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तु अपर बच्चों तैं क्या खलांदि ?
चबोड़्या स्किट संकलन ::: भीष्म कुकरेती
जंगळ मा कुंवाक बड़ मुख्या मिंडुक परेशान छौ कि जु बि कुंवाक आस पास जाणु रौंद फब्ती कसिक चल जांद बल तू तो कुंवाक मिंडुक जन छे , कुवां मा इ तेरी दुनिया च।
बड़ मुख्या मिंडकन स्वाच कि आज जरा दुनिया दिखे जाव कि छ क्या च कुंवा से भैर। ज्ञानवर्धनौ वास्ता बड़ मुख्या मिंडुक कुवां से भैर आई। दुनिया वास्तव मा भौत बड़ी छे।
मिंडुक कुंवां से अग्नै बढ़ त वै तै एक गौड़ी दिखे। वैन गौड़ी पूछ।
बड़ मुख्या मिंडक- ये गौड़ी ! तू अपर बच्चों तै क्या खलांदि ?
गौड़ी -बच्चौं तै क्या खलांदु ? घास अर क्या !
बड़ मुख्या मिंडक- औ त गौड़ी अपण बच्चों तैं घास खलांदी।
बड़ मुख्या मिंडक अगनै बढ़ तो चखुली मील।
बड़ मुख्या मिंडक चखुली से - तू अपण बच्चों तै क्या खलांदि ?
चखुली - बच्चों तै क्या खलाण ? अरे कीड़ मक्वड़ अर क्या।
बड़ मुख्या मिंडक और अग्नै बढ़ तो वै तै गुरा दिखे।
बड़ मुख्या मिंडक गुरा से - तू अपण बच्चों तै क्या खलांदि ?
गुरा - मि अर म्यार बच्चा बड़ मुख्या मिंडकतै बड़ा चाव से खांदन।
अर अगनै की कथा आप बि जाणदा इ ह्वेल कि क्या ह्वे ह्वाल। है ना ?
15/4/15 Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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