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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, February 11, 2018

उत्तराखंड परिपेक्ष में घंडुगळी/गरुंडी की सब्जी ,औषधीय व अन्य उपयोग और इतिहास

 History /Origin /introduction, Food uses , Economic Uses of Joyweed,  Alternathera sessilis Himalayan   in Uttarakhand context 

          उत्तराखंड  परिपेक्ष  में  जंगल से उपलब्ध सब्जियों  का  इतिहास - 31 

                                     History of Wild Plant Vegetables ,  Agriculture and Food in Uttarakhand -                         
          
           उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --   71
                     History of Agriculture , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes  in Uttarakhand -
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      आलेख -भीष्म कुकरेती (वनस्पति व सांस्कृति शास्त्री ) 
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वनस्पति शास्त्रीय नाम -Alternathera sessilis 
सामन्य अंग्रेजी नाम - Sessile Joyweed 
आयुर्वेदा नाम-मतस्याक्षी 
सिद्ध नाम -पोन्नोकाणी 
हिंदी नाम - Garundi , gurro गरूण्डी 
नेपाली नाम -भिरिंगी झार 
उत्तराखंडी नाम -घंडुग्ली , घंडुगळी , Ghandugli 
जन्मस्थल संबंधी सूचना - चूँकि घुंडगळी  Alternathera sessilis  आदि के सबसे अधिक विविध रूप दक्षिण अमेरिका में मिलते हैं तो वनस्पति शास्त्री अनुमान लगाते हैं कि शायद दक्षिण अमेरिका ही 
घुंडगळी  Alternathera sessilis का जन्मस्थल हो।  Sanschez  del Pinto (2012 )   के अनुसार गरूण्डी , घुंडगळी  Alternathera sessiliका जन्मस्थल लैटिन अमेरिका ही है और वहां से यह पौधा पुराने गोलार्ध में फैला।  डा गुप्ता अनुसार गरूण्डी , घुंडगळी  Alternathera sessilis के जन्मस्थल के बारे में अभी तक ठीक जानकारी नहीं मिल सकी है। फिर गुप्ता (2014  ) में सिद्ध करने का प्रयत्न किया कि गरूण्डी , घुंडगळी  Alternathera sessili  स्थल प्रशांत महासगरीय किसी द्वीप में हुआ होगा।  चीनी वनस्पति शास्त्री  Fun  आदि (2013 ) ने माना कि गरूण्डी , घुंडगळी  Alternathera sessilis चीन , व  दक्षिण एशिया होना चाहिए। 
संदर्भ पुस्तकों में वर्णन - चरक (1000  BC , सी पी खरे की पुस्तक ) ने सारे पौधे को बुद्धि , स्मरणः शक्ति , बाह्य सुंदरता वृद्धि हेतु हिदयात दी है।  भावप्रकाश  (16 वीं सदी ) में  गरूण्डी , घुंडगळी  Alternathera sessili को कोढ़ , रक्तशुद्धि हेतु प्रयोग की हिदायत दी गयी है ।  भावप्रकाश में मत्स्यशाका     Alternathera sessilis व Ethyndra fluctuans  को एक ही  माना गया  है 
   चीन के पास होने व आयुर्वेदिक औषधि होने से अंदाज लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड में यह पौधा 3000 साल  से किसी  ना किसी रूप में प्रयोग होता रहा होगा। 
  
हल्के गुलाबी रंग की टहनी वाले गरूण्डी , घुंडगळी  Alternathera sessilis जमीन में पसरने वाली लता है जो पानी के किनारे भूमि व दलदल में ही उगती है और अनाज के खरपतवार के रूप में उगता है।  वास्तव में यह फल हेतु हानिकारक है। 
              औषधि उपयोग - 
 आँखों के विकार  नष्टीकरण , रक्त उल्टी रोकने, उत्पादन शीलता बढ़ाने , फोड़े आदि के उपचार में काम आती है। 

सब्जी उपयोग 
डा जे के तिवारी आदि ने लिखा है कि यह पौधा सब्जी पकाने के काम आता है ( जॉर्नल ऑफ अमेरिकन साइंस , 2010 ) 
      सब्जी बनाने का तरीका 
धूली  व कटी पत्तियां - दो  कप या आवश्यकतानुसार 
उबली उड़द या  अरहर या  गहथ - दो चमच 
हरी  मिर्च कटी, लम्बाई में -चार 
आधा कटा प्याज - आधा घन इंच  
अदरक - पिसा हुआ 
लहसून - दो जखेलि पिसा 
हल्दी व धनिया पॉउडर मसाले - एक या  डेढ़ चमच स्वादानुसार 
काली मिर्च - एक पीसी हुयी 
कटा धनिया 
  कढ़ाई में सरसों का तेल गरम कर राई  या जख्या का तड़का डालें , तड़कने दें , वैसे सफेद दली उड़द के बीज भी तड़के में इस्तेमाल किये जा सकते हैं। उड़द बीज भूरे हो जायँ तो अदरक , लहसून डालें भूने  और तब प्याज डालें। कुछ देर बाद मसाले  डाल कर करछी घुमाते रहिये।  जब प्याज पारदर्शी हो जायं तो कटे घुंडगळी दाल साथ में डालें व तीन मिनट तक पकाएं। फिर पकी सूखी दाल डालें।  मिनट तक पकने दें।  हिलाते रहिये।  तरी बनानी है तो पकी दाल का पानी डालें। 
 फिर कटा धनिया डालकर उतार दें व ढक्क्न से  तीन मिनट तक ढके रहिये। गरमागरम परोसिये रोटी या चावल के साथ।  
 

Copyright@Bhishma Kukreti Mumbai 2018

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