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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, June 21, 2016

चोली के पीछे क्या है ? चोली के नीचे क्या है ? हस्तक्षेप के पीछे कौन है ?

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              चोली के पीछे क्या है ? चोली के नीचे क्या है ? हस्तक्षेप के पीछे कौन है ?
                                      चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
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                           परसि मीन गां मा गांवक भितर जांद रस्ता याने प्रवेश  द्वार पर   मा सफै की बात कर दे। अर उपगांव , मुख्य गाँव व निकटवर्ती गांवुं मा भ्यूंचळ , बबंडर  , औडळ -बीडळ  ऐ गे।  सरा क्षेत्र मा उठापोड़ि मचि गे। ग्राम  प्रवेश द्वारम बच्चा तो बच्चा बैंक बि ब्यणस्यरिकम , अन्ध्यर मा झाड़ा बैठदन अर सुबेर सुबेर सरा  रस्ता मा गंध ही  गंध।  पैल तो क्या छौ बल सब्युंक गोर    छ्या , कुछुंक ढिबर बि छया।  कुछ गोर गुखवा हूंद छा  अर ढिबर त गूखवा हूंदी छन। पैल त  लोग अर गोर पतेड़ि  पतेड़िक अर बकै गूखवा गोर -बछर -ढिबर   साफ़ सफै कर दींद छा तो शदियों से ग्राम प्रवेश  द्वार मा सफैकि समस्या पैदा इ नि ह्वे।  फिर जयराम रमेश अर नरेंद्र मोदी बि नि छया  कि हम तै क्वी बताओ कि पैल शौचालय फिर देवालय।  तो शदियों से एक गन्दी परम्परा का निर्वाह निरंतर चलणि रै।  अर हम गाँव वाळु तै कबि बि गर्व , गुमान क्या घमंड बि नि ह्वे कि हम अपणी परम्परा निर्वाहन मा सतत प्रयत्नशील छंवां। 
                     अब चूँकि गोर त रै नि गेन  जु सफै कारन तो गांवक प्रवेश द्वार पर फूलूं जगा मलमूत्र का ढेर लग्युं रौंद।  मीन गाँव वळु तै सलाह दे बल चलो जरा गू फिड़े जाव अर   स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान उत्तराखंड !  की तर्ज पर स्मार्ट विलेज कि तरफ बढ़े जाव।  
         मेरी बात क्वी क्रांतिकारी बात त छे ना कि गाँव वळ उद्देलित ह्वे जावन।  मेरी बात मा जेएनयू जन भारत विरोधी बात बि नि छै कि क्षेत्र मा  भ्यूंचळ , बबंडर  , औडळ -बीडळ  ऐ जावो।  पर द्वी घंटा  का अंदर अंदर म्यार चौक मा सरा क्षेत्र का सयाणा कट्ठा ह्वे गेन। 
हरीश कोशियारीन पूछ - यू सफाई को विचार आइ किलै च ?
मि - सफाई को विचार आणम ले क्या च ? ऐ गे।   सफाई जरुरी च कि ना ?
हरीश कोशियारी - सफाई छोड़।  पैल बता कि यीं सफाई का पैंथर क्वा च ?
मि - अरे सफाई  पैंथर क्वा च क्या अर्थ ?
हरीश कोशियारी -- नहीं कोई ना कोई तो हैं।  बता सफाई के पीछे कौन है?  जब तक तू नाम नि बतैल तू चौक से भैर बि नि ऐ सकदी। 
मि -ह्यां पर सफाई का पैंथर क्वी बि ह्वावो वां से क्या फरक पड़दो।  सफाई महत्वपूर्ण च। 
रमेश नौटियाल - अजी कन फरक नि पडदु।  जब तक तू नाम नि बतैल तब तक सफाई तो दूर तू सफाई का बारा मा सोचि बि नि सकदी।  बता तेरे पीछे कौन है ?
मि - मेरी मनशा तो गू सफाई की च त  ... 
काशी पंवार - अजी मनशा को धोळो गुदनड़।  मतलब सफाई को मारो गोली।  पैले ये बथावो बल इस मनशा के पीछे क्या है ? कौन है ? क्यों है ?   
मि - काशी दा सफाई का पीछे सफाई ही च बस।  सफाई गांवकुण महत्वपूर्ण च।  तो सफाई हूण चयेंद कि ना ?
भुवन चन्द्र टमटा - कुछ बि चीज महत्वपूर्ण नी हूंद जी सब बकबास च। जब तक तुम सफाई  पीछे कौन है नि बतैल्या तब तक ये गांवमा बिजली बि नि ऐ सकदी। 
मि - ह्यां पर सफाई को उद्येस्य साफ़ च बल सफाई याने स्वस्थ गाँव। 
सुरेश उपाध्याय,  विजय भट्ट , एक साथ - जब तक तुम यह नहीं बथावोगे कि सफाई के पीछे कौन है तब तक सफाई क्या , गू का एक टींडा भी गाँव से नहीं हटेगा। 
सरा गाँव एकसाथ - जब तक तुम यह नहीं बथावोगे कि सफाई के पीछे कौन है तब तक सफाई क्या , गू का एक टींडा भी गाँव से नहीं हटेगा।
मि -अरे पर मेरी मनशा ही सफाई का पैंथर च। 
 इंदिरा  बब्बर - अवश्य ही क्वी नॉनसेक्युलर पावर एक पैंथर च।  हम सफाई नहीं होने देंगे , हम सफाई नहीं होने देंगे। 
सरा गाँव - बिलकुल नहीं होने देंगे , 
कुछ - पीछे कौन है ? पीछे कौन है ?बतयां बगैर कुछ नि ह्वे सकुद। 
चूँकि म्यार पैंथर क्वी नि छौ , केवल मेरी साफ़ , पवित्र मनशा छे तो मि बतै नि साकु कि म्यार पैंथर क्वा च अर गाँव वळ बगैर नाम जण्या सफै करणो तयार नि छया तो मि अपण सि मुख लेक वापस ऐ ग्यों। 

16/6/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
            
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