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आली , स्या जरूर आली , ह्यां पर कब आली ?
हौंस , हौंसारथ , खिकताट ::: भीष्म कुकरेती
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जन ये साल ह्वे तनि कबि हमर गढ़वालम तब बि बार बार हूंद छौ जब मि अदखिचर छौ , समजण लैक छौ या युवा छौ। ये साल महाराष्ट्र मा उनी ह्वे जन म्यार गांवमा चीनै लड़ै पैंथरौ साल ह्वे छौ। तब बि इनि ह्वे छौ , उख बि इनि ह्वे छौ , इख बि इनि हूणु च।
तैबरि बि प्रतीक्षा , तब बि जग्वाळ , तब बि इन्तजार की तंगतंगी। तब बि आली ? कब आली ? ह्यां आली पर कब आली? जन प्रश्न हवा मा उड़ना रौंद छ।
जन पैलाक मानसून महराष्ट्र , मुंबई क्या पुरो हिन्दुस्तान मा इ खराब गे तो ये साल बरखा की प्रतीक्षा , इन्तजार , जग्वाळ बड़ी आतुर्दी से हूणि च। टीवी वळ जब तब किर्राणा छन - केरल तक मानसून पंहुचा, दिल्ली अबि बि गरम और गडकरी गगन पर गड़गड़ाये।
मि जब युवा छौ तो एक साल ठीक से सौण म कम बरखा ह्वै , भादों दगा दे गे तो पूष माघ मा बि बरखा नि बरखी। इख तक कि जेठ तक लोग निबरखा का रैन। झंग्वर बूणो हिम्म्त कैमा नि ह्वे।
15 गति जेठ का बाद मिनख , मनिख्याणि छोडो कुत्तौ नजर बि आसमान जीना हूंद गे।
वा वीं तै पुछदी छे - ये वा ! मीन तो अपण जिंदगी मा कबि नि देख कि जेठ अदा ह्वे जावो अर बादळ नि दिख्यावन।
स्या जबाब द्यावो - हाँ ये वा ! मेरी बूड़ सास बि इनि बुलणा छन कि जेठ अदा ह्वे अर बादळ नी दिखेणा छन।
क्वी जनानी डांड से घास -लखुड़ लेक गांवक हद मा पौंछ ना कि लोकुं सवाल हूंद छा - डांड मा बिटेन तीन बादळ बि देखिन ?
घस्यरि जबाब हूंद छौ - न भयां ! कखि बि यूँ बादळो पर काण्ड नि लगिन।
फिर लोग वैइ डांड से अइं लख्वड्वळि से पुछ्द छा - तैंको तो क्वी भरवस नी च पर तू त बता कि तितै बादळ बि दिखेन ?
लख्वड्वळि हुस्यार छे , जाणदि छे कि ना बुलण से यूंन 'नाम ' धौर दीण त वा बुल्दी छे - मीन तो आँख जमैक द्याख। दूर चौखम्बा (बद्रीनाथ ) जिना द्वी चार कत्तर बादळू दिखे छन। मेरी बूडननि बुल्दी छे बल 20 गति जेठाकुण चौखम्बा जिना द्वी चार कत्तर बादळू दिखे जावन तो समज ल्यावो मुंगर्यात (मानसून ) चौड़ आंद।
इन आतुर्दी समय लोगुं तै आसा चयेंद छौ तो झूठी आसा से बि लोग उत्साही ह्वे जांद छा। अर सरा गाँव मा सोसल मीडिया जन वायरल -रयूमर फ़ैल जांद छौ कि जल्दी ही मुंगर्यात पोड़ण वाळ च।
20 गति जेठ तक तो लोगुन भगवान पर भरवस कार , 25 गति जेठ तक तो लोगुन इंद्र देवता पर भरवस कार , किन्तु जब 20 गति जेठ का आस पास बादळ नि दिखेन तो लोगुं तै वर्षा भविष्यवक्ता , रेन फोरकास्टर याने बरखा बारा मा बाक बुलण वळु की याद आए।
अब सब लोग बार बार बरखा या जलवायु भविष्यवक्ताओं ड्यार आण लग गेन।
हमर गांव मा घन्ना ददा अर बैजू चिचा जलवायु विशेषज्ञ छया । तब आकाशवाणी पर तो लोग कतै भरवस नि करदा छा । सरकारी भोंपू पर तो आज बि भारतवासी भर्वस नि करदन।
लोग घन्ना दादा अर बैजू चिचा तै चौंतरा मा बैठाळिक प्रश्न करदा छा।
द्वी चखुलुं माट मा नयाण , कव्वों घोल बणाण , कुंळै डाळू हलण, बांजक पत्तों आवाज , आदि का अध्यन से पता लगांद छा कि कब बरखा ह्वेलि अर कथगा हवेली। चूँकि हम सब स्कूलम पढ़न लग गे छा अर उख किताबों से हमन यी सीख कि गाँव का यी लोग अंधविश्वासी छन तो हमन पारम्परिक ज्ञान तै खत्म कर दे।
आम समय पर दुयूंकि बाक (भविष्यवाणी ) सही हूंदी छे किन्तु वै साल दुयुंकी भविष्यवाणी झूठी सिद्ध ह्वे , बरखा तब बि नि ऐ जबाक ऊंन बोली छौ।
अंत मा जब जून अंत तक लोगुं तै बादळ नि दिखेन क्या क्षेत्र का लोग बहुगुणा पंडितों का पास आण लग गेन। बथाओ जु ज्योतिषी पंडित बैज चिचा अर घन्ना दिदाक बुलण पर ही मुंगरी भिजांद छा अब लोग ऊँ ही बहुगुणा पंडितों पास आस लेकि आण लग गेन।
सर्वसम्मति से स्वीकृत ह्वे कि शीघ्र वर्षा का वास्ता सँजैत यज्ञ उराए जाल और घड्यळ धरे जाल।
आश्चर्य तब ह्वे जैदिन निश्चित ह्वे कि यज्ञ करण आवश्यक च अर वै दिन का दुसर राति ही मुंगर्यात (बरखा ) पोड़ गे।
जब तक बरखा नि ह्वे तब तक हरेक का जवांन पर यी प्रश्न हूंद छौ - आली कि ना ? ह्यां आली कि ना ? ह्यां आली तो आली पर समौ पर आली कि ना ?
मीन बहुत सालों बाद बैजू चिचा तै पूछ - चिचा वै साल आप अर घन्ना दिदाक बाक झूठी किलै निकळ ?
चिचा को जबाब छौ - ख़ास डाळु पत्तों हिलण , पत्तों की आवाज , कवों घोसला तयार नि हूण अर चखुलों बार बार पाणी मा नयाण से हम समज तो गे छैया कि बरखान देर से आण पर ..
मीन पूछ - तो तुम दुयुंन झूट किलै ब्वाल ?
चिचाक जबाब छौ - कबि कबि गां गौळ (समाज ) मा आस कायम रखणो वास्ता झूठ बुलण ही ठीक हूंद।
10/6/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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