Guild System in Mauryan Period and Ancient History of Haridwar, History Bijnor, History Saharanpur
हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में मौर्य काल में संघ , श्रेणी याने ट्रेड गिल्ड Ancient History of Haridwar, History Bijnor, History Saharanpur Part - 109
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 109
मौर्य काल की एक प्रमुख विशेषता है कि इस युग में गिल्ड /सहकारिता याने संघ /श्रेणी प्रणाली के विस्तार व विकास से आर्थिक स्थिति में विकास हुआ।
व्यापरी व शिल्पकारों ने सहकारिता के तहत संघ बनाये। संघ अपने सदस्यों के व्यापार वृद्धि हेतु संगठित रूप से कार्य करते थे।
संघ का प्रधान श्रेणीमुखिया या जेष्ट श्रेणी कहलाया जाता था। यह पदवी खानदानी पदवी थी। श्रेणीप्रमुख के पास न्याय व कार्यकारी अधिकार थे और वह सदस्यों को नियंत्रित करता था।
राज्य का न्याय विभाग भी व्यापारी या शिल्पकार संघ के न्याय को मान्यता देता था।
संघ का काम राज्य को कर भी चुकाना होता था। कौटिल्य ने संघ से लाभ का पूरा व्यौरा दिया है। कौटिल्य के अनुसार समय आने पर राजा संघ के धन को लूटकर राज्य का काम चला सकता था।
कभी कभी श्रेणी इतना ताकतवर हो जाता था कि राजा व सामंत भी उसके सामने झुकते थे।
किरणकुमार थपलियाल ने व्यापारियों व शिल्पकारों के संघों का अध्यन पूर्व वैदिक , बुद्ध काल , जैन काल व मौर्य काल में किया है। (Kiran Kumar Thapliyal, 2001, Guilds in Ancient India, In Life Thoughts and Culture in India Delhi)
जहां तक हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर का प्रश्न है तो यह कहा जा सकता है कि कालसी में बड़ी मंडी होने और उत्तराखंड की पहाड़ियों से निर्यात की प्रचुरता के कारण इन क्षेत्रों में स्थानीय संघ अवश्य रहे होंगे।
** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर
आर के पुर्थि , द एपिक सिवलीजिसन
अग्रवाल , पाणिनि कालीन भारत
अग्निहोत्री , पंतजलि कालीन भारत
अष्टाध्यायी
दत्त व बाजपेइ , उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म का विकास
महाभारत
विभिन्न बौद्ध साहित्य
जोशी , खस फेमिली लौ
भरत सिंह उपाध्याय , बुद्धकालीन भारतीय भूगोल
रेज डेविड्स , बुद्धिष्ट इंडिया
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 25 /4/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -
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