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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, February 11, 2018

पूर्व महाभारत काल में उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म -

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास पारिकल्पना -5 

   Medical Tourism Development in Uttarakhand     -   5                  
  Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series--110     
      
उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 110     

    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन  विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ ) 
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       पूर्व महाभारत काल में उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म
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  महाभारत काल से पहले किरात , द्रविड़ , खस आदि जातियां उत्तराखंड में आ बसीं थीं और उन्होंने अवश्य ही उत्तराखंड में मेडकल टूरिज्म विकसित किया।   धार्मिक विश्वास (आत्मबल हेतु , ऑटोसजेसन ) हेतु इन जातियों  ने कई देवताओं की कल्पना कर इन्हे पूज्य बना डाला जैसे वेदकाल में आर्य जाति  ने भी  किया।  किरात , द्रविड़ , खस जातियों के देवताओं में अधिकाँश देवता आज भी पूजे जाते हैं जैसे जाख , जाखणी , नाग , नगळी , भटिंड , गुडगुड्यार , विनायक , कुष्मांड , कश्शू , महासू , जयंत , मणिभद्र घंटाकर्ण आदि देवी देवता  (डा डबराल , उ. इ . पृष्ठ 210 )।  इससे पता चलता है कि समाज में मनोचिकित्सा आम घटनाएं थीं।  मनोचिकत्सा भी मेडिकल टूरिज्म का ही हिस्सा होता है। 
     इतिहास मौन है कि फोड़े या अन्य बीमारी पर कई जड़ी बूटी उपयोग कैसे शुरू हुआ होगा।  कोल , किरात खस , द्रविड़ जातियों ने अवश्य ही कई जड़ी बूटियों से दवा प्रयोग शुरू किया होगा और बाद में चरक व अन्य संहिताओं में वे संकलित हुयी होंगी। कुछ दवाइयां संकलित भी नहीं हुयी होंगी किन्तु श्रुति माध्यम से आज तक चल ही रही हैं 
 पशु -पक्षी अंगों से दवाईयां व ऊर्जा प्राप्ति हेतु भी अन्वेषण , परीक्षण हुए ही होंगे।  
     पशु -पक्षियों की हड्डियों , सींगों , खुरों , चोंच, दांतों  से ना केवल हथियार , औजार बने होने अपितु सर्जरी -छेदन में भी नित नए परीक्षण व अन्वेषण हुए ही होंगे।  बनस्पति काँटों का भी मेडिकल में उपयोग होता रहा होगा और स्थान विशेषज्ञ  से उस विशेष स्थान में मेडिकल टूरिज्म बढ़ा ही होगा। 
  द्रविड़ भाषा  के कई ग्राम नाम व शरीरांग नामों  से अंदाज लगाया जा सकता है प्राचीन द्रविड़ जाति ने शरीर विज्ञान व औसधि विज्ञान में हिमालय में कई परीक्षण किये होंगे व मडिकल टूरिज्म को कई नए आयाम दिए होंगे।  
  ताम्र युग या महाभारत काल में गढ़वाल -कुमाऊं में ताम्बे  की खान मिलने से औषधि विज्ञान में भी क्रान्ति आयी जैसे ताम्बे की भष्म से आयुर्वेद या जड़ी बूटी में उपयोग। ताम्बे की सुई से सर्जरी ,  छेदन आदि भी मेडकल अन्वेषण ही थे।   ताम्बे के बर्तन में पानी रखना आदि ने भी उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म को विकसित ही किया होगा
गंगाजल ने मेडिकल टूरिज्म से धार्मिक टूरिज्म का रूप दिया होगा।  अलकनंदा , भगीरथी , व अन्य उत्तराखंडी नदियों की विशेषताओं पर परीक्षण हुए होंगे व उन चिकित्सा विशेषताओं का प्रचार प्रसार में ना जाने कितने साल व काम हुआ होगा।  यह सोचने की आवश्यकता नही कि महाभारत काल से पहले गंगा जल का  चिकत्सा वा धार्मिक कार्य हेतु विपणन हुआ होगा तभी तो महाभारत में गंगा स्नान का उल्लेख हुआ है। 
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            लगातार परीक्षण से ही मेडिकल टूरिज्म विकसित होता है 
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 खस जाति अशोक काल में अशोक हेतु गंगा जल ,मधुर आम्र,  नागलता -टिमुर ले जाते थे से पुष्टि होती है कि कॉल , किरात , ,  शकादि , खस जातियों ने उत्तराखंड की बनस्पतियों व पशुओं पर स्वास्थ्य रक्षा हेतु कई परीक्षण किये होंगे। फिर इन परीक्षणों को प्रयोग किया होगा और फिर इन जड़ी बूटियों के प्रचार व निर्यात हेतु कई तरह के माध्यम अपनाये होंगे।
       मलारी संस्कृति में मेडिकल टूरिज्म 
  
     ताम्र युग में मलारी संस्कृति अध्ययन से पता चलता है मृतकों पर कोई  वानस्पतिक रस , पेस्ट व भूमि तत्व लागए  जाते थे।  मलारी लोग सोना , कांस्य पात्र , रंगीन पाषाण , भोज्य सामग्री आयात करते   थे और बदले में पशु , ऊन , खालें , तो निर्यात करते ही थे अपितु समूर , कस्तूरी व कई प्रकार की जड़ी बूटियां निर्यात करते थे (अदला बदली ). (डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का इतिहास भाग -२ पृष्ठ 234 )
    समूर , कस्तूरी व जड़ी बूटियां निर्यात (अदला बदली ) का साफ़ अर्थ है मेडिकल टूरिज्म।  यह मेडिकल टूरिज्म आंतरिक भी हो सकता है और बाह्य टूरिज्म भी।
       



Copyright @ Bhishma Kukreti   6 /2 //2018   

Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...

उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना शैलवाणी (150  अंकों में ) कोटद्वार गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
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========स्वच्छ भारत , स्वस्थ  भारत , बुद्धिमान उत्तराखंड ======== 

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