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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, April 28, 2015

अहोभंग (हरिद्वार ) के बौद्ध स्थाविर -(Sambhut Sanvasi )

 Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahogang /Adhogang (Haridwar )- (Sambhut Sanvasi )

                       हरिद्वार इतिहास  और होगंग  (हरिद्वार ) के बौद्ध स्थाविर  -(Sambhut Sanvasi )
                          Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,  History Saharanpur  Part  -110      

                       
    

                     हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -110                      

                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  
  कहा जाता है कि बुद्ध अपने जीवन काल में उशीरध्वज पर्वत पंहुचे थे।  [उपाध्याय , बुद्धकालीन भारतीय भूगोल ]. इस पर्वत की पहचान जिसे बौद्ध साहित्य में 'अहोगंग ' कहा गया है कनखल की पहद्दी  की पहाड़ी से की जाती है। डा खरकववल लिखते हैं की इस क्षत्र को 'ज्ञानपाली प्रदेश ' कहा जाता था (जे एस खर्कवाल , लैंड ऐंड हैबिटाट )।. 
गंगा जी से रामगंगा तक के क्षेत्र में शिवालिक की गिरिशाखा का प्राचीन नाम 'मयुरपर्वत ' या 'मोरीगिरी' था। महाभारत व बौद्ध साहित्य में गंगा जी के पूर्वी तट से लक्ष्मण झूला की पहडियां ९उद्य्पुर व तल्ला ढांगू क्षेत्र ) की उशीरध्वज , अहोगंग , अधोगंग नाम से पहचान हुयी है। 
 
                                                सम्भूत साणवासी  

   बुद्ध के समय ही उशीरध्वज , गंगाद्वार कनखल क्षेत्र पुनीत क्षेत्र या ज्ञानपाली प्रदेश ' क्षेत्र बन चुका था। बुद्ध निर्वाण के पश्चात गंगाद्वार का भाभर क्षेत्र बौद्ध चिंतन मनन का क्षेत्र बन चुका था।
बुद्ध के प्रथम  शिष्य का नाम आनंद था। आनंद ने बुद्ध की मृत्यु के बाद प्रथम संगति सभा महाकश्यप की अध्यक्षता में हुयी थी। 
आनंद का एक शिस्य यश था व दूसरा  शिष्य जो कनखल -अहोभंग का था का नाम साणवासी सम्भूत था [महवंश -पृष्ठ १७ ]। 
  साणवासी के जीवनकाल में बौद्ध धर्म के दो दल हो चुके थे।  वैशाली और पाटलिपुत्र का दल कठोर अनुशाशन में शीतलता का समर्थक था।  किन्तु कौशंबी , पाथेय व अवन्ति के संघ अनुशाशन के समर्थक थे।  बौद्ध धर्म पर संकट के बादल छ चुके थे। 
    इस संकट को दूर करने हेतु यश अहोगंग में साणवासी सम्भूतके पास पंहुचा।  पावावाले साठ , अवंतीवाले अट्ठासी भिक्षु थे।  ये सभी महाक्षीणाश्रव स्थविर अहोगंग में एकत्रित हुए।  दोनों क्षेत्र के सभी आरण्यक , पांसुकूलिक , त्रिचिवरिक व सभी अर्हत अहोगंग पर्वत पर पंहुचे।  वहां इन नब्बे हजार  भिक्षुकों ने अहोभंग में साणवासी सम्भूत  से विचार विमर्श किया। 
          तब यश , साणवासी सम्भूत व रेवत स्थविर के प्रयत्न से कालाशोक के राजयकाल में बुद्ध  निर्वाण के 100 वर्ष पश्चात बौद्धमति की द्वितीय संगीति का आयोजन हुआ (महावंश पृष्ठ १७ ) 

    
* शेष भाग अगले अध्याय में 

 ** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२ [समस्त संदर्भ सूची हेतु देखें ]
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज 
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर 
आर के पुर्थि , द एपिक सिवलीजिसन 
अग्रवाल , पाणिनि कालीन भारत
अग्निहोत्री , पंतजलि कालीन भारत 
अष्टाध्यायी 
दत्त व बाजपेइ  , उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म का विकास 
महाभारत 
विभिन्न बौद्ध साहित्य 
जोशी , खस फेमिली लौ
भरत सिंह उपाध्याय , बुद्धकालीन भारतीय भूगोल 
रेज डेविड्स , बुद्धिष्ट इंडिया 

Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India 27/4/2015 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -

    Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahogang/Adhoganga (Haridwar ) &    Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahogang/Adhoganga (Haridwar ) &   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahogang/Adhoganga (Haridwar ) &  Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahogang/Adhoganga (Haridwar ) &    Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ;  Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahogang/Adhoganga (Haridwar ) & Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;  Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahogang/Adhoganga (Haridwar ) &  Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahogang/Adhoganga (Haridwar ) &  Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ;  Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahobhang/Adhoganga (Haridwar ) & Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ;   Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahogang/Adhoganga (Haridwar ) &Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahogang/Adhoganga (Haridwar ) &   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;   Buddhist Sthavir (Apostles ) of Ahogang/Adhoganga (Haridwar ) &  Ancient History of Bijnor;    Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;   Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;   Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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