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आधुनिक सासु द्वारा ब्वारी तैं गाळी दीण
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
इ मेल
प्रेषक – सासू
सेवा में – खास अपण इ ब्वारी
विषय – गिच्चै खुजली मिटाण
चूँकि अच्काल हम दुयुं मा कुट्टी चलणी च त मि समिण बोलि नि सकदु अर जब तक मि त्यार दगड द्वी चार दैं चरचर बचन नि बोलुल त मि तैं खाणा हजम नि हूंद तो इमेल से मि अपण बिचार भिजणु छौ । उन त मेरी सहेली कब बिटेन जग्वाळम बैठ्याँ छन कि मि औं अर तेरी छ्वीं ऊँमा लगों ।अर फिर छुटी-छुटी छूयूँ मा मेरी सहेल्युं तै मजा बि नि आंद। सब लूण , मर्च, मसाला मिलैक दूधभति खांदन त ऊँ तैं इन बथों मा क्या मजा आलो !
मि फेसबुक मा अपण चचराट पोस्ट कर सकुद छौ, किन्तु त्यार फ्रेंड अधिक चतुर , चंट , चचरट्या छन तो ऊंन नखुर-नखुर शब्दों से म्यार बरखबान कर दीण त मि किलै फ़ेसबुक मा अपण कुणकुणाट पोस्ट कौरुं अर अपण बेज्जती करवाऊं। उन बि मि सुब्रमणियम स्वामी त छौं ना कि अपण ड्यारो छ्वीं बीच बजार मा धौरी द्यों।
सुबेर बिटेन म्यार गिच्च खयाणु छौ कि मि कुछ बोलु त मि ईमेल से बच्याणु छौं। जन गरम पाणी पेकि तीस नि मिटदी उनी गिच्च की खुजली ईमेल से नि मिटदी , किन्तु कुछ त सेळि पड़ जांद बस।
ज्यू त म्यार त्वे कुण लाब काब बकणो बुल्याणु च पर ऑनलाइन मा सब कुछ सेव रै जांद तो मि त्वे कुण लाब काब बि नि बख सकदु तू श्याम दैं मेरी गाळि म्यार नौनु तैं बथै देली। अर अचकाल त ऑफ़लाइन मा बि हम सासु अपण ब्वार्युं तैं गाळी बि नि दे सकदां। ब्वारी ऊँ गाळयूं तै मोबाइल पर टेप कर दींदन अर कत्ति ब्वारी त मोबाइल से वीडिओ फिल्म बि बणै दींदन। इन मा अब ब्वार्युं मैत वळु तैं हम सासु बुरी बुरी गाळी बि नि दे सकणा छंवां। मीन सूण बल उख दिल्ली -मुंबई मा सासूंन लॉफिंग क्लब जन गाळी क्लब बणयां छन जख ब्वार्युं तै गाळी दिए जांदन। रांड ह्वेलि ईं सरकारै इख अबि तक कैन बि गाळी क्लब नि ख्वाल निथर मी बि क्लब मा भर्ती ह्वेक खूब गाळी बखुद। पता नी कतगा दिन ना मैना ह्वे गेन धौं मीन जी भरीक गाळी नि देन। कांड लग जैन यीं मोबाइल संस्कृति पर जैक डौरक मार हम जोर जोर से गाळी बि नि दे सकदां। अर डा हरसमय हिदैत दीणु रौंद कि रोज अद्धा एक घंटा गाळी बका करो। वैक बुलण च बल गाळी दीण से मन की इच्छा पूरी ह्वे जांदन। जन कफ भैर आण जरूरी च तनी बल मनुष्य से गाळी भैर आण जरूरी हूंद। एककक भैर औण शरीर का वास्ता जरूरी च तो दुसराक भैर आण घुटन दूर करणो उपाय च। पैलाक जमन अच्छु छौ। सासु चौकाक एक कूण्या मा खड़ी ह्वेका अपण ब्वारी तै गाळी दींदि छे अर ब्वारी चौकाक हैंक कूण्या मा खड़ ह्वेक गाळयूंक जबाब गाळी से दींद छा। सासू -ब्वारी अपण कुंठा गाळी देकि दूर करदा छा तो दर्शक मनोरंजन पै लींद छ। एक पंथ द्वी काज।
गाळी दीण से सासु तै बि अर ब्वारी तै बि शारीरिक आराम मिल जांद छौ। पर गाळी बंदी से अब भौत सी नई शारीरिक बीमारी जनमणि छन।
तब शक्ति अर नियंत्रण का वास्ता गाळी दीण सुगम पथ छौ। अब तो शक्ति ई नी च त नियंत्रण कख अर कै पर करे जावो ?
गाळी दीण से अहिंसात्मक लड़ै लड़न सौंग छौ , सरल छौ , निष्कपट छौ तब। अर अब बस घुटन ही घुटन।
अहा तब गाळयूं से पता चौल जांद छौ कि या सासु कैं अडगैं -क्षेत्र की च अर ब्वारिक मैत कै मुलक च। अब जब गाळी इ नीन तो कनकैक पता लगाण कु कै छ्वाड़क च। अर अचकालै ब्वारी अंग्रेजी मा गाळी दींदन त पता इ चलद कि ब्वारी कै छवाड़ैक च। अचकालै ब्वारी त छ्वाड़ तीरै ब्वारी छन। निम्न स्तर की !
तब फेसबुक नि छौ अर ना ही ब्लॉग सुविधा छौ तो गाळी बकण अभिव्यक्ति को सुविधाजनक माध्यम छौ। अर अब उ मजा कख च जु मजा अमिण -समिण गाळी दीण मा आंद छौ।
हैं ! यि क्या ? मि त राहुल गांधी ह्वे ग्यों। जाण छौ कर्नाटक अर पौंछि ग्याइ बैंकॉक। तेकुण कुछ बुलण छौ त मि गाळी का फायदा बथाण मिसे ग्यों। उन तो तू पढ़ीं लिखीं छे त मीन जु बुलण छौ उ अपरोक्ष रूप से बोली दे। समजी जै कि म्यार मंतव्य क्या छौ।
24 /6/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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