History /Origin /introduction, Food uses , Economic Uses of Joyweed, Alternathera sessilis Himalayan in Uttarakhand context
उत्तराखंड परिपेक्ष में जंगल से उपलब्ध सब्जियों का इतिहास - 31
History of Wild Plant Vegetables , Agriculture and Food in Uttarakhand -
उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास -- 71
History of Agriculture , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes in Uttarakhand -
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उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास -- 71
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आलेख -भीष्म कुकरेती (वनस्पति व सांस्कृति शास्त्री )
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हल्के गुलाबी रंग की टहनी वाले गरूण्डी , घुंडगळी Alternathera sessilis जमीन में पसरने वाली लता है जो पानी के किनारे भूमि व दलदल में ही उगती है और अनाज के खरपतवार के रूप में उगता है। वास्तव में यह फल हेतु हानिकारक है।
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( उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; पिथोरागढ़ , कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;चम्पावत कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; बागेश्वर कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; नैनीताल कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;उधम सिंह नगर कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;अल्मोड़ा कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; हरिद्वार , उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; हिमालय में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तर भारत में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तराखंड , दक्षिण एसिया में कृषि व भोजन का इतिहास लेखमाला श्रृंखला )
वनस्पति शास्त्रीय नाम -Alternathera sessilis
सामन्य अंग्रेजी नाम - Sessile Joyweed
आयुर्वेदा नाम-मतस्याक्षी
सिद्ध नाम -पोन्नोकाणी
हिंदी नाम - Garundi , gurro गरूण्डी
नेपाली नाम -भिरिंगी झार
उत्तराखंडी नाम -घंडुग्ली , घंडुगळी , Ghandugli
जन्मस्थल संबंधी सूचना - चूँकि घुंडगळी Alternathera sessilis आदि के सबसे अधिक विविध रूप दक्षिण अमेरिका में मिलते हैं तो वनस्पति शास्त्री अनुमान लगाते हैं कि शायद दक्षिण अमेरिका ही
घुंडगळी Alternathera sessilis का जन्मस्थल हो। Sanschez del Pinto (2012 ) के अनुसार गरूण्डी , घुंडगळी Alternathera sessilis का जन्मस्थल लैटिन अमेरिका ही है और वहां से यह पौधा पुराने गोलार्ध में फैला। डा गुप्ता अनुसार गरूण्डी , घुंडगळी Alternathera sessilis के जन्मस्थल के बारे में अभी तक ठीक जानकारी नहीं मिल सकी है। फिर गुप्ता (2014 ) में सिद्ध करने का प्रयत्न किया कि गरूण्डी , घुंडगळी Alternathera sessili स्थल प्रशांत महासगरीय किसी द्वीप में हुआ होगा। चीनी वनस्पति शास्त्री Fun आदि (2013 ) ने माना कि गरूण्डी , घुंडगळी Alternathera sessilis चीन , व दक्षिण एशिया होना चाहिए।
घुंडगळी Alternathera sessilis का जन्मस्थल हो। Sanschez del Pinto (2012 ) के अनुसार गरूण्डी , घुंडगळी Alternathera sessilis का जन्मस्थल लैटिन अमेरिका ही है और वहां से यह पौधा पुराने गोलार्ध में फैला। डा गुप्ता अनुसार गरूण्डी , घुंडगळी Alternathera sessilis के जन्मस्थल के बारे में अभी तक ठीक जानकारी नहीं मिल सकी है। फिर गुप्ता (2014 ) में सिद्ध करने का प्रयत्न किया कि गरूण्डी , घुंडगळी Alternathera sessili स्थल प्रशांत महासगरीय किसी द्वीप में हुआ होगा। चीनी वनस्पति शास्त्री Fun आदि (2013 ) ने माना कि गरूण्डी , घुंडगळी Alternathera sessilis चीन , व दक्षिण एशिया होना चाहिए।
संदर्भ पुस्तकों में वर्णन - चरक (1000 BC , सी पी खरे की पुस्तक ) ने सारे पौधे को बुद्धि , स्मरणः शक्ति , बाह्य सुंदरता वृद्धि हेतु हिदयात दी है। भावप्रकाश (16 वीं सदी ) में गरूण्डी , घुंडगळी Alternathera sessili को कोढ़ , रक्तशुद्धि हेतु प्रयोग की हिदायत दी गयी है । भावप्रकाश में मत्स्यशाका Alternathera sessilis व Ethyndra fluctuans को एक ही माना गया है
चीन के पास होने व आयुर्वेदिक औषधि होने से अंदाज लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड में यह पौधा 3000 साल से किसी ना किसी रूप में प्रयोग होता रहा होगा।
हल्के गुलाबी रंग की टहनी वाले गरूण्डी , घुंडगळी Alternathera sessilis जमीन में पसरने वाली लता है जो पानी के किनारे भूमि व दलदल में ही उगती है और अनाज के खरपतवार के रूप में उगता है। वास्तव में यह फल हेतु हानिकारक है।
औषधि उपयोग -
आँखों के विकार नष्टीकरण , रक्त उल्टी रोकने, उत्पादन शीलता बढ़ाने , फोड़े आदि के उपचार में काम आती है।
सब्जी उपयोग
डा जे के तिवारी आदि ने लिखा है कि यह पौधा सब्जी पकाने के काम आता है ( जॉर्नल ऑफ अमेरिकन साइंस , 2010 )
सब्जी बनाने का तरीका
धूली व कटी पत्तियां - दो कप या आवश्यकतानुसार
उबली उड़द या अरहर या गहथ - दो चमच
हरी मिर्च कटी, लम्बाई में -चार
आधा कटा प्याज - आधा घन इंच
अदरक - पिसा हुआ
लहसून - दो जखेलि पिसा
हल्दी व धनिया पॉउडर मसाले - एक या डेढ़ चमच स्वादानुसार
काली मिर्च - एक पीसी हुयी
कटा धनिया
कढ़ाई में सरसों का तेल गरम कर राई या जख्या का तड़का डालें , तड़कने दें , वैसे सफेद दली उड़द के बीज भी तड़के में इस्तेमाल किये जा सकते हैं। उड़द बीज भूरे हो जायँ तो अदरक , लहसून डालें भूने और तब प्याज डालें। कुछ देर बाद मसाले डाल कर करछी घुमाते रहिये। जब प्याज पारदर्शी हो जायं तो कटे घुंडगळी दाल साथ में डालें व तीन मिनट तक पकाएं। फिर पकी सूखी दाल डालें। मिनट तक पकने दें। हिलाते रहिये। तरी बनानी है तो पकी दाल का पानी डालें।
फिर कटा धनिया डालकर उतार दें व ढक्क्न से तीन मिनट तक ढके रहिये। गरमागरम परोसिये रोटी या चावल के साथ।
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( उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; पिथोरागढ़ , कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;चम्पावत कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; बागेश्वर कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; नैनीताल कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;उधम सिंह नगर कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;अल्मोड़ा कुमाऊं उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; हरिद्वार , उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ;चमोली गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; रुद्रप्रयाग गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; देहरादून गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तरकाशी गढ़वाल उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास ; हिमालय में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तर भारत में कृषि व भोजन का इतिहास ; उत्तराखंड , दक्षिण एसिया में कृषि व भोजन का इतिहास लेखमाला श्रृंखला )
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