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Sunday, February 11, 2018

मक्खी सम्मेलनुं याद

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मक्खी सम्मेलनुं याद 
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 चबोड़ , चखन्यौ , भचकताळ    :::   भीष्म कुकरेती   

  मि तबै बात करणु छौ जब लोग सौकार बणणो कुण मक्खी चूसा करदा छा आज 2 G , 3 G या रॉबर्ट बाड्रा जन घपला -घोटाला करण पड़द। तब दिन अच्छा छा जब एक मक्खी चूसो अर धन्ना सेठ बण जावो।  अर अब ? अब त मक्खी चुसण से धन्ना सेठ नि बणे सक्यांद अब त पूरा का पूरा हरियाणा निगळण पड़द। 
 त मि तबै छ्वीं लगाणु छौं जब हम छुट छया अर सफाई याने बरख पुजद दैं अर तब शरादक   सफै से दूर का  संबंद नि छौ।  तब मक्खी से प्रेम करे जांद छौ कि मक्खी चूसो अर पैसा बचाओ।  अब त  जमन च बल  मूस मारो अर म्युनिस्पैलिटी से इनाम पाओ।  मि तबौ छ्वीं लगाणु छौं जब लालकृष्ण अडवाणी जन संरक्षक याने बूड ददा भी मक्खी नि मारदा छा। हमर बाळापन मा हम मक्खी पालक छया नै नै मधुमक्खी पालक ना अपितु हाउस फ्लाई पालक। 
     तब हम मक्खी चुसण से इथगा प्रेम करदा छा कि किचन कु चुल्ल से लेकि चौक तक हमन कथगा इ मक्खी पालन केंद्र खुल्यां रौंद था।  कुछ मिनी केंद्र , कुछ मिडल किस्मौ अर कुछ मैगा पालन केंद्र।  भितर रुस्वड़म चुल्लम थड़कण से भोजन पदार्थ जु इना उना पड़ जांद छौ , म्याळ  मा गिर्यां भोजन कण या बड़ा टींड अर तौल कु  पींडो मैगा मक्खी पालन केंद्र हूंद छौ।  भैर त नि पूछो।   भैर चौक मा दसियों छुट छुट मक्खी पालन केंद्र छा जन कि सीम्प, थुक्युं थूक, खत्यां अनाज , आदि छुट छुट पालन केंद्र छा तो इना उना ब्रिटेन सुर्युं खौड़ै  ढेर अर बच्चों गूवक चिमनी।  यी पालन केंद्र सूचक छा कि हम पुरातन काल से मक्खी प्रेमी छा। हम माखों से प्रेम करदा छा अर मक्खी हम से दुगण प्रेम करदी छा।  प्रेम आबंटन मा हम मा अर माखुं  मा ओलम्पिकी  छौंपा दौड़ हूणी रौंद छे।  पर तब दुयूं कुण विन विन सिच्युवेसन छौ।  
      मक्खी जन्मजाति सम्मेलन प्रेमी हूंदन ।   भैर कुछ देर मक्खी गुवक ढेर मा वृहद सम्मेलन करदा छा , कुछ छूट छुट सम्मेलन मा हि खुस रौंद छा।  फिर कुछ समय बाद यूंक शिफ्ट चेंज हूंद छे।  भैरक माख भितर चल जांद छा अर भितराक माख भैर ताज़ी हवा खाणो भैर ऐ जांद छा।  भैराक मक्खी भितर जैक भैराक गंदगी भेंट मा दींदा छा अर खुला  भोजन आदि मा गंदगी फेंकदा छा।  बिचार्यूुं तै नि छौ पता नि छौ कि ऊंकी प्रेम भेंट मा गंदगी ऐ जांद अर हम बि मक्खी प्रेमाभूत ह्वेक माखुं भिड्यूं सब कुछ चपट कर जांद छा। हम तैं मक्खी चुसणम गर्व महसूस हूंद छौ।   भितर बि मक्खी हर जगा छुट बड़ सम्मेलन करणा रौंद छा। सबसे बड़ो सम्मेलन तौलक किनारों पर हूणु रौंद छौ। हाँ मादा मक्खी बरोबर अंडा दीणो काम बि करणी रौंद छे। 
     फिर दिन मा जब बेटी ब्वारि या सास घास लखड़ लेक घौर आंद छा तो वो अपण सुपकन माखों तै भैर भगान्द छा।  इनमा माख फिर से शिफ्ट  एक्सचेंज का लुत्फ़ उठांद छा अर सम्मेलन करदा छा।  एक हैंका कुण रामा रूमी करदा छा अर अपण अपण अनुभव शेयर करदा छा।  यदि घर मालकिन म समय बची गे त वा चौक मा ब्वान फिरै दींदी छे।  यां पर मक्खी कबि बि नराज नि हूंद छा उल्टां खुसी खुसी अपण खुट , अपण मुख पर लगीं , अपण पंखों पर लगीं गंदगी भेंट करणो दुसर मौक चौक -किचन मा चल जांद छा अर स्याम तक हरेक मक्खी गांवक हरेक मौक इक संग्रांद बजैक अपण जीवन समाप्त कर दींदी छे। 
   फिर कुछ दिन बाद डीडीटी युग आयी त डीडीटी विज्ञापनों से हमन जाण कि मक्खी प्रेम तो बीमारी जड़ च त हमन धीरे धीरे मक्खी चुसण बंद कर दे।  अब त हिट का जमाना च अर हिट सिखाणु रौंद कि एक मक्खी आदमी को हिजड़ा बना सकती है तो हम अब चिड़ी मार से मक्खी मार ह्वे गेवां।  अर अब त मोदी जी क शौचालय आंदोलन से हम बड़ा बड़ा मक्खीमार बि ह्वे गेवां। 
     अब हम स्वछता का महत्व समजण लग गेवां।  एक दैं बंदूक्या जसवंत राणा से इंटरव्यू मा पूछे गे बल राणा जी ! पुरण जमन अर नै जमन मा क्या अंतर च ? त राणा जीक उत्तर छौ - पैल हम गरीब छा अब पैसा ऐ गेन।  मातबरी अच्छी बात च , रिचनेस इज बेटर । 
एक इंटरब्यू मा महेंद्र सिंह धोनी से पूछे गे बल धोनी जी ! पुरण जमन अर नै जमन मा क्या अंतर  च ? त धोनी जीक उत्तर छौ - पैल हम गरीब छा अब पैसा ऐ गेन।  मातबरी अच्छी बात च , रिचनेस इज बेटर । 
  मि तैं बि वीरेंद्र पंवार जीन पूछी छौ बल कुकरेती जी ! पुरण जमन अर नै जमन मा क्या अंतर च त म्यार साफ़ उत्तर छौ - पैल हम गंदा  छा अब कुछ हद तक सफाई पसंद ह्वे गेवां ।  सफाई भौत अच्छी बात च , क्लीननेस इज फार बेटर ।

21/1 / 2018, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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    ----- आप  छन  सम्पन गढ़वाली ----
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