उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास -- 85
History of Agriculture , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes in Uttarakhand -85
History of Agriculture , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes in Uttarakhand -85
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आलेख -भीष्म कुकरेती (वनस्पति व सांस्कृति शास्त्री )
भारत की कुछ विशेषताएं हैं कि हम भारत में जन्मी वस्तुओं का कम से कम वर्णन करते हैं। अब पराठे को ही ले लीजिये , भारतीय पुराणों में परांठा के बारे में पुराण रचनाकार मौन ही रहे।
प्रसिद्ध भोजन इतिहास शास्त्री के टी आचार्य अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'द स्टोरी ऑफ अवर फ़ूड (पृष्ठ 85 ) में लिखते हैं कल्याण(बिदुर , कर्नाटक ) के राजा सोमेश्वर III (लगभग 1130 ) ने संस्कृत में 'मानसोल्लास ' पुस्तक की रचना की , मानसोल्लास में एक अध्याय भोजन को समर्पित है। मानसोल्लास में कई प्रकार पूरण पोली ,(मराठी नाम ) या हिलंगे (कन्नड़ी ) बनाने की विधि लिखी है। मानसोल्लास में लिखा है कि पूरण पोली बनाने के लिए गुंदे आटे के अंदर गुड़ व पिसी भीगी दाल, सुगंधित मसालों को भरा जाता है और घी में पकाया जाता है। पूरण पूरी वास्तव में उत्तराखंड में भरी रोटी का ही रूप है। अंतर आकार का है। पूरण पूरी दो इंच डायमीटर की दल भरी घी में पकी रोटी है तो उत्तराखंडी दल भरी रोटी बड़ी होती है और उत्तराखंडी भरी रोटी या गैबण रोटी को तवे में घी में पकाओ या न पकाओ का बंधन नहीं है। उत्तराखंडी भरी रोटी /गैबण रोटी में गुड़ भी नहीं डाला जाता है।
Johan Platts (1884 ) की पुस्तक' ए डिक्सनरी ऑफ उर्दू , क्लासिकल हिंदी ऐंड इंग्लिश ( पृष्ठ 235) में लिखा है कि पराठा शब्द संस्कृत के दो शब्दों से बना है पर या परा +स्थ: या स्थिर।
रोटी विशुद्ध भारतीय है किंतु मुगलाई कुक बुक (पृष्ठ 87 ) की लेखिका लिखती हैं कि सुलतान व मुगल काल से पहले नान व परांठा /पराठा भारत में नहीं पकाये जाते थे। नीरा वर्मा लिखती हैं कि पराठा दो शब्दों के मेल से बना है - पर्त +आटा याने जो रोटी परतों से बनी हो।
मुझे लगता है पराठे का इजाद 'खौत बौड़ाओ ' (अवशेस बचाओ, सेविंग द वेस्ट ) के कारण हुआ होगा। जब दाल बच गयी होगी तो उसे या तो आटे के साथ गूंद कर इस्तेमाल किया गया होगा या सूखी दाल को गुंदे आटे में भरकर बनाया गया होगा।
उत्तराखंडी लोक साहित्य में भरी रोटी /पराठे का जिक्र
इस लेखक को लोक गीतों , लोक कहावतों में दल भरी रोटी का जिक्र तो नहीं मिला किन्तु इस लेखक ने दो लोक कथाओं का संकल अवश्य किया है जो दल भरी रोटी से संबंधित हैं (सलाण बिटेन लोक कथा ) .
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उत्तराखंड में दल भरी रोटी का अनुमानित इतिहास
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सामन्यतया मैदानी हिस्सों में पराठा को बनाते समय आटा गूंदते वक्त या आटा गूंदने के बाद घी में गूंदा जाता है जिससे कि रोटी की तह बनकर पराठा या कई तह वाली भरी रोटी बन जाय। कई मायनों में उत्तराखंड में बनने वाला रोट भी कुछ कुछ सादा परांठा ही है।
अधिकतर रोट काटना क्षेत्रीय देवताओं के पूजन का महत्वपूर्ण कर्मकांड है। इसका अर्थ है कि भूमिपालों या क्षेत्र पालों को रोट को भेंट देने का रिवाज शायद घंटाकर्ण देव पूजन से शुरू हुआ होगा। याने रोट या आधुनिक पराठे का रिवाज उत्तराखंड में 2000 साल पहले से ही रहा होगा।
उत्तराखंड में घी भरा रोट तो घी प्रोयग के साथ ही शुरू हुआ होगा और तेल में बना रोट तेल प्रयोग के साथ शुरू हुआ होगा। पहले यदि पत्थरके ऊपर रोटी /ढुंगळ पकाये भी जाते थे तो भी ढुंगळ तेल -घी में तला जा सका होगा।
एक समय सत्तू पराठा भी प्रचलन में था।
रोट मीठे और नमकीन या सादा तीनो किस्म के होते हैं
भरी रोटी /गैबण रोटी /पराठा का प्रचलन सबसे पहले भीगी गहथ की कच्ची दाल को पीसकर भरवां रोटी के रूप में हुआ होगा।
आज तो उत्तराखंडियों के घर सौ से अधिक किस्मों दल भरी रोटी या पराठे बनते हैं किन्तु पारम्परिक दल भरी रोटियां गहथ , भट्ट , सूंट , रयांस , लुब्या दाल की ही बनती थीं। प्राचीन उत्तराखंड में शायद उबाले गए बसिंगू छोड़ किसी अन्य सब्जी की भरी रोटी या पराठे का प्रचलन नहीं रहा होगा। उसी तरह गेंहू , मंडुआ , जौ, मकई या अन्य अनाजों से सब तरह के पराठे बनते थे।बसिंगू छोड़ सब्जी भरकर रोटी /पराठा बनाने का रिवाज अंग्रेजी शासन काल में आया व स्वतंत्रता के बाद बहुत शीघ्र प्रचलित हुआ।
उत्तराखंड में निम्न तरह के पराठे प्रचलन में हैं
१- नमक या गुड़ मिलाई हुयी सादी रोटी /रोट अथवा मनक /गुड़ मिलाई तेल में तली रोट /पराठा
२- बची हुयी दाल , सब्जी आदि को आटे में मिलाकर बनी सूखी या घी /तेल में पकी रोटी /पराठा
३- कच्ची भिगोई दाल (गहथ , मटर ) पीसकर भरी रोटी /तली भरी रोटी
३अ - सादी उबली दाल पीसकर बनी दल भरी/गैबण रोटी
४ - उबली दाल पीसकर बनी दल भरी/गैबण घी तेल में तली रोटी /पराठा
५ - कच्ची सब्जी (मूली , गोभी , मेथी /प्याज /मटर आदि ) भरी सादी रोटी /पराठा
६ - कच्ची सब्जी (मूली , गोभी/पपीता आदि ) भरी तेल /घी तली रोटी /पराठा
७- पकी सब्जी (आलू , आदि ) भरी सादी रोटी /पराठा
८- पकी सब्जी (आलू आदि ) भरी तेल /घी में तली रोटी /पराठा
९- पनीर /चीज भरी सादी रोटी
१०- पनीर /चीज।/मशरूम भरी तेल /घी में तली रोटी/पराठा
११- लच्छेदार पराठा
१२- नॉन वेज पराठा
पहले उत्तराखंडी भरी रोटी को घी के साथ कहते थे अब दही , अचार , सॉसेस आदि का भी प्रचलन हो गया है।
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