-भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
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अचकाल सुबेर बिटेन श्याम तलक टीवी अर सोसल मीडिया मा उत्तर प्रदेश मा बलात्कार की घटनाऊं समाचार का अलावा कुछ नि दिखेणु च।
मीडिया का धुरंदर पत्रकारुं तैं अफ़सोस हूणु च कि प्रजातंत्री सम्राट याने यादव कुनबा बलात्कार तैं छुट -मुट घटना मनणा छन। पर हरेक उत्तराखंडी जाणदु च कि यादव कुनबा मनिख का रूप मा दुशासन का ही रूप च। मीडिया तैं याद बि नी च बल यु वी यादव कुनबा च जु शांतिपूर्ण विरोध बि सहन करि नि सकुद अर विरोध्युं पर बेवजह गोळी चलांदु अर ऊंकी इज्जत आबरू तैं मट्टी मा मिलांदु। यादव कुनबा कुण विरोध असह्य च अर मा -बैण्युं इज्जत तो यूँकुण कुछ छैं इ नी च , प्रायोजित रेप कारण मा बि यु कुनबा नि शर्मांद।
सामूहिक बलात्कार एक मानसिक बीमारी की छाया मात्र च अर इन जघन्य अपराध रुकणो बान सामजिक सोच बदल्याण चयांद कि मर्दानगी बलात्कार से प्रदर्शित नि हूंद अपितु मर्दानगी अलग ही प्रदर्शन हूण चयेंद। किँतु जै कुनबा का कुंवर राम गोपाल यादव ब्वालु कि टीवी माध्यम सामूहिक बलात्कार कु जम्मेवार च तो वै प्रदेश मा सोसल रिफॉर्म की उम्मीद रखण इनि च जन बिराळी औंरु /औंर दिखण।.
सामूहिक या व्यक्तिगत बलात्कार की घटना रुकण मा पोलिस रिफॉर्म याने पुलिस प्रशासन मा सुधार एक विशेष आवश्यकता च पर जै उलटा प्रदेश मा पुलिस कु यादवीकरण हुयुं हो वै प्रदेश मा पुलिस से सामजिक अपराध रुकण सर्वथा नामुमकिन च। जै प्रदेश मा कोतवाली का कर्ता -धर्ता यादव दरोगा धरे इ इलै गे हो जु गुंडा यादवुं हिफाजत कारो वै यादव दरोगा से सामाजिक सरोकार की उम्मीद ह्वै इ नि सकिद। जख पुलिस कु उपयोग सरकारी दल का नेता केवल अपण राजनीतिक स्वार्थ का वास्ता करदा ह्वावन उख पुलिस रिफॉर्म का बारा मा सुचे हि नि सक्यांद।
जब तलक मर्द जात स्त्रियुं अधिकार अर सम्मान का बारा मा सचेत नि ह्वाल तब तलक औरतुं पर सामूहिक बलात्कार हूंद राला अर ऊंकी लाश बीच चौराहा पर आम का डाळु मा बदायूं का तरां टंगे जाल। उत्तर प्रदेश मा मर्द लोग स्त्रियुं सम्मान कौरन तो किलै कौरन जब यादव कुनबा कु सयाणा ब्वाल कि 'लड़कों से छोटी मोटी गलती (सामूहिक बलात्कार ) हो ही जाती है ". जब यादव कुनबा को सयाणा बुल्दु कि सामूहिक बलात्कार एक लड़कों की छोटी -मोटी गलती च तो गुंडों तै , अनाचारियों तैं एक संदेश ही मिल्दो कि स्त्री तो ताड़न की , नारी तो बेज्जती की अधिकारणी च।
जब कै प्रदेश कु मुखिया सामूहिक बलात्कार का वास्ता मीडिया तैं जुम्मेवार माणद अर मीडिया तैं सीख दींदु हो कि दुसर प्रदेसुं मा उत्तर प्रदेश से अधिक बलात्कार हून्दन तो समझ मा आंद कि वै प्रदेश कु मुखिया से बलात्कार की घटनाऊं मा कमी की उम्मीद करण बेकार ही च।
आज असल मा बलात्कार रुकणो बान समाज , पुलिस , प्रसासन अर राजनीतिज्ञों तैं एक साथ काम करणै जरूरत च किन्तु उत्तर प्रदेश मा जब समाज ही पुरो बंट्यू हो तो क्या हम भला दिनु आस करी सकदां क्या ?
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