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रिंगाळ पाणीम डुंकुर बडा की धर्मशाला अर ढंग्वाळुं पर प्रश्न चिन्ह
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ख्वाब इ ख़्वाब मा ::: भीष्म कुकरेती
ख्वाब इ ख़्वाब मा ::: भीष्म कुकरेती
रिंगाळ पाणी कु नाम इलै पोड़ कि दक्षिण दिशा हूण पर बि इकम खूब रिंगाळ हूंद था। अब त सरकारी नामपट्टिका मा यीं जगाक नाम रिंगाल पानी ह्वे गे। पता नी उत्तर प्रदेश मानसिका का पळयां पुस्यां , हिंदी का पिछलग्गू अधिकारी कनै पाणी रिंगाल धौं। खैर मि त चाचा नेहरू जमानो ढंग्वाळ छौं त मे से पाणी नि रिंगाये जांद अर मि क्या ठंठोली का चक्रधर भाई बि यीं जगा तैं रिंगाळ पाणी ही बुल्दन।
रिंगाळ पाणी याने नौ गढ़ का बिलकुल तौळ याने डेढ़ द्वी हजार साल पैल बि इखम पाणी छौ तबि त गढ़ी बणाये गे होली। रिंगाळ पाणी कोटद्वारा -ऋषिकेश मोटर सड़क पर बिलकुल बीच मा च। सिलोगी से ढाई तीन किलोमीटर पश्चिम मा। दक्षिण दिशा अर तौळ क्या अगल बगल मा बंजण याने रौंतेली जगा मा पाणी। रिंगाळ पाणी की महत्ता आजि ना सन 1860 का करीब बि इनि छे। रिंगाळ पाणी तै टैम क दुगड्डा से पौखाळ डिस्ट्रिक्ट बोर्डक सड़क का किनारा छौ। अर आज मोटर सड़क का किनारा। ग्वील मल्ला ढांगू की सरहद मा अर बड़ेथ की सरहद पर चिपटीं जगा। बिचर जसपुर वाळ त स्याणी करदन बल कबि या जगा त हमर छे पर ग्वीलक पधान जीन हममन चालाकी से छीन दे। खैर द्वी भायुं झगड़ा त महाभारत काल से चलणी च तो इख पर चर्चा बेकार च। जसपुर कु छौं त गुबार भैर आई जांदन।
या डिस्ट्रिक्ट बोर्ड की सड़क मल्ला ढांगू , बिछला ढांगू अर लंगूर तैं डबरालस्यूं , अजमेर व उदयपुर से जुड़दी। डिप्टी अब लोग घ्वाड़ों मा यीं सड़क से इ म्वाइना करणो आंद छा।
जी त रिंगाळ पाणी डिस्ट्रिक्ट बोर्ड सड़क पर च अर कबि सन साठ पैंसठ तक डिस्ट्रिक्ट बोर्ड सड़क पर रिंगाळ पाणी से थोड़ा तौळ एक धर्मशाला छै। यीं धर्मशाला तैं हम छुट बच्चा डुंकुर बडा की धर्मशाला बुल्दा था तो हमर बुजुर्ग डुंकुरु ददा की धर्मशाला बुल्दा छा। मीन या धर्मशाला साबुत दिखीं च शायद तीन कमरा छा अर आगवाड़ी चौक छा। डुंकुर सिंह नेगी बडा जी जसपुर का छा । बटोही , गौड़ी -भैंस्यूं -बखरों गलादारों व सरकारी कारिंदों पनहागार छे या धर्मशाला।
जसपुर का डुंकुर बडा का दादा जीन या धर्मशाला बणवै छे। क्या जज्बा रै ह्वाल तब वे बूड ददा जी पर। कनै बणवै होली या धर्मशाला तब जब तकनीक अर कंळदार की ही ना मनिखों बि तंगी ही रै होली। एक सामाजिक हित को हितैषी का जजबा को परिणाम छौ रिंगाळ पाणी की या धर्मशाला। चूंकि चैलुसैण से जाखणी धार तक पाणी की भारी कमी छे तो रिंगाळ पाणीम धर्मशाला बिलकुल सही जगा पर छे। बटोही धर्मशाला म भोजन बि बणांद छा।
फिर जब या धर्मशाला टुटण लग त कुछ लोग पठळ , दारु सब लीगेन। डुंकुर बडा क नौनान पता लगाई तो पायी वै टैमक पधान जीन रजिस्ट्री ही नि कौर छे। खैर अब भौतुं तै पता इ नी कबि इखम धर्मशाला छै।
अब मि दुसर प्रश्न उठाणु छौं। मल्ला ढांगू अर बिछला ढांगू वळुं तैं रिंगाळ पाणीम एक वेडिंग प्वाइंट ब्वालो या टूरिस्ट हाउस चयाणु च। टूरिस्ट हाउस एक अहम आवश्यकता ह्वे गे। वेडिंग प्वाइंट या टूरिस्ट हाउस का वास्ता जगा तो सिलोगी ही सही च किन्तु पाणी नि हूण से सबसे उपयुक्त जगा रिंगाळ पाणी ही च। सब बात करदन बल इखम या तखम कुछ चयांद किन्तु बात हवा मा ही फुर्र ह्वे जांदन।
यदि 1860 या 1880 मा डुंकुर बडा जी का ददा जी लोगुं सहकार से धर्मशाला बणै सकदा छा तो क्या मल्ला ढांगू का प्रवासी रिंगाळ पाणीम कोऑपरेटिव टूरिस्ट हाउस नि बणै सकदन ? क्या मल्ला ढांगू का प्रवासी यीं बड़ी आवश्यकता तै पूर नि कौर सकदन ? कौर त सकद छन पर हम अब सब कुछ सरकार से चांदवां तो इन मा डुंकुर बडा का दादा जी पैदा नि ह्वे सकदन। क्वी हमर बांठक झाड़ा बि हौगी आल की मानसिकता से तो सहकारी टूरिस्ट हाउस नि बणद। मल्ला ढांगू अर बिछला ढांगू वळुं तैं आज ना भोळ सामूहिक , सहकारी वेडिंग प्वाइंट रिंगाळ पाणीम बणाणि पोड़ल त आजि किलै ना मेल मिळवाक से ये पुण्य अर आवश्यक काम तै करे जावो ?
अब इन नि बुलेन बल मुंबई मा रैक मि कुछ बि सलाह दे सकदु। यदि मेरी सलाह मा रति भर भी कमी हो तो द्वी जुत मारी ल्यावो। मि एक प्रवासी छौं गलती से द्वी चार सालम इ सै मि जसपुर जै इ लींदो , हम मादे एक भाई हर साल गाँव जांदो तो मि तै पता चल ही जांद कि हम तै क्या क्या आवश्यकता पड़नी छन।
15 /1 / 2018, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,
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