उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग --108
मेडिकल टूरिज्म विपणन - 3
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लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व
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मेडिकल टूरिज्म या चिकित्सा पर्यटन भारत में तेजी से बढ़ रहा है। सन 2015 में मेडिकल टूरिज्म कारोबार तीन (3 ) बिलियन डॉलर का था तो सन 2020 में मेडिकल टूरिज्म आठ (8 ) बिलियन डॉलर का अनुमान है। और 2022 में दस (10 ) बिलियन डॉलर भी आंका जा रहा है।
मेडिकल टूरिज्म का सीधा अर्थ है चिकित्सा संबंधी उद्देश्य हेतु अन्य क्षेत्रवासियों द्वारा यात्रा।
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प्राचीन काल में उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म
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प्राचीन काल से ही उत्तराखंड धार्मिक , रोंच प्रेमी व औषधीय पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है। मेडिकल टूरिस्म के चिकित्सा व दवाइयां निर्माण दो मुख्य अंग होते हैं और उत्तराखंड प्राचीन काल में दोनों पर्यटनों में कुशल रहा है। धार्मिक पर्यटन वास्तव में मानसिक शांति चिकित्सा का अंग है किन्तु इसे अब धार्मिक या पंथ पर्यटन के रूप में अधिक लिया जाता है।
उत्तरखंड में चिकित्सा पर्यटन उदाहरण के बारे में हमे चरक संहिता , सुश्रुता संहिता , महाभारत , जातक साहित्य (बौद्ध साहित्य ) कालिदास साहित्य आदि में संकेत मिलते हैं। उत्तराखंड इतिहास अध्ययन से ऐसा लगता है कि चरक या चरक के मुख्य सहायकों ने उत्तराखंड भ्रमण किया था। जड़ी बूटियों के अन्वेषण हेतु भ्रमण भी मेडिकल टूरिज्म का हिस्सा है। महाभारत में लाक्षागृह निर्माण वास्तव में आज का स्पा व्यापार ही है। पांडु का बन में पत्नियों के संग वास करना कुछ नहीं मेडिकल टूरिज्म ही है। वाल्मीकि रामायण में लक्ष्मण पर शक्ति लगने पर हनुमान का जड़ी बूटी हेतु उत्तराखंड आना मेडिकल टूरिज्म का एक अहम हिस्सा है। सम्राट अशोक व उनके अन्य संभ्रांत कर्मियों हेतु टिमुर आदि निर्यात भी मेडिकल टूरिज्म ही था। अशोक काल में उत्तराखंड से सुरमा आदि दवाइयों का निर्यात भी मेडिकल टूरिज्म का हिस्सा था। ऋषियों जैसे भृगु , कण्व , विश्वामित्र आदि का उत्तराखंड भ्रमण में चिकित्सा भी शामिल था और उस ज्ञान पाने के लिए अन्य ऋषियों व शिष्यों का उत्तराखंड भ्रमण भी मेडकल टूरिज्म ही था। जातक साहित्य , कालिदास साहित्य में भी मेडकल टूरिज्म के संकेत पूरे मिलते हैं।
उत्तराखंड में कुछ ऐसी जड़ी बूटी हैं जो अन्य क्षेत्रों में नहीं मिलती हैं। इन जड़ी बूटियों को खोजने , जड़ी बूटियों को दवा बनाने लायक संरक्षण करवाने हेतु विषेशज्ञों द्वारा उत्तराखंड भ्रमण करना भी मेडिकल टूरिज्म ही है।
उत्तरखंड में चिकित्सा पर्यटन उदाहरण के बारे में हमे चरक संहिता , सुश्रुता संहिता , महाभारत , जातक साहित्य (बौद्ध साहित्य ) कालिदास साहित्य आदि में संकेत मिलते हैं। उत्तराखंड इतिहास अध्ययन से ऐसा लगता है कि चरक या चरक के मुख्य सहायकों ने उत्तराखंड भ्रमण किया था। जड़ी बूटियों के अन्वेषण हेतु भ्रमण भी मेडिकल टूरिज्म का हिस्सा है। महाभारत में लाक्षागृह निर्माण वास्तव में आज का स्पा व्यापार ही है। पांडु का बन में पत्नियों के संग वास करना कुछ नहीं मेडिकल टूरिज्म ही है। वाल्मीकि रामायण में लक्ष्मण पर शक्ति लगने पर हनुमान का जड़ी बूटी हेतु उत्तराखंड आना मेडिकल टूरिज्म का एक अहम हिस्सा है। सम्राट अशोक व उनके अन्य संभ्रांत कर्मियों हेतु टिमुर आदि निर्यात भी मेडिकल टूरिज्म ही था। अशोक काल में उत्तराखंड से सुरमा आदि दवाइयों का निर्यात भी मेडिकल टूरिज्म का हिस्सा था। ऋषियों जैसे भृगु , कण्व , विश्वामित्र आदि का उत्तराखंड भ्रमण में चिकित्सा भी शामिल था और उस ज्ञान पाने के लिए अन्य ऋषियों व शिष्यों का उत्तराखंड भ्रमण भी मेडकल टूरिज्म ही था। जातक साहित्य , कालिदास साहित्य में भी मेडकल टूरिज्म के संकेत पूरे मिलते हैं।
