उपयोग -
गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका में कैल्सियम , फॉस्फोरस
गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका की पत्तियों व डंठल से स्वादिष्ट , पौष्टिक तरकारी व सूप , फाणु , कपिलू बनाया जाता है जो पौष्टिक होता है। फूलों से भी तरकारी बनती है।
गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका की पत्तियों व डंठल से स्वादिष्ट , पौष्टिक तरकारी व सूप , फाणु , कपिलू बनाया जाता है जो पौष्टिक होता है। फूलों से भी तरकारी बनती है।
गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका से हरी सब्जी , फाणु , कपिलू ऐसे ही बनाया जाता है जैसे कि पालक या मर्सू से बनाया जाता है। गदिरा /सीतावर्क /सिताभारका को अन्य सब्जियों के साथ भी पकाया जा सकता है।
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( उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; पिथोरागढ़ , कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;चम्पावत कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; बागेश्वर कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; नैनीताल कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;उधम सिंह नगर कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;अल्मोड़ा कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; हरिद्वार , उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; हिमालय में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तर भारत में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तराखंड , दक्षिण एसिया में कृषि व भोजन का इतिहास लेखमाला श्रृंखला )
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