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Sunday, February 11, 2018

परम्परिक वस्त्र टी शर्ट -जीन की जगह ब्रा -बिकनी में मंदिर प्रवेश पर बबाल !

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परम्परिक वस्त्र टी शर्ट -जीन की जगह ब्रा -बिकनी में मंदिर प्रवेश पर बबाल !  
देव पूजन में पारम्परिक पीजा काटने की जगह चॉकलेट काटने पर उठे सवाल !
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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती 
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(स्थान -गढ़वाल कु गढ़पुर गाँव , समय -सन 2050 )
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 गांववासी पैल प्रवास्यूं तैं गाळी दींद छा बल यी प्रवासी अपण गाँव नि  आंदन , अपण कूड़ पुंगड़ नि संबळदन।   गांववासी प्रवास्यूं तै तून दींद छा बल अपण कुलदेवता पुजणो बि नि आंदन।   त कवि -साहित्यकार प्रवास्यूं मजाक उडांद छा बल प्रवासी बड़ा क्रूर , घमंडी ह्वे गेन जु गाँव बिसरि गेन। 
   अब गाँव वळ परेशान छन बल क्वी मैना इन खाली नि जांद कि द्वी चार प्रवासी ड्यार नि आवो।  चकबंदी अर ऑर्गेनाइज्ड ओउटसोरिंग ऐग्रिकल्चर मैनेजमेंट एजेंसीज व ऊंक लेबर की सायता से हरेक प्रवासीन अपण पुंगड़ पटळ संबाळी येन।  अब हरेक प्रवासी एजेंसियों मदद से प्रीमियम फसल उगांद अर एक नाळी  जमीन से लाखों कमांद।  हरेक प्रवासी आउटसोर्सिंग एजेस्यूं मदद से बहुउद्येस्य फसल ही नि उगांद अपितु अंडा , मधु , हर्बल मेडिसिन , प्रीमियम क्राफ्ट उद्यम बि दगड़म करणु च। अब भूमि बंजर ना अपितु एक एक इंच भूमि का वास्ता महाभारत हूण मिसे गे।  गाँव वासी  आउटसोर्सिंग एजेंसियूं का धुर विरोधी ह्वे गेन।  हर मैना देहरादूनम  क्वी ना क्वी संगठन आउटसोर्सिंग  ऐग्रो एजेंस्यूं विरोध मा  चक्का जाम करणु रौंद। हवाई यात्रा सुलभ हूण इ मुंबई का प्रवासी बि हर शुक्रवारौ कुण रात गाँव आंद अर सोमवारौ कुण मुंबई औफिस ज्वाइन करणो  चल जांद।  विदेश से बि प्रवासी हर मैना गांव पौंछि जांद।  यां से गांवक सन 1960 से 2045 तक निर्मित सामाजिक विन्यास तहस नहस हूणु च।  गढ़वाल का सामाजिक चिंतक नया सामजिक विन्यास इ भयभीत छन अर यूंक बुलण च बल यु नयो समाज गढ़वाल का वास्ता घातक च।  ग्रामीण पत्रकार संघ बि प्रवास्यूं द्वारा आउटसोर्सिंग माध्यम से कृषि व ततसंबंधी उद्यम से काफी खफा च अर हर रोज विरोध मा रिपोर्ट छापणा रौंदन।  अर उत्तराखंड सरकार पैल्या की तरां सियीं इ रौंदी।  सरकार तब बि सियीं रौंद छे जब गाँव की कृषि भूमि बांज पड़ गे छे अर अब जब प्रवासी अपण बल बूता पर सामाजिक विन्यास तै तुड़णा छन , अर गढ़वाल से अंदा दुंद पैसा कमाणा छन तब बि सरकार सियीं च। 
            गढ़वाल का साहित्यकार तो हर रोज फेसबुक मा आउटसोर्सिंग ऐजेस्यूं विरोध मा कविता पोस्ट्याणा इ रौंदन। 
    प्रवास्यूं द्वारा बार बार परिवार सहित ड्यार आण अर कुलदेवता पूजा कराण से बि पारम्परिक धार्मिक संस्कृति खतम हूणै कगार पर च।  कुछ दिन पैल लोग क्या सुंदर नागरजा , ग्विल , नरसिंग पुजणो निमित पीजा काटद छा अब प्रवास्यूं का कारण पारम्परिक पीजा नि काटे जांद अपितु पूजा मा लम्बा बड़ा बड़ा चॉकलेट काटे जांदन।  पीजा कटर अब इतिहास की वस्तु ह्वे गे अर चॉकलेट कटर अब हर घर की रौनक ह्वे गे।  नागराजा पूजन मा बेल्जियम कु चॉकलेट काटे जांद , ग्विल्ल क घड्यळ म स्विट्जरलैंड का चॉकलेट ही काटे जांद त नरसिंग जी तैं केवल हॉलैंड का ही  चॉकलेट पसंद च। 
     पारम्परिक चाउमीन परसाद की जगा अब अफ्रीकी भोजन उगानी अर फुफु बांटे जांद। 
   गढ़वाली संस्कृति पर सबसे बड़ो धक्का तब लग जब स्त्रियोंन पारम्परिक गढ़वाली वस्त्र याने टी शर्ट -जीन्स  की जगा ब्रा अर बिकनी पैरिक मंदिरों मा पूजा करणो रिवाज शुरू कार ।  भौत विरोध ह्वे , कखि कखि तो पारम्परिक पहनावा टी शर्ट -जीन्स की जगह स्त्रियों द्वारा ब्रा -बिकनी पैरण पर हाथापाई बि ह्वे किन्तु अंत मा बिकनी अर ब्रा की ही जीत ह्वे।  सरकार गढ़वाल की  पवित्र संस्कृति नाश पर अबि बि सियीं च।  कुनगस त यु हूणु च की गढ़वास्यूं स्त्री बि ब्रा अर बिकनी मा घड्यळम नाचदन।  सरकार तै कुछ नी पड़ीं च कि गढ़वाली संस्कृति याने टी शर्ट -जीन्स संस्कृति रसातल कु जाणी च। 
     जागर्यूंन बि अब कृष्ण -राधा जमुना जल खेल , कृष्ण -रुक्मणि विवाह , अर्जुन द्वारा सुभद्रा भगाणो  जागर मा राधा , रुक्मणि अर सुभद्रा तैं ब्रा बिकनी पैराये आल।  सरकार अबि बि सियीं च अर जागर्युं विरुद्ध कुछ नि करणी च। 
    गढ़वाली भाषाई साहित्यकार व पत्रकार पारम्परिक वस्त्र टी शर्ट व जीन्स  संस्कृति बचाणो भरसक प्रयत्न करणा छन किन्तु सरकार की उपेक्षा से लगद नी कि टी शर्ट -जीन्स संस्कृति बचली। 
       
      
     


16/1 / 2018, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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    ----- आप  छन  सम्पन गढ़वाली ----
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