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विकास , विकास ! अंत में सिलोगी बजार का विकास हो ही गया
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
हमर सिलोगी बजार तब बिटेन च जब 1926 मा स्कूल खुल। अब भौत साल पैल इख इंटर कॉलेज बि खुल गे किन्तु विकास अब तक नि ह्वे छौ।
चूंकि पोस्ट ऑफिस बि सन 1930 बिटेन च सैत च हम पोस्ट ऑफिस तै विकास की निशाणी नि मणदा होला ।
जैदिन सिलोगी मा बिजली आई वैदिन बि सिलोगी मा क्वी उत्सव नि मनाए गे। सिलोगी दगड़ हौर गांवुंमा बि बिजली आयीं छै तो लोग अपण अपण गांवुं मा बिजली उत्सव मनाणा छया। सिलोगी वास्तव मा सरा क्षेत्र वाळुक च याने कि सिलोगी यथार्थ मा कैक बि नी च। मतलब लोगुंन सिलोगी मा बिजली उत्सव नि मनाए। इख तक कि दुकानदारुन बि बिजली उत्सव सिलोगी ना बलकणम अपण गांवुंम मनाये।
जब बि चुनाव हूंद तो नेता लोग भाषण भीषण का वास्ता सिलोगी तै उचित स्थान मानिक सिलोगी की पवित्र वातावरण तै ध्वनि प्रदूषण अर झूठा अश्वासन से प्रदूषित करदन। अर अडगैं (क्षेत्र ) की जनता प्रत्येक कंडिडेट से एकी सवाल करदी छे - सिलोगी को विकास कब ह्वाल ? कब ह्वाल ?
पिछला पंद्रा या उन्नीस सालों से खंड -तैड़िक ब्वारी श्रीमती विजया बड़थ्वाल विधायक च। अर जब बि बिछला ढांगू की ब्वारी सिलोगी आंदि त सब्युंका एकी प्रश्न हूंद - सिलोगी का विकास कब होलु ? कब होलु ? होलु बि कि ना ?
स्टेट बैंक की एक शाखा खुल किन्तु अडगै (क्षेत्र ) वळु तै संतोष नि ह्वे कि विकास ह्वेइ गे। रुड्युं मा कथगा बि गरम पाणी प्यावो तो बि जब तक ठंडु पाणी नि प्यावो तीस नि बुज्दी ,
विधायिका अर सांसदुंन जोर से धै लगै कि देखो सिलोगी मा बैंक खुल गे। किन्तु क्वी बि खुस नि ह्वे। सब्युंक एकि मत छौ बल बैंक शाखा खुलण क्वी विकास की निशाणी थुका च।
सब लोग सिलोगी मा विकास नि हूण से हीनभावना ग्रसित छा , शर्मशार छ , अति लज्जित छा। हूंद च हूंद च , जब कै मुख्य बजारौ विकास नि हो तो लज्जाजनक स्थिति से सामना करण ही पोड़द। दुसर क्षेत्र का लोग जन गूमखाळ , भृगुखाळ, चैलुसैण का लोग सिलोगी क्षेत्र का लोगुं तै क्या ताना दींद छा। असह्य वेदना हूंदी छे। मितै बि इख मुंबई मा गूमखाळ , भृगुखाळ, चैलुसैण का लोग अविकसित सिलोगी का कारण हीन दृष्टि से दिखदा छा।
अर जब वु दिन आई जब सिलोगी कु विकास ह्वे तो सारा इलाका का लोग मय जण बच्चा सिलोगी मा इतना संख्या मा जमा ह्वेन कि इतना लोग तो तब बि जमा नि ह्वेन जब भगयान हेमवती नंदन बहुगुणा हैलीकॉप्टर से सिलोगी ऐ छा।
सिलोगी मा जलसा जम्युं छौ। खौळ -म्याळा मा क्या इथगा रौनक हूंदी ह्वेली धौं। रंगीन शमा छे। माहौल बगैर संगीत का संगीतमय हुयुं छौ।
तै दिन बिटेन क्षेत्र वासी खासकर प्रवास्युंन बुलण -लिखण बंद कौर याल कि सिलोगी मा विकास नी हूणु च। कै मुखन बोल सकदवां हम ? अब हमारा सिलोगी बि गूमखाळ , भृगुखाळ, चैलुसैण समकक्ष जि ऐ गे।
अब हम खासकर प्रवासी कै बि राजनेता तै नि पुछदा कि सिलोगी का विकास कब होगा। विकास परिकाष्ठा की निशाणी अब सिलोगी मा स्थित च।
जी हाँ , जैदिन बिटेन सिलोगी मा देसी -विदेशी दारु का ठेक्का खुल तै दिन बिटेन हम खुस छंवां कि सिलोगी का विकास ह्वे गे। अब हमर बजार विकसित च , भंयकर रूप से विकसित च।
विकासपर्व याने दारु ठेक्का खुलणो उपरांत वासिन्दा सुनिंद मा छन , प्रवासी सुनिंद मा छन अर विधायिका श्रीमती विजया बड़थ्वाल तो कुम्भकरणी नींद मा बेसुध च।
19 /6/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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