अपीलकर्ता - भीष्म कुकरेती
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बंटना और धड़े में लड़ना मनुष्य की नियति है। पहले हम उत्तराखंडी खबड में बंटे थे ओर अब भाका में बंट चुके हैं हैं। हमने अपने चश्मे भी नेहरू परिवार और संघी परिवार के कांच के बना लिए हैं। इन चश्मों के कारण अब हम लाभ या हानिकारक कारकों की पहचान करने में असक्षम हो गए हैं अब हम पकोड़े तलने वाले व्यापार की तौहीन करने से चौखम्बा की चोटी में पंहुचना चाहते हैं तो मनरेगा जैसी योजना (जिसमे आमूल चल परिवर्तन की आवश्यकता है) को कोढ़ी साबित करने में तुले हैं। उत्तराखंडी खबड की भयंकर बीमारी से तो छुटकारा नहीं पा सका किन्तु उसने एक और महामारी को अपने घर बुला लिया है और वह बीमारी है हर वस्तु , हर उद्देश्य , हर योजना को भाका के चश्मे से देखना। -
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धनी उत्तराखंडियों के मेडिकल सर्विसेज में निवेश करना चाहिए -
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जो उत्तराखंडी धनी व कर्मठ हैं उन्हें मेडिकल सर्विसेज व मेडिकल सर्विसेज ट्रेनिंग सेंटर खोलने में निवेश करना चाहिए।
हर उत्तराखंडी को गाँठ बाँध लेनी चाहिए के हेल्थ सर्विसेज में भविष्य है तो युवाओं को हेल्थ केयर सर्विसेज में जाने के लिए प्रेरित करना ही चाहिए।
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