उत्तराखंड में कुछ ऐसी जड़ी बूटी हैं जो अन्य क्षेत्रों में नहीं मिलती हैं। इन जड़ी बूटियों को खोजने , जड़ी बूटियों को दवा बनाने लायक संरक्षण करवाने हेतु विषेशज्ञों द्वारा उत्तराखंड भ्रमण करना भी मेडिकल टूरिज्म ही है।
उत्तराखंड में योग शिक्षा अथवा योग से उपचार , नरेंद्र नगर जैसे कस्बों में स्पा में ठहरना भी मेडिकल टूरिज्म ही है। पतंजलि उद्यम में कई प्रकार के ट्रेडरों का आना भी मेडिकल टूरिज्म है। हरिद्वार , ऋषिकेश आदि स्थानों में तांत्रिक अनुष्ठान वास्तव में मेडकल टूरिज्म है
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मेडिकल टूरिज्म के प्रोडक्ट्स या सेवाएं
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मेडिकल टूरिज्म के प्रोडक्ट्स या सेवाएं
मुख्यतया मेडिकल टूरिज्म में निम्न सेवाएं शामिल होती हैं
रोग पहचान व डाइग्नोसिस
रोग निदान
पुनर्वसन
औषधि निर्माण , कच्चा मॉल निर्माण , व विपणन
आध्यात्मिक या मानसिक चिकित्सा
आनंद दायी चिकित्सा जैसे स्पा , मालिस आदि
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उत्तराखंड में आयुर्वेद-प्राकृकतिक चिकित्सा, आध्यात्मिक चिकित्सा व जड़ी बूटी निर्यात
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उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास के असीम अवसर हैं। मेडिकल टूरिज्म विकास से पारम्परिक टूरिज्म व कृषि टूरिज्म को भी बल मिलेगा। वास्तव में पारम्परिक धार्मिक टूरिज्म, कृषि /जंगल और मेडिकल टूरिज्म एक दूसरे के पूरक हैं।
उत्तराखंड में पारम्परिक ऐलोपैथी मेडिकल टूरिज्म नहीं अपितु प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेदिक चिकित्सा व योग चिकत्सा मेडिकल टूरिज्म हेतु लाभदायी सेवायें है।
आयुर्वेद चिकित्सा , प्राकृतिक (नेचरोपैथी ) को उत्तराखंड में नए सिरे से पुनर्व्यवस्थित करने से ही मेडिकल टूरिज्म को बल मिल सकेगा। सरकार ने 2016 में केरल की तर्ज पर मडिकल टूरिज्म विकास हेतु ऋषिकेश को आरोग्य नगर बनाने की योजना शुरू की थीं और आगे तुंगनाथ , जागेश्वर व लोहाघाट आदि स्थानों में आरोग्य केंद्र खोलने की योजनाएं बनायीं थी किन्तु अब इन योजनाओं के बारे में कुछ सुनाई नहीं देता है। शायद इन योजनाओं के फाइलों को दीमक चाट गयीं है या वाइरस लग गया है।
आध्यात्मिक चिकित्सा याने योग व तंत्र -मंत्र अनुष्ठान भी मेडिकल टूरिज्म के मुख्य अंग हैं। दुनिया भर में योग व उत्तराखंड के बारे में एक सकारात्मक छवि है। किन्तु उत्तराखंड निर्माण के पश्चात भी उत्तराखंड योग टूरिज्म को उस मुकाम पर नहीं ला सका जिस मुकाम के लायक उत्तराखंड है। योग टूरिज्म को यदि ऊंचाई देना है तो विपणन में आधार भूत परिवर्तन आवश्यक है। 2017 में भी सरकार ने वेलनेस -रिजुविनेशन टूरिज्म पर प्रोजेक्ट बनाया किन्तु क्या काम हो रहा है यह धरातल पर नहीं दिख रहा है या सूचनाएं नहीं मिल रही हैं।
प्राकृतिक चिकत्सा टूरिज्म भी उत्तराखंड टूरिज्म की काया पलट कर सकती है।
इसी तरह जड़ी बूटी कृषि भी मेडिकल टूरिज्म को नया आयाम दे सकती है। बहुत सी जड़ी बूटी की खेती पारम्परिक खेती से अधिक लाभकारी हैं और बंदरों , सुवरों व मवेशियों द्वारा भी हानि से दूर हैं। इन जड़ी बूटियों की खेती का प्रसार में एक सबसे बड़ी समस्या है कि 90 प्रतिशत भूमि मालिक प्रवासी हैं। इस समस्या का हल ढूँढना बहुत बड़ी चुनौती है किन्तु असंभव तो नहीं है। केरल प्रदेश भी वासियों द्वारा पलायन से जूझ रहा है किन्तु सरकारों ने प्रवासियों को टूरिज्म उद्यम से जोड़ ही लिया है। तो फिर उत्तराखंड में क्यों नहीं प्रवासी जड़ी बूटी कृषि से जुड़ सकते हैं।
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सरकारों द्वारा विचित्र कदम
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उत्तराखंड की वेदना यह है कि जनता कॉंग्रेस या भाजपा में से एक दल को पूर्ण बहुमत के साथ सिंघासन पर बिठाती है किंतु दोनों दलों की सरकारें पहली सरकार के टूरिज्म संबंधी फैसलों , योजनाओं को आगे नहीं बढ़ाती और टूरिज्म उद्यम विकास के निरंतरता को तोड़ देती हैं। किसी किसी योजना के साथ तो भांड जैसा व्यवहार होता है। एक ही योजना को नए नाम दिए जाते हैं कभी वह योजना मोती लाल नेहरू योजना बन जाती है , फिर नई सरकार आने के बाद वह योजना फाइलों में हेगडेवार नाम से प्रचारित की जाती है तो कॉंग्रेस सरकार के आने के बाद उस योजना का नाम बाड्रा योजना हो जाता है और जैसे ही भाजपा की सरकार आती है तो वही योजना दीन दयाल उपाध्याय के नाम से प्रसारित की जाती है। निरन्तरीकरण मेडिकल टूरिज्म विकास की पहली शर्त है किन्तु हमारा नेतृत्व तो टूरिज्म में भी भगवा या हरा रंग पोतता रहता है।
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पत्रकारों व बद्धिजीवियों में मेडिकल टूरिज्म की समझ में विस्तार की आवश्यकता
पत्रकारों की मेडिकल टूरिज्म विकास में बहुत बड़ी भूमिका होती है। किन्तु बहुत से पत्रकार जो समाज को प्रेरित करने में सक्षम हैं वे भी बहुत बार सामयिक पर्यटन को नहीं समझ पाते हैं और पारम्परिक पत्रकारित सिद्धांतों के तहत नव पर्यटन विपणन कीआलोचना कर बैठते हैं। उत्तराखंड के हर पत्रकार , हर बुद्धिजीवी का कर्तव्य है कि वे मेडिकल टूरिज्म विकास में कुछ न कुछ भूमिका अदा करें।
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प्रवासियों द्वारा निवेश व पब्लिक रिलेसन
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प्रवासी मेडिकल टूरिज्म में निवेश कर व पब्लिक रिलेसन का कार्य कर अपनी भागीदारी निभा सकता है।
सरकार नहीं समाज
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मैंने आज तक टूरिज्म विपणन पर शायद 150 अधिक लेख प्रकाशित किये होंगे और निरंतर लिखता रहता हूँ कि टूरिज्म विकास हेतु सरकार से अधिक समाज का टूरिज्म को समझना व सरकार पर सामाजिक दबाब आवश्यक है।
आज आवश्यकता है कि उत्तराखंड का हर वर्ग मेडिकल टूरिज्म के नए तेवर को समझे और तरह तरह से मेडिकल टूरिज्म विकास में योगदान दे।
Copyright @ Bhishma Kukreti 2 /2 //2018
Contact ID bckukreti@gmail.com
Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपणन
Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Haridwar Garhwal, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Pauri Garhwal, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Dehradun Garhwal, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Uttarkashi Garhwal, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Tehri Garhwal, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Chamoli Garhwal, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Nainital Kumaon, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Almora Kumaon, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Champawat Kumaon, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Bageshwar Kumaon, Uttarakhand; Marketing of Travel, Tourism and Hospitality Industry Development in Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand;
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