(महाभारत महाकाव्य में उत्तराखंड पर्यटन )
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उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -12
Medical Tourism Development in Uttarakhand (Medical Tourism History ) - 12
(Tourism and Hospitality Marketing Management in Garhwal, Kumaon and Haridwar series--117 )
उत्तराखंड में पर्यटन व आ तिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 117
उत्तराखंड में पर्यटन व आ
अर्जुन द्वारा पांचाल में द्रौपदी स्वयंबर में द्रौपदी जीतने व पांडवों की द्रौपदी से विवाह के के बाद पांडव हस्तिनापुर आ गए। विवाह भी गढ़वाली पुरोहित ऋषि धौम्य ने सम्पन किया। द्रौपदी पुत्रों व पांडवों के अन्य पुत्रों के विभिन्न कर्मकांड भी ऋषि धौम्य ने ही सम्पन किये ( आदि पर्व 220 /87 -88 ).
पांडवों के हस्तिनापुर पंहुचने के बाद कौरव -पांडव अंतर्कलह रोकने हेतु राज्य का बंटवारा हुआ और पांडवों को अलग से उजाड़ बिजाड़ प्रदेश दे दिया गया जिसे पांडवों ने सहयोगियों की सहायता से ठीक प्रदेश में परिवर्तित किया व अपनी राजधानी इन्द्रप्रस्थ में स्थापित की। युधिष्ठिर ने इन्द्रप्रस्ठ में अद्भुत सभा का निर्माण किया और राजसुत यज्ञ का आयोजन किया। भीमसेन , अर्जुन , नकुल सहदेव को क्रमश: पूर्व , उत्तर , दक्षिण व पश्चिम दिशा दिग्विजय का भार मिला। (सभापर्व 25 ) .
अर्जुन ने सबसे पहले निकटस्थ राज्य कुलिंद (सहारनपुर व आज के देहरादून का कुछ भाग ) सरलता से जीता व उसके बाद कालकूट (कालसी ) , आलले (तराई ) के जितने के बाद जम्मू , कश्मीर जीतकर आगे प्रस्थान किया।
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पूर्व कुलिंदविषये बशे चक्रे महिपतीन।
धनञ्जयो महाबाहुर्नातितीब्रेण कर्मणा।।
आनर्तान कालकूटन्श्च कुलिंदांश्च विजित्य स : ।
सुमंडल च विजितं कृतवान सह सैनिकम। । (सभापर्व 26 /3 -4 )
ग्लोबलाइजेशन प्रत्येक युग में भिन्न रूप में दृष्टिगोचर होता रहता है। पांडव -कौरव युग में ग्लोबलाइजेशन राजसत्ता के रूप मि मिलता है न कि आज के व्यापार रूप में। पांडवों द्वारा अन्य छोटे बड़े राज्य जीतने का आज के मेडिकल टूरिज्म के संदर्भ में अर्थ है बड़ा ब्रैंड छोटे ब्रैंड को निगलता जाएगा।
सभापर्व के संदर्भ में कालकूट व तराई को अर्जुन ने जीता किंतु उत्तराखंड के गढ़वाल भाग के बारे में महाभारत चुप नहीं है। गढ़वाल राजा सुभाहु पहले ही पांडवों के पक्ष में था तो अर्जुन को गढ़वाल जीतने की आवश्यकता नहीं पड़ी।
मेडिकल टूरिज्म में भी बड़ा ब्रैंड छोटे ब्रैंड को निगलता रहता है। यदि हम निकटम भूतकाल में जाएँ तो पाएंगे कि बाबा कमली वाले धर्मशाला छोटे दुकानदारों याने चट्टी मालिकों को बिना कोई प्रतियोगिता के भी दर्द देते थे। बाबा कमली वाले बड़ा धार्मिक संस्थान था तो वे आयुर्वेदिक दवाईयां भी निर्माण करते थे। कमली वाले की दवाईयां स्वर्गाश्रम व ऋषिकेह में निर्मित होती थीं व धर्म शालाओं में जगह के साथ साथ मुफ्त में देते थे। बड़ा संस्थान था तो उनके पास संसाधन थे तो श्रद्धालुओं को अधिक सेवा उपलब्ध करा पाने में सक्षम थे।
मैक्सवेल या अपोलो हॉस्पिटल्स के सामने छोटे डाक्टरों के नर्सिंग होम कमजोर साबित होंगे ही तो डॉक्टरों को भी एक्सक्लूसिव प्रोडक्ट व स्थान खोज कर व्यापार चलाना ही सही कदम माना जायेगा।
बैद्यनाथ , डाबर और पंतजली संस्थाओं के सामने छोटे आयुर्वेदिक व्यापारिक संस्थान असहाय महसूस करते हैं तो अवश्य ही ये संस्थान या तो बड़ेआयुर्वैदिक संस्थानों को बड़े ब्रैंडों के नाम पर दवाईयां निर्माण कर बड़े ब्रैंडों के सप्लायर बन गए होंगे। या छोटे संस्थान बड़े संस्थानों के डिस्ट्रीब्यूटर बन गए होंगे। यह भी होता है कि छोटे संस्थान उन दवाईयों का निर्माण करने लगते हैं जो बड़े ब्रैंड नहीं बना सकते हैं और एक्सक्लूजिव प्रोडक्ट बनाने से प्रतियोगिता से दूर रह पाते हैं। अमृतधारा ब्रैंड बस एक ही प्रोडक्ट बनाकर बड़ा ब्रैंड बना है। फिर छोटे ब्रैंड कमोडिटी प्रोडक्ट की कीमतें इतना नीचे रखते हैं कि कम प्राइस के बल पर अस्तित्व में रहते हैं।
उत्तराखंड ही नहीं भारत में हर चार पांच गावों के मध्य एक दो पारम्परिक पुरोहित व वैद होते थे जो मेडिकल टूरिज्म के अंग भी थे। ऐलोपैथी के जोर के आगे न चलने से अब ु प्रकार की वैदकी नहीं चलने से पारम्परिक वैदकी संस्कृति समाप्ति की ओर है।
हर व्यापार का नियम है कि विशाल व्यापारी विशालतम की ओर अग्रसर होता जाता है और लघु व्यापारी लघुतम की ओर। लघु को सदा ही वह व्यापार नहीं करना चाहिए जिसमे बड़े व्यापारी मुख्य प्रतियोगी हों अपितु उन प्रोडक्ट को चुनना चाहिए जसिमें बड़े प्रतियोगी न हों।
मेडिकल टूरिज्म में भी उत्तराखंड दिल्ली की नकल करेगा तो उत्तराखंड दिल्ली से प्रतियोगिता न कर पायेगा। अतः उत्तराखंड टूरिज्म को वे प्रोडक्ट व सेवाओं में प्रवेश करना पड़ेगा जो जिन्हें अन्य प्रदेश न अपना सकें।
Copyright @ Bhishma Kukreti 13/2 //2018
Tourism and Hospitality Marketing Management History for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपणन
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
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========स्वच्छ भारत , स्वस्थ भारत , बुद्धिमान उत्तराखंड ========
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