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घ्याळ दा इतना कुखुड़ किलै खरीदणो च ?
[पत्थर नेपथ्य से नेता जीक आवाज आणि च ]
नेता जी - गढ़वाळ मा गोभी की खेती विकास का बाद अब बारी च पोल्ट्री फ़ार्म की। हरेक गढ़वळि तै पोल्ट्री फार्मिंग करण चयेंद। पोल्ट्री फार्मिंग ही गढ़वाळ से पलायन बंद कराल।
घ्याळ दा [ स्वतः ]- हूँ ! नेता जी बुलणा छन तो बात मा दम होलु। समिण पर कुखुड़ूँ दूकान च मि कुखुड़ खरीददु अर पोल्ट्री फार्मिंग शुरू करद।
घ्याळ दा [कुखुड़ विक्रेता से ] - पांच कुखुड़ दे
[घ्याळ दा कुखुड़ लिजाँद ]
चौथु दिन
घ्याळ दा [कुखुड़ विक्रेता से ] - पांच कुखुड़ दे
[घ्याळ दा कुखुड़ लिजाँद ]
अठों दिन
घ्याळ दा [कुखुड़ विक्रेता से ] - पांच कुखुड़ दे
[घ्याळ दा कुखुड़ लिजाँद ]
बारौं दिन
घ्याळ दा [पुछेर /बक्कि से ] ये काका जरा मेरी बाक बोलि दे ]
पुछेर /बक्की -क्या ह्वाइ तू त द्यौ दिबतौं पर विश्वास करदो इ नि छौ ?
घ्याळ दा- अरे दस कुखुड़ , मोळ का साथ खड़्यार देन पर कुखुड़ूं फसल इ नि उगणी च !
10/4/15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